नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क । किसी ने सही कहा है जल ही जीवन है। क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की 2 तिहाई से ज्यादा की आबादी गंदा पानी पीने पर मजबूर हैं। विकासशील देशों की 15 फीसदी से ज्यादा लोगों को बीमारियां गंदा पानी पीने से हो रही है। डब्लयूएचओ (WHO) के रिपोर्ट के अनुसार हर साल तकरीबन 8,29,000 लोगों को मौत डायरिया से हो हुई हैं। आए दिन लोगों को अस्पताल के चक्कर दूषित पानी पीने से काटने पड़ रहे हैं। यह अपने आप में बहुत बड़ा आंकड़ा है। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के माने तो दूषित पानी के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था में 30,000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान पहुंच रहा है ।
दुनिया की जीडीपी पर कितना असर
वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट के रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की जीडीपी का 1 फीसदी खर्च किया जाए तो गंदे पानी से बिगड़ते अर्थव्यवस्था को संभाला जा सकता है। गंदे पानी पीने से होने वाली बीमारियां को रोकने पर ही लोगों को आर्थिक बोझ से राहत मिलेगा।
करीब तीन लाख बच्चे खराब पानी के कारण परेशान
बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि साफ पानी से 5 साल से क्रम उम्र के 2,97,000 बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता हैं। यह संख्या अपने आप में साफ पानी पीने के महत्व को बताता है.
गंदा पानी पीने के नुकसान
गंदा पानी न केवल पाचन क्रिया को नुकसान कर सकता है बल्कि इससे व्यक्ति को उल्टी दस्त,पेट दर्द आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। गंदे पानी पीने से व्यक्ति को मानसिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। इससे डिहाइड्रेशन से होने वाली समस्या जैसे बैहोशी, चक्कर आदि समस्याएं का सामना करना पड़ता है ।
जाने साफ पानी पीने के मामले में क्या है इन देशों का हाल
डेनमार्क- इस मामले में डेनमार्क सबसे आगे है। यहां कि पर्यावरण के अनुसार स्वच्छ पानी पीने के लिए 1000 ट्रीटमेट प्लांट बनाए गए है ।
स्वीडन- यहां के 95 फीसदी लोग नल के पानी पीते है। इससे साफ समझा जा सकता है कि स्वीडन की सरकार साफ पानी पीने पर कितना गंभीर है ।
ब्रिटेन- यहां 2015 से सत-प्रतिशत लोगों को स्वच्छ पानी पीने को मिल रहा है।
जर्मनी- यहां पानी के सैंपल की नियमित जांच होती है। पानी के गुणवता खराब होने से उसका तत्काल समाधान किया जाता है।