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यमन: युद्ध के कारण जारी, बच्चों की बेतहाशा तकलीफ़ों को रोका जाना होगा

बच्चे व सशस्त्र संघर्षों की स्थित पर, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि यमन में जारी संघर्ष में, वर्ष 2019 और 2020 के दौरान, लड़ाई तेज़ होने के कारण, लगभग 2600 बच्चे हताहत हुए हैं. सोमवार को प्रकाशित इस रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि बच्चे व किशोर किस तरह, अन्धाधुन्ध मोर्टार हमलों, गोलाबारी, ज़मीनी लड़ाई, बारूदी सुरंगों और युद्ध की अन्य विस्फोटक अवशेष सामग्री की चपेट में आए. #Yemen: denial of humanitarian access, killing & maiming, & recruitment & use of children were the most prevalent of 8,526 grave violations against children in 2019-2020 Read 3rd report of UN Secretary-General on CAAC in Yemen : https://t.co/HEUPTdGPdV#ACTtoProtect pic.twitter.com/e9G5CpGPZL — Children and Armed Conflict (@childreninwar) September 27, 2021 कुल मिलाकर, 3500 से ज़्यादा बच्चों को, एक या उससे ज़्यादा हनन के मामलों का सामना करना पड़ा है; उनमें प्रमुख है – मानवीय सहायता तक पहुँच से वंचित रखा जाना, हत्याएँ या अपंग बनाया जाना, और लड़ाई में शामिल होने के लिये बच्चों की भर्ती व युद्ध में उनका प्रयोग. ‘अपंगता की छाप’ यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने रिपोर्ट के निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि “ये अत्याचार और बेतहाशा तकलीफ़ें” सम्भवतः यमन के बच्चों की कम से कम एक पीढ़ी के जीवन पर अपंगता की छाप छोड़ेंगी. उन्होंने कहा, “अगर यमन में, बच्चों को और ज़्यादा नुक़सान से बचाना है तो ये बहुत ज़रूरी है कि सभी पक्ष, संघर्ष का एक राजनैतिक समाधान निकालने के लिये, सक्रियता से काम करें. लड़के और लड़कियाँ, यमन का भविष्य हैं.” “युद्ध के पक्षों को, बच्चों को लड़ाई में प्रयोग किये जाने और उनके साथ ग़लत बर्ताव होने से बचाना होगा, और बच्चों को एक बहुमूल्य सम्पदा मानना होगा, जैसाकि वो हैं भी.” रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि बच्चों के वास्तविक अधिकार हनन के सभी मामलों की जानकारी की पुष्टि करना कठिन था, और संघर्ष व लड़ाई ने भी मामलों की जानकारी दस्तावेज़ों में दर्ज करने और उल्लंघन के मामलों की पुष्टि करने में बाधाएँ खड़ी कीं. कोविड-19 महामारी और उसके सम्बन्ध में लगाई गई पाबन्दियों ने भी, पहले से मौजूद चुनौतियों को और ज़्यादा गम्भीर बनाया. 111 बच्चे हिरासत में रिपोर्ट में कहा गया है कि 111 बच्चों को, संघर्ष में शामिल विरोधी पक्षों के साथ सम्बद्ध होने के आरोपों में, उनकी स्वतंत्रता से वंचित किया जाना, एक अन्य बड़ा चिन्ताजनक कारण है. विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया लाम्बा ने कहा कि बच्चों को, प्राथमिक रूप से “पीड़ित” समझा जाना चाहिये, और उन्हें उनकी आज़ादी से वंचित करने का विकल्प, केवल अन्तिम उपाय के रूप में ही इस्तेमाल हो, और वो भी बहुत छोटी अवधि के लिये. और ऐसा सम्बन्धित व प्रासंगिक अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होना चाहिये. वर्जीनिया गाम्बा ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का आहवान किया कि हिरासत से रिहा होने वाले बच्चों के पुनर्वास को समर्थन व सहायता देना जारी रखा जाए. रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा संस्थानों पर हमले जारी हैं, और स्कूलों पर 37 हमले दर्ज किये गए हैं. इनके अलावा लगभग 80 स्कूलों का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिये हो रहा है. इन कारणों से, लड़कों और लड़कियों के शिक्षा हासिल करने के अधिकार का और भी ज़्यादा हनन होता है. यमन में इस समय 20 लाख से भी ज़्यादा बच्चे, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं. सम्वाद में छुपी है उम्मीद रिपोर्ट में, संघर्ष के पक्षों के साथ संयुक्त राष्ट्र के सम्वाद और युद्ध में इस्तेमाल के लिये बच्चों की भर्ती व उनका प्रयोग रोकने के लिये, यमन सरकार द्वारा, कार्य योजना के क्रियान्वयन में हुई प्रगति का भी ज़िक्र किया गया है. इस कार्य योजना पर 2014 में दस्तख़त हुए थे. साथ ही, वर्ष 2018 में अपनाए गए एक रोडमैप की बदौलत, बच्चों के अधिकार हनन के मामलों में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है. विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की वो पुकार भी दोहराई है जिसमें, युद्ध के सभी सम्बद्ध पक्षों से एक राष्ट्रीय युद्धविराम लागू करने और यमन के लिये विशेष दूत के साथ सम्पर्क व सम्वाद बनाए रखने का आग्रह किया गया था. इस प्रक्रिया के ज़रिये, यमन में एक समावेशी राजनैतिक प्रक्रिया पर आधारित, एक समग्र राजनैतिक समाधान की तलाश करने के उद्देश्य से, बातचीत फिर शुरू होने का आहवान भी किया गया है. वर्जीनिया गाम्बा ने कहा, “बातचीत में, बच्चों के अधिकारों व ज़रूरतों पर विचार करना भी, टिकाऊ शान्ति और देश के भविष्य के लिये बहुत महत्वपूर्ण होगा.” उन्होंने कहा कि उनके कार्यालय द्वारा – ‘सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों में बच्चों की हिफ़ाज़त करने के लिये, मध्यस्थकारों के लिये दिशा-निर्देश’, यमन के सन्दर्भ में बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी संसाधन हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “यमन में युद्ध का जो विनाशकारी असर बच्चों पर हो रहा है, उसे रोका जाना होगा. शान्ति ही एक मात्र समाधान है और पीड़ित बच्चों को अपने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक घाव भरकर, अपनी ज़िन्दगी फिर से सँवारने के लिये, हमारी मदद की आवश्यकता है.” --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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