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यमन: मानवीय संकट की रोकथाम के लिये 4.3 अरब डॉलर की दरकार 

यमन में संयुक्त राष्ट्र की मानवीय राहत टीम ने वर्ष 2022 के लिये अपनी ‘सहायता कार्रवाई योजना’ में क़रीब चार अरब 30 करोड़ डॉलर धनराशि की पुकार लगाई है. यूएन का कहना है कि लड़ाई में फ़िलहाल ठहराव के बावजूद, बद से बदतर होते हालात को रोकने के लिये मानवीय राहत प्रयास ज़रूरी हैं. शनिवार को जारी की गई इस योजना के ज़रिये, युद्धग्रस्त देश में एक करोड़ 73 लाख लोगों तक जीवनदायी मानवीय सहायता और संरक्षण सेवाएँ पहुँचाये जाने का लक्ष्य रखा गया है. यमन में पिछले छह वर्षों में पहली बार, रमदान के पवित्र महीने में राष्ट्रव्यापी संघर्षविराम लागू है और इसका मोटे तौर पर पालन किया गया है. यमन में अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार को सऊदी नेतृत्व में समर्थन दे रही गठबंधन सेना, और हूथी लड़ाको (अंसार अल्लाह गुट) के बीच संघर्ष विराम, संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के तहत 2 अप्रैल को शुरू हुआ और यह मई तक जारी रहने की सम्भावना है. #Breaking The Humanitarian Country Team in #Yemen releases the 2022 Humanitarian Response Plan, seeking $4.3 billion to assist 17.3 million people in need. “The worsening humanitarian crisis in Yemen is a reality that we need to urgently address,” said @DavidGressly. Statement⤵️ — OCHA Yemen (@OCHAYemen) April 30, 2022 अंसार अल्लाह गुट का देश की राजधानी सना समेत अधिकाँश हिस्सों पर नियंत्रण है. यमन में मानवीय मामलों में संयोजन के लिये समन्वयक डेविड ग्रेस्सली ने कहा, “यमन में बदतर होता मानवीय संकट एक वास्तविकता है, जिससे तत्काल निपटे जाने की आवश्यकता है.” “इस वर्ष आँकड़े हैरान कर देने वाले हैं. दो करोड़ 30 लाख से अधिक लोगों – यमनी आबादी का तीन चौथाई हिस्सा – को सहायता की ज़रूरत है.” यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह वर्ष 2021 की तुलना में लगभग 30 लाख लोगों की वृद्धि को दर्शाता है. एक करोड़ 30 लाख लोग पहले से ही गम्भीर स्तर पर आवश्यकताओं का सामना कर रहे थे. यूएन एजेंसी के अनुसार इस वर्ष हिंसक संघर्ष में तेज़ी आई, जिसके परिणामस्वरूप अकथनीय पीड़ा का अनुभव और सार्वजनिक सेवाओं में व्यवधान आया है, जिससे मानवीय आवश्यकताएँ भी बढ़ी हैं. देश की ध्वस्त हो रही अर्थव्यवस्था से निर्धन समुदाय के लिये हालात और भी विकट हुए हैं, और वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में एक करोड़ 90 लाख लोगों को खाद्य सहायता की आवश्यकता होने की आशंका है. यूएन एजेंसी ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार एक लाख 61 हज़ार लोगों को चरम स्तर पर भूख की मार झेलनी पड़ रही है, और मौजूदा परिस्थितियों में बच्चों के लिये भयावह पीड़ा उत्पन्न हुई है. 22 लाख बुरी तरह कुपोषण का शिकार हैं, जिनमें से पाँच लाख से अधिक की हालत गम्भीर बताई गई है. महिलाओं व बच्चों समेत देश में निर्बलतम समूहों के लिये, अति-आवश्यक सेवाओं की सीमित सुलभता से परिस्थितियाँ और भी अधिक ख़राब हुई हैं. 'उम्मीद का क्षण' डेविड ग्रेस्सली ने बताया कि यह यमन के लिये आशा भरा एक क्षण है. “यूएन के नेतृत्व में संघर्षविराम, राहत एजेंसियों के लिये जीवनदायी सहायता का स्तर बढ़ाने और गम्भीर ज़रूरतमन्दों तक पहुँचने का एक अहम अवसर है, न इलाक़ों में भी जहाँ हिंसक संघर्ष और असुरक्षा के कारण पहुँचना सीमित ढँग से ही हो पाया है.” उन्होंने कहा कि राहत प्रयासों का दायरा व स्तर बढ़ाने के लिये पर्याप्त संख्या में दानदाताओं की ज़रूरत होगी, अन्यथा राहत सेवाओं पर असर होने की आशंका है. यमन में इस वर्ष मार्च में एक उच्चस्तरीय सहायता धनराशि कार्यक्रम में, दानदाताओं ने एक अरब 30 करोड़ डॉलर की मदद का संकल्प लिया है, जोकि 2022 के लिये कुल आवश्यक रक़म का केवल 30 फ़ीसदी है. इस सम्मेलन के बाद से अब तक 30 करोड़ डॉलर की सहायता का संकल्प लिया जा चुका है, मगर अभी इस खाई को पाटने की ज़रूरत है, जिसके कारण राहत एजेंसियों को सीमित संसाधन ही उपलब्ध हैं. यमन में मुख्य यूएन कार्यक्रमों में से दो-दिहाई को रक़म की कमी कारण या तो बन्द करना पड़ा है या फिर उनका स्तर घटाया गया है. वर्ष 2015 में युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 43 लाख लोग अपने घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर हुए हैं, जोकि विश्व में चौथा सबसे बड़ा आन्तरिक विस्थापन संकट है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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