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नीन्द में जलवायु विनाश की ओर बढ़ रही है दुनिया, यूएन प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को एक शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए आगाह किया है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य मानो अन्तिम साँसें गिन रहा है और गहन देखभाल कक्ष (ICU) में है. यूएन प्रमुख ने जलवायु परिवर्तन की विशाल चुनौती से निपटने के लिये, विकसित व उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से अनुकूलन व कार्बन उत्सर्जन में कटौती की ख़ातिर, एकजुट प्रयास व निवेश की पुकार लगाई है. महासचिव गुटेरेश ने सोमवार को ‘Economist Sustainability Summit’ को वीडियो लिंक के ज़रिये सम्बोधित करते हुए कहा कि ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन – कॉप 26, के दौरान प्रगति से कुछ आशा बंधी थी. लेकिन यह सच्चाई बिना किसी लागलपेट के बताई जानी होगी कि 1.5 डिग्री का लक्ष्य जीवनरक्षक समर्थन पर है. We are sleepwalking to climate catastrophe. Our planet has already warmed by as much as 1.2 degrees – and we see the devastating consequences everywhere. We need a 45% reduction in global emissions by 2030 and carbon neutrality by mid-century to keep our climate goals alive. — António Guterres (@antonioguterres) March 21, 2022 निर्वनीकरण का अन्त करने, मीथेन उत्सर्जन में कमी लाने और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को अपने वित्त पोषण में जलवायु सम्वेदनशीलताओं का ख़याल रखने में समेत अन्य क्षेत्रों में. उन्होंने कहा कि मगर, मुख्य समस्या का निपटारा नहीं हुआ और उस पर उपयुक्त ढंग से चर्चा भी नहीं हुई. “विज्ञान स्पष्ट है. और गणित भी.” “1.5 डिग्री के लक्ष्य को जीवित रखने के लिये वैश्विक उत्सर्जनों में 2030 तक 45 प्रतिशत की कटौती और सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता की आवश्यकता है.” “इस समस्या को ग्लासगो में नहीं सुलझाया गया था. असल में यह समस्या बदतर होती जा रही है.” यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सचेत किया कि मौजूदा राष्ट्रीय संकल्पों के अनुसार, वैश्विक उत्सर्जन इस दशक में 14 प्रतिशत तक बढ़ने की सम्भावना है. केवल पिछले वर्ष में, वैश्विक ऊर्जा-सम्बन्धी कार्बन डाय ऑक्साइड उत्सर्जन में छह फ़ीसदी की वृद्धि हुई, और यह इतिहास में सर्वाधिक स्तर पर पहुँची. “कोयला उत्सर्जन भी रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गए हैं. हम नीन्द में जलवायु विनाश की ओर बढ़ते जा रहे हैं.” बढ़ता पारा उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान में अब तक 1.2 डिग्री की बढ़ोत्तरी हो चुकी है और इसके विनाशकारी असर हर जगह दिखाई दे रहे हैं. वर्ष 2020 में, जलवायु आपदाओं के कारण तीन करोड़ लोग अपने घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर हुए, जोकि हिंसा व युद्ध के कारण विस्थापित होने वाले लोगों की तीन गुना संख्या है. “दो सप्ताह पहले ही, IPCC ने पुष्टि की है कि आधी मानवता पहले से ही ख़तरे से भरे क्षेत्र में रह रही है.” “लघु द्वीपीय देशों, सबसे कम विकसित” देशों और हर स्थान पर निर्धन व निर्बल लोग, किसी एक जलवायु झटके से क़यामत का सामना कर सकते हैं.” महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया कि दुनिया अगर इसी रास्ते पर बढ़ती रही, तो 1.5 डिग्री का लक्ष्य तो पीछे छूट ही जाएगा, दो डिग्री सेल्सियस भी पहुँच से बाहर हो सकता है, जोकि विनाशकारी होगा. समस्या का स्रोत उन्होंने स्पष्ट किया कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये यह ज़रूरी है कि समस्या के स्रोत तक जाया जाए. महासचिव के मुताबिक़, विश्व की अग्रणी व उभरती हुई औद्योगिक व्यवस्थाएँ, जी20 समूह, कुल वैश्विक उत्सर्जन के 80 प्रतिशत के लिये ज़िम्मेदार है. उन्होंने कहा कि विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक दूसरे पर दोषारोपण से बचना चाहिये, और जब ग्रह जल रहा हो तो हम एक दूसरे पर उंगली नहीं उठा सकते हैं. यूएन प्रमुख के अनुसार मौजूदा दौर में दुनिया अनेक चुनौतियों से जूझ रही है: कोविड-19 से विषमतापूर्ण पुनर्बहाली, रिकॉर्ड मुद्रास्फीति, यूक्रेन में रूसी आक्रमण से वैश्विक खाद्य व ऊर्जा बाज़ारों पर असर और उसका जलवायु एजेण्डे पर असर. महासचिव ने आगाह किया कि रूसी जीवाश्म ईंधनों को हटाने के लिये, बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ जो क़दम उठा रही हैं, उन अल्पकालिक उपायों से जीवाश्म ईंधन पर दीर्घकालीन निर्भरता पैदा हो सकती है. उन्होंने कहा कि देश जीवाश्म ईंधन की तात्कालिक आपूर्ति कमी से इतना परेशान हो सकते हैं कि वे जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कटौती की नीतियों की अपेक्षा कर दें. यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि यह पागलपन है और इसलिये जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता से बचा जाना होगा. समाधान की ओर महासचिव ने कहा कि ऊँची लागत से तकनीकी चुनौतियों व अपर्याप्त वित्त पोषण तक, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को कोयले से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर क़दम बढ़ाने में अनेक अवरोध हैं. इस चुनौती पर पार पाने के लिये विकसित देशों, बहुपक्षीय विकास बैंकों, निजी वित्त पोषण संस्थाओं और कम्पनियों को एक साथ मिलकर काम करना होगा. UNDP Bhutan भूटान में किसान जलवायु अनुकूलन के लिये कड़ी मशक्कत कर रहे हैं. साथ ही, कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिये विकसित और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से आपसी सहयोग पर बल दिया गया है, और अनुकूलन व उत्सर्जन में कटौती को पूरी शक्ति से अपनाना होगा. उन्होंने कहा कि नई, सरल अहर्ता प्रणालियों की आवश्यकता है, जिसके समानान्तर, अनुकूलन व सहनक्षमता निवेश को बढ़ाया जाना होगा. यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि सार्वजनिक वित्त पोषण के साथ शुरुआत करते हुए, सम्पन्न देशों को विकासशील देशों के लिये प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर मुहैया कराने का संकल्प पूरा करना होगा. अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं को इसे अपनी प्राथमिकता बनाना होगा. दूसरा, मिश्रित वित्त पोषण के लिये यह ज़रूरी है कि निजी सैक्टर के साझा निवेश किये जाएँ, ताकि परिवर्तन की दिशा में नवाचार के साथ आगे बढ़ा जा सके. साथ ही, निजी वित्त पोषण को उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में शून्य-उत्सर्जन और जलवायु सहनसक्षम दिशा में आगे बढ़ने के लिये और अधिक निवेश करना होगा. यूएन प्रमुख ने कहा कि 1.5 डिग्री के लक्ष्य को जीवित रखने के लिये यह ज़रूरी है कि चरणबद्ध ढंग से कोयले के इस्तेमाल को ख़त्म किया जाए, जलवायु वित्त पोषण को बढ़ाया जाए, मुख्य सैक्टरों में कार्बन पर निर्भरता को कम किया जाए और अनुकूलन प्रयासों के ज़रिये सर्वाधिक निर्बलों का ख़याल रखा जाए. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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