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WHO: स्वास्थ्य ढाँचों पर हमलों में, 700 से भी ज़्यादा स्वास्थ्यकर्मियों की मौत

अनेक देशों व क्षेत्रों में, दिसम्बर 2017 के बाद से स्वास्थ्य सेवाओं पर किये गए हमलों में 700 से ज़्यादा स्वास्थ्यकर्मियों व मरीज़ों की मौत हुई है और 2000 से ज़्यादा घायल हुए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मंगलवार को जारी किये गए, एक तीन वर्षीय विश्लेषण में ये जानकारी दी गई है. वर्ष 2018 से लेकर 2020 के दौरान, स्वास्थ्य देखभाल ढाँचों व सुविधाओं पर हमलों की निगरानी प्रणाली नामक इस विश्लेषण में, 17 आपदा प्रभावित देशों और नाज़ुक हालात वाले इलाक़ों में, स्वास्थ्यकर्मियों, मरीज़ों, सामान आपूर्ति करने वाली सेवाओं और साधनों, ऐम्बुलेंसों और सुविधाओं पर हुए हमलों का लेखा-जोखा जुटाया गया है. During #COVID19, more than ever, 👨⚕️👩⚕️ must be protected & respected, & hospitals & health facilities & transportation, incl. 🚑 should not be used for military purposes – essential conditions for the continued delivery of critical health services. 👉 https://t.co/Od1Z7BYhB3 pic.twitter.com/ayufWQQaT5 — World Health Organization (WHO) (@WHO) August 3, 2021 इनमें इथियोपिया, यमन, सीरिया, मोज़ाम्बीक़, नाइजीरिया, इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा किये हुए फ़लस्तीनी इलाक़े, म्याँमार, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, और सोमालिया सहित कुछ अन्य देश व इलाक़े शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के स्वास्थ्य आपदा कार्यक्रम के निदेशक अल्ताफ़ मुसानी ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया, “हम बहुत गहराई से चिन्तित हैं कि सैकड़ों स्वास्थ्य सुविधाएँ तबाह कर दी गई हैं और बन्द हो गई हैं, स्वास्थ्यकर्मी हताहत हुए हैं, और लाखों-करोड़ों लोग ऐसी स्वास्थ्य देखभाल से वंचित हो गए हैं जो उन्हें मिलनी चाहिये.” यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के इस कार्यक्रम के कामकाज के तीन प्रमुख स्तम्भ हैं – हमलों के सबूत व्यवस्थित तरीक़े से एकत्र करना, इस तरह के हमले बन्द किये जाने के लिये आवाज़ बुलन्द करना, और स्वास्थ्य देखभाल की हिफ़ाज़त को बढ़ावा देने के लिये सकारात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देना. इस विश्लेषण में, स्वास्थ्य देखभाल ढाँचों पर हमलों का वैश्विक परिदृश्य पेश किया गया है. साथ ही इन हमलों से संसाधनों पर होने वाले असर और स्वास्थ्यकर्मियों व मरीज़ों पर तत्काल प्रभाव का भी ख़ाका पेश किया गया है. घातक परिणाम अल्ताफ़ मुसानी ने, विश्लेषण के नतीजों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2020 में, हमलों की छह में से, कम से कम एक घटना में किसी ना किसी मरीज़ या स्वास्थ्यकर्मी की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मी सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले मानव संसाधन हैं, जो वर्ष 2018 और 2019 में दो तिहाई रहे, जबकि वर्ष 2020 के हमलों में उनकी संख्या 50 प्रतिशत रही. इन हमलों में ढाँचागत सुविधाओं और सामान आपूर्ति के ढाँचों या साधनों को, स्वास्थ्यकर्मियों की तुलना में, कम निशाना बनाया गया. रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि स्वास्थ्य देखभाल ढाँचों पर हमलों का प्रभाव, स्वास्थ्य प्रदाताओं को जोखिम में डालने से भी कहीं आगे तक होता है, ख़ासतौर पर कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के दौर में. असर दर असर, गूंज की गूंज “इन हमलों के असर की गूंज, स्वास्थ्यकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य और अपने काम पर जाने में अनिच्छा के रूप में भी नज़र आती है. साथ ही, स्थानीय समुदाय भी स्वास्थ्य देखभाल हासिल करने में अनिच्छा से प्रभावित होते हैं. इसके अलावा, स्वास्थ्य संकटों के हालात का मुक़ाबला करने के लिये संसाधनों की भारी कमी होने के साथ-साथ, अन्य समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं.” निदेशक अल्ताफ़ मुसानी ने कहा, “किसी एक घटना के, अनेक तरह के प्रभाव - बहुत सारे हैं, और पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिये, दीर्घकालीन गम्भीर परिणाम होते हैं.” उन्होंने सघर्ष के सभी पक्षों का आहवान किया कि वो स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को सम्भव व आसान बनाने के लिये, कामकाजी स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करें, उन्हें हिंसा, जोखिम या भय से मुक्त रखें. “एक हमला, वास्तविकता में बहुत से हमलों के बराबर है.” विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली ने 2012 में प्रस्ताव पारित किया था जिसमें सदस्य देशों ने स्वास्थ्य एजेंसी से, जटिल मानवीय आपदा वाली स्थितियों वाले क्षेत्रों में, स्वास्थ्य देखभाल ढाँचों पर होने वाले हमलों के बारे में जानकारी एकत्र करने और उसका प्रसार करने में, वैश्विक रहनुमाई करने का अनुरोध किया था. उसके बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य ढाँचों पर हमलों के बारे में ये जानकारी जुटाने का कार्यक्रम, दिसम्बर 2017 में शुरू किया था. स्वास्थ्य देखभाल ढाँचों पर हमलों के बारे में व्यवस्थित तरीक़े से जानकारी जुटाने की ज़रूरत को वर्ष 2016 में, सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 2286 से और मज़बूती मिली. इस विश्लेषण के नतीजे, पहले पुष्ट और विश्वसनीय प्रमाण हैं जिनका प्रयोग, स्वास्थ्य देखभाल ढाँचों पर होने वाले हमलों के बारे में समझ बढ़ाने के लिये रिपोर्टें तैयार करने और दीगर विश्लेषण करने के लिये, किया जा सकता है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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