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यूक्रेन युद्ध: संकट काल में महिलाओं की बदलती भूमिका, बच्चों की शिक्षा पर प्रभाव

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक नई रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध से महिलाएँ और अल्पसंख्यक समुदाय विषमतापूर्ण ढँग से अधिक प्रभावित हुए हैं, और उन्हें स्वास्थ्य, सुरक्षा व भोजन सुलभता समेत अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट में हिंसक संघर्ष के कारण बदलते लैंगिक आयामों पर ध्यान केंद्रित किया गया है. महिला सशक्तिकरण के लिये यूएन संस्था, UN Women और अन्तरराष्ट्रीय संगठन, CARE द्वारा किया गया यह अध्ययन, यूक्रेन के 19 क्षेत्रों में लोगों के साथ 2 से 6 अप्रैल के बीच किए गए सर्वेक्षणों और साक्षात्कारों पर आधारित है. युद्ध का तीसरा महीना चल रहा है और चूँकि पुरूषों की युद्ध में भर्ती की गई है, महिलाएँ तेज़ी से घरों की मुखिया और समुदायों में नेतृत्व का काम सम्भाल रही हैं. लेकिन फिर भी, महिलाओं को मानवीय प्रयासों, शान्ति-प्रक्रिया और ऐसे अन्य क्षेत्रों से सम्बन्धित औपचारिक निर्णय प्रक्रिया ज़्यादातर बाहर ही रखा गया है, जो सीधे उनके जीवन को प्रभावित करते हैं. After more than two months of war in #Ukraine, women & minorities are facing immense hardship when it comes to health, safety & access to food due to the crisis. New @unwomenukraine & @CAREGlobal report highlights the disproportionate impact of the war on women & minorities. — UN Women Europe & CIS (@unwomeneca) May 4, 2022 यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक, सीमा बहाउस ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन में मानवीय जवाबी कार्रवाई में महिलाओं व लड़कियों, पुरुषों व लड़कों की विभिन्न ज़रूरतों को ध्यान में रखा जाए, और उनमें वो भी शामिल हों, जो सबसे पीछे छूट गए हैं." इस Rapid Gender Analysis में पाया गया कि विशेष रूप से आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों और हाशिए पर रहने वाले समूहों, जैसे महिला-प्रधान घरों, रोमा समुदाय, विकलांगजन और समलैंगिक, उभयलिंगी, ट्राँस, क्वीयर, इंटरसेक्स या अलैंगिक (एलजीबीटीक्यूआईए+) लोगों पर युद्ध का प्रभाव असमान रूप से पड़ा है. रोमा समुदाय के कई लोगों ने अपने दैनिक जीवन और मानवीय सहायता तक पहुँच, दोनों में गम्भीर भेदभाव का अनुभव करने की जानकारी दी. अवैतनिक देखभाल का बोझ लैंगिक भूमिकाएँ भी बदल रही हैं. जबकि कई पुरुष बेरोज़गार हो गए हैं या सशस्त्र बलों में भर्ती के लिये बुला लिये गए हैं, ऐसे में, महिलाओं ने घरेलू आमदनी के लिये नई भूमिकाएँ व रोज़गार अपनाए हैं. रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के कारण, महिलाओं पर अवैतनिक देखभाल का बोझ काफी बढ़ गया है. स्कूल बन्द हो गए हैं, स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं की मांग बढ़ी है और पुरुष अनुपस्थित हैं. महिलाओं और लड़कियों ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल सुलभता की भी जानकारी दी, विशेष रूप से लिंग आधारित हिंसा (Gender Based Violence) से बचे लोगों और गर्भवती व नई माताओं के लिये. उन्होंने लिंग आधारित हिंसा के बढ़ते डर और भोजन की कमी की भी बात की, ख़ासतौर उन लोगों के लिये जो भीषण संघर्ष वाले क्षेत्रों में हैं. कई प्रतिभागियों ने मानवीय सहायता और सेवाओं तक पहुँचने में आने वाली चुनौतियों व बाधाओं का उल्लेख किया, और लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं एवं पुरुषों ने संकेत दिया कि युद्ध से सबसे अधिक मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है. महिलाओं के लिये जगह बनाएं रिपोर्ट में सरकारों, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय और अन्य पक्षकारों के लिये कई सिफ़ारिशें भी शामिल हैं, जैसेकि नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं व युवाओं को प्राथमिकता देना एवं समान रूप से निर्णयात्मक ज़िम्मेदारियाँ उठाना. यौन व प्रजनन स्वास्थ्य और यौन हमले से बचे लोगों की देखभाल के साथ-साथ, मातृत्व, नवजात व बाल स्वास्थ्य देखभाल को भी प्राथमिकता दी जानी होगी. स्कूल का पूरा साल बरबाद संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने भी बताया है कि युद्ध से, यूक्रेन के बच्चों के जीवन और भविष्य पर किस तरह नाटकीय प्रभाव पड़ रहा है. यूक्रेन में यूनीसेफ़ के प्रतिनिधि, मूरत साहिन ने कहा, "कोविड-19 के व्यवधानों के बाद, यूक्रेन में शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत, बच्चों के लिये आशा के वादे की तरह था." "लेकिन इसके बजाय, सैकड़ों बच्चे मारे गए हैं, और युद्ध के कारण कक्षाओं के बन्द होने व शैक्षिक सुविधाओं के विनाश के कारण स्कूल का सत्र बीच में ही ख़त्म हो गया है." शिक्षा पर चोट रूस के आक्रमण के बाद से, भारी तोपों, हवाई हमलों और अन्य विस्फोटक हथियारों के उपयोग के कारण, देश भर के सैकड़ों स्कूलों के क्षतिग्रस्त होने की सूचना है. अन्य स्कूलों का उपयोग सूचना केन्द्रों, आश्रय स्थलों, आपूर्ति केन्द्रों या सैन्य उद्देश्यों के लिये किया जा रहा है. देश के पूर्व में यूनीसेफ़ समर्थित छह स्कूलों में से कम से कम एक क्षतिग्रस्त या नष्ट हुआ है, जिसमें मारियुपोल में स्थित एकमात्र "सुरक्षित स्कूल" भी शामिल है. "सुरक्षित स्कूल" कार्यक्रम, मुख्य रूप से डोनबास क्षेत्र में किण्डरगार्टन और स्कूलों पर हमलों के मद्देनज़र, शिक्षा मंत्रालय के साथ स्थापित किया गया था, जहाँ 2014 में कुछ क्षेत्रों में रूस समर्थित अलगाववादियों के कब्ज़े के बाद से सशस्त्र संघर्ष शुरू हो गया था. © UNICEF/Adrian Holerga एक नौ वर्षीय यूक्रेनी लड़की, रोमानिया में अपनी माँ और बिल्ली (नीली टोकरी में) के साथ, हाथ में परिवार का चित्र लेकर, शिक्षा केन्द्र में बैठी है. बच्चों के लिये सुरक्षित स्थल यूनीसेफ़ ने कहा कि संकट प्रभावित बच्चों के लिये कक्षाओं में रहना महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह एक सुरक्षित स्थान होता है और हालात सामान्य होने का एक उदाहरण पेश करता है. साथ ही, इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि उनकी शिक्षा न छूट जाए. मूरत साहिन ने कहा, "शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना लाखों बच्चों के लिये आशा या निराशा की भावना के बीच का अन्तर बन सकता है.यह उनके और पूरे यूक्रेन के भविष्य के लिये अहम है." हिंसक संघर्ष के बीच, यूनीसेफ़ और उसके भागीदार, अधिक से अधिक बच्चों को सीखने के सुरक्षित एवं उपयुक्त अवसर प्रदान करने के लिये काम कर रहे हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान विकसित किया गया, कक्षा 5 से 11 का ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम, यूक्रेन में विस्थापित हुए 80 हज़ार से अधिक छात्रों तक पहुँचाया जा रहा है. उत्तरपूर्वी शहर ख़ारकीव में सुरक्षा की तलाश में बच्चे, मेट्रो स्टेशनों पर आश्रय लेने के लिये मजबूर हैं. यूनीसेफ़-समर्थित स्वयंसेवकों ने इन जगहों पर ऐसे स्थान बनाए हैं, जहाँ शिक्षक, मनोवैज्ञानिक और खेल प्रशिक्षक, नियमित रूप से बच्चों के साथ खेलते और सम्वाद करते हैं. अन्य पहलों में, विस्फोटक आयुध जोखिम के बारे में बच्चों को शिक्षित करने के लिये एक डिजिटल अभियान शामिल है, जो 80 लाख उपयोगकर्ताओं तक ऑनलाइन पहुँच रहा है, जबकि एक अन्य ऑनलाइन किण्डरगार्टन मंच पर, नियमित रूप से सैकड़ों-हज़ारों लोग अपने विचार साझा कर रहे हैं. यूक्रेन से लाखों युवा, दूसरे देशों में भी भागकर गए हैं. यूनीसेफ़ इन बच्चों को डिजिटल शिक्षा जैसे वैकल्पिक शिक्षा साधन प्रदान करने के अलावा, उन देशों की राष्ट्रीय स्कूल प्रणाली में शामिल करने के लिये, सरकारों और नगर पालिकाओं की मदद कर रहा है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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