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यूक्रेन: बूचा से जान बचाकर निकल पाना

बूचा. किसी समय राजधानी कीयेफ़ के निकट एक ख़ामोश बस्ती हुआ करती थी, जो अब यूक्रेन में क्रूर युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर आम लोगों की मौत का पर्याय बन चुकी है. अलबत्ता, यूलीया और उनका परिवार, रक्तपात से बचकर निकल सका, और अब उसे अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी (IOM) से सहायता मिल रही है, मगर अभी वो ख़ुद को अपनी नई स्थिति के अनुरूप ढालने में मुश्किलें महसूस कर रहे हैं. वो भी अपने घरों से विस्थापित हुए लाखों अन्य लोगों में शामिल हैं. छह सप्ताह पहले, यूलीया, उनके पति वैलेरी, और उनके छोटे से बेटे अरतेम्को के लिये जीवन बहुत आसान था. वो बूचा के एक शान्त व हरे-भरे इलाक़े में स्थित एक नए मकान में बसने के लिये, हाल ही पहुँचे थे. यूलीया हेयर ड्रेसर के रूप में रोज़गारशुदा थीं और उन्हें तब बहुत अच्छा लगता था जब उनके ग्राहक उनके सैलून से सुन्दर और आश्वस्त होकर बाहर जाते थे. फ़रवरी के अन्तिम दिनों में एक दिन की भयावह सुबह सबकुछ बदल गया. हिंसक, कनफोड़ू और भयावह युद्ध – उत्तर की तरफ़ से दहाड़ता. उनकी बस्ती आग की लपटों में झुलस गई, तो यूलीया ने वहाँ से निकल जाने का निर्णय किया. वो अपने परिवार और अपनी माँ ज़िनैदा के साथ देश के ही भीतर विस्थापित होने वाले लाखों अन्य लोगों में शामिल हो गए. 1 अप्रैल 2022 को योरोप के इस सबसे बड़े देश में आन्तरिक विस्थापितों की संख्या लगभग 71 लाख तक पहुँच गई थी. हिंसा का अन्दाज़ा कठिन © Marian Prysiazhniuk यूक्रेन के बूचा इलाक़े में एक सामूहिक क़ब्र रास्तों व सड़कों पर लगभग चार सप्ताह भटकने के बाद, वो अपनी बस्ती से सैकड़ों किलोमीटर दूर, पश्चिमी प्रान्त ज़करपट्टिया पहुँचे. जब यूलीया ने बूचा में हुए जानमाल के नुक़सान और तबाही की दिल दहला देने वाली तस्वीरें और वीडियो देखीं तो बर्बस उनके आँसू निकल पड़े और कुछ देर के लिये जैसे उनकी आवाज़ गुम हो गई. आख़िरकार उनके मुँह से आवाज़ निकली, “इस क़दर हिंसा के बारे में तो कल्पना करना भी असम्भव है. ये ऐसा कुछ नहीं है जिसकी कल्पना कोई अपने दुश्मन के लिये भी करे, मगर ये ऐसा अवश्य है जिसे ना तो भुलाया जा सकता और ना ही क्षमा किया जा सकता.” यूलीया को अपने पड़ोसियों से मालूम हुआ कि जब उनका परिवार वहाँ से निकल गया था तो उनके अपार्टमेंट पर क़ब्ज़ा कर लिया गया, और उनका सामान भी लूट लिया गया था. जिस फ़ैक्टरी में यूलीया की माँ काम किया करती थीं, वो भी बम हमलों में तबाह हो गई. वैसे तो यूक्रेनी अधिकारियों ने फिर से वहाँ अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है, मगर बारूदी सुरंगों और युद्ध की अन्य अनफटी विस्फोटक सामग्री के ख़तरे के कारण, अभी लोगों को वहाँ वापिस नहीं लौटने दिया जा रहा है. ‘अब यही हमारा घर है’ © Marian Prysiazhniuk यूक्रेन के बूचा में एक तबाह हुआ टैंक. ये इलाक़ा राजधानी कीयेफ़ के बाहरी इलाक़े में स्थित है. यहाँ ज़करपट्टिया में, आख़िरकार उन्हें रोटी नसीब हो रही है. देश के भीतर ही विस्थापित हुए अन्य सैकड़ों लोगों के साथ उन्हें भी एक छोटी बस्ती बुशताइनो के एक स्कूल में बनाए गए अस्थाई आश्र्य स्थल में जगह मिल गई है. जर्मनी, पोलैण्ड और चैक गणराज्य से आए स्वेच्छाकर्मियों ने स्कूल के कमरों को बैडरूम में तब्दील करने के लिये जीतोड़ मेहनत की है. स्कूल के खेलकूद हॉल को, दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं के भण्डार के लिये प्रयोग किया जा रहा है. यूलीया का कहना है, “तो इस तरह अब हम यहाँ है. अब यही हमारा घर है. हमारी ज़रूरत की हर चीज़ हमारे पास है और हमदर्द लोग हमारी हर तरह से मदद कर रहे हैं.” “वैसे तो फ़िलहाल हम ज़मीन पर बिछे गद्दों पर सोते हैं, मगर कम से कम हमारे सिरों के ऊपर मिसाइल तो नहीं उड़ रहे हैं, और मेरा बच्चा सुरक्षित है. इस समय तो बस यही बात सबसे ज़्यादा अहम है.” उन्हें उम्मीद है कि उनका बेटा, डर और भागदौड़ के इन भयावह सप्ताहों की कोई यादें अपने दिमाग़ में नहीं रखेगा. “हमारे पास हमारा कोई बहुत ज़्यादा निजी सामान नहीं है मगर जिस बात को सोचकर मेरा दिल भर आता है वो ये है कि हम अपने बेटे के लिये कोई खिलौना भी साथ नहीं ला सके." "उसे कारें बहुत पसन्द हैं, और हमारे घर पर उसके बहुत से कार खिलौने थे, जिन्हें वो अब भी बहुत याद करता है, और हर समय पूछता रहता है कि वो अपने खिलौनों के साथ खेलने के लिये, कब घर वापिस लौट सकेगा.” “मैं चाहती हूँ कि वो बच्चा ही रहे, खेलकूद में हिस्सा ले और अन्य बच्चों के साथ समय बिताए. अगर उसे कुछ खिलौने या साइकिल मिल जाएँ तो वो बहुत प्रसन्न होगा. और मुझे तो इससे बहुत ख़ुशी होगी ही.” © IOM/Jana Wyzinska अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी (IOM) यूक्रेन में आन्तरिक विस्थापितों को मदद मुहैया करा रहा है. यूक्रेन में यूएन प्रवासन एजेंसी यूएन प्रवासन एजेंसी (IOM) धरातल पर मौजूद रहकर यूलीया और उनके परिवार जैसे विस्थापित लोगों को ज़रूरी मानवीय सहायता उपलब्ध कराती रही है. एजेंसी की सहायता में खाद्य, ग़ैर-खाद्य और स्वच्छता वस्तुओं के अलावा, नक़दी, मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सहारा शामिल है. साथ ही मानव तस्करी और यौन शोषण व दुराचार की रोकथाम में भी मदद की जा रही है. यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से, लगभग 50 हज़ार लोगों को, एजेंसी से मानवीय सहायता मिल चुकी है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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