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यूक्रेन संकट: बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भीषण असर, देखभाल सेवाओं पर ज़ोर

संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहतकर्मियों ने आगाह किया है कि यूक्रेन में पिछले 10 हफ़्तों से जारी युद्ध का बच्चों पर विनाशकारी असर हुआ है, जिसके मद्देनज़र, उनकी मानसिक स्वास्थ्य ज़रूरतों को पूरा करने और मनोसामाजिक समर्थन सुनिश्चित करने के लिये प्रयासों का दायरा व स्तर तेज़ी से बढ़ाया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने शुक्रवार को बताया कि यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के बाद यौन व लिंग-आधारित हिंसा का जोखिम भी बढ़ा है. योरोप व मध्य एशिया में बाल संरक्षण मामलों के लिये यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय परामर्शदाता, ऐरन ग्रीनबर्ग ने कहा, “हम निश्चित रूप से बच्चों के विरुद्ध हिंसा के सभी रूपों के मामलों की संख्या, हज़ारों में पहुँचने की सम्भावना की ओर देख रहे हैं.” Since the start of war in Ukraine, we've reached over 140,000 children and caregivers with mental health and psychosocial support. But above all, children need peace now.https://t.co/d8FYx8JnZX — UNICEF (@UNICEF) May 6, 2022 24 फ़रवरी से पहले, यूक्रेन के अनाथालयों, बोर्डिंग स्कूलों और युवजन के लिये अन्य संस्थानों में 91 हज़ार से अधिक बच्चे रह रहे थे, जिनमें क़रीब आधी संख्या विकलांगजन की है. यूनीसेफ़ ने बताया कि फ़िलहाल, इनमें से क़रीब एक-तिहाई की ही घर वापसी हो पाई है, जिनमें वे बच्चे भी हैं जिनकी देश के पूर्वी और दक्षिणी इलाक़े से सुरक्षित निकासी की गई. यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने यूक्रेन के लिविफ़ से ज़ूम लिंक के ज़रिये जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा, “इस युद्ध का इन बच्चों पर असर विशेष रूप से विनाशकारी रहा है.” “संस्थागत या लालन-पालन केंद्र पर रह रहे हज़ारों बच्चे अपने परिवारों के पास लौटे हैं, जिनसे से अनेक, युद्ध शुरू होने के बाद जल्दबाज़ी में आए. अनेक को ज़रूरत के अनुरूप देखभाल व संरक्षण प्राप्त नहीं हुआ है, विशेष रूप से विकलांगता के साथ रह रहे बच्चों को.” मानसिक सदमा संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बमबारी व हमलों में सैकड़ों युवजन के मारे जाने की निन्दा करते हुए सचेत किया है कि अन्य बच्चों को गम्भीर मानसिक सदमा पहुँचा है. इसकी वजह, शारीरिक व यौन, दोनों प्रकार की हिंसा का प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करना बताया गया है. यूनीसेफ़ परामर्शदाता ग्रीनबर्ग ने ज़ोर देकर कहा कि यदि बच्चे वापिस स्कूल लौट पाते हैं और अपने जीवन को फिर से किसी तरह सामान्य होते देखते हैं, तो वे फिर से उबर व उभर सकते हैं. उनके मुताबिक़, यह पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन में सामाजिक सेवा कार्यबल को भरोसा दिलाया जाए और उन्हें वहाँ उपस्थिति बनाए रखने व मदद प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित किया जाए. उन्होंने कहा कि सदमा पहुँचने के क़रीब दो से चार महीनों के बाद, कुछ को सदमे के बाद तनाव व्याधि (post-traumatic stress disorder) होने की आशंका है. “24 फ़रवरी से, यूनीसेफ़ और अन्य साझीदारों ने एक लाख 40 हज़ार से अधिक बच्चों व उनके देखभालकर्मियों तक, मानसिक स्वास्थ्य व मनोसामाजिक सेवाएँ पहुँचाई हैं.” “मगर इनमें से अधिकाँश, 95 फ़ीसदी, बच्चों और प्रशिक्षित मनोसामाजिक विशेषज्ञों के बीच सीधे तौर पर सम्पर्क व बातचीत है.” © UNICEF/Slava Ratynski पश्चिमी यूक्रेन के वोरोख्ता में एक आश्रय स्थल, जहाँ ख़ारकीफ़ में अनाथालयों से विस्थापित बच्चों की देखभाल की जा रही है. बढ़ती समस्याएँ संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की प्राथमिकता, देखभाल व्यवस्था में रहने वाले युवजन के लिये स्थानीय स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य प्रदाता ग़ैर-सरकारी संगठनों में निवेश बढ़ाना है, जोकि यूक्रेन सरकार की नीति के अनुरूप है. बताया गया है कि पर्याप्त संख्या में पेशेवरों, सामाजिक कार्यकर्ता, बाल मनोवैज्ञानिक और अन्य विशेषज्ञों को ढूँढ पाना आसान नहीं है, चूँकि वे भी इस हिंसक संघर्ष से उतना ही प्रभावित हुए हैं. उन्होंने ऐसे बच्चों का उल्लेख किया जोकि अभी उन संस्थानों में रह रहे हैं, जहाँ से सुरक्षित निकासी सम्भव नहीं हो पाई है. कुछ बच्चे ऐसे लालन-पालन केंद्रों पर रहे हैं, जिनके भुगतान में अस्थाई रूप से व्यवधान आया है, और अन्य बच्चे संरक्षकता व्यवस्था के तहत रह रहे हैं. यानि ऐसे बच्चों की संख्या अविश्वसनीय रूप से अधिक है, जोकि संकट से पूर्व सम्वेदनशाली हालात में रह रहे थे, और जिनके लिये हालात अब और कठिन हो गए हैं. यूक्रेन में, यूनीसेफ़ ने सदमे का शिकार बच्चों को विशेषीकृत स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिये 56 सचल दस्तों को तैनात किया है. बताया गया है कि पूर्वी इलाक़े में 12 समर्पित हिंसा के प्रभावों से निपटने के लिये मोबाइल टीम हैं, जहाँ लड़ाई फ़िलहाल जारी है. पूर्व में अब तक इन मोबाइल टीमों ने महिलों व बच्चों के सात हज़ार मामलों में कम किया है, जिसमें हिंसा-सम्बन्धी सवालों पर जानकारी दी गई है, और आवश्यकता होने पर समर्थन प्रदान किया गया है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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