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यूक्रेन: भारी विनाश' के बीच, 'एक तिहाई आबादी' को सहायता की आवश्यकता

यूक्रेन के लिये संयुक्त राष्ट्र के संकट संयोजक अमीन अवाद ने गुरूवार को पत्रकारों को बताया है कि देश पिछले दो महीनों के दौरान, भारी तबाही और तकलीफ़ों से गुज़र रहा है, और उन्होंने यूएन महासचिव की इस पुकार के साथ अपनी आवाज़ भी बुलन्द की कि “हमें ये रक्तपात और विध्वंस रोकना होगा.” I briefed media in #Ukraine with my colleagues. Key takeaways: ✔️15.7M people in need ✔️7.1M IDPs ✔️6M w/o certain access to water & sanitation ✔️136 hospitals targeted I echo the #SG's call for humanitarian pause to allow safe passage & urgent assistance to hardest hit areas. pic.twitter.com/ssWSdtMXGE — Amin Awad (@UN_Awad_Amin_) April 21, 2022 सहायक महासचिव अमीन अवाद ने, यूक्रेन के पश्चिमी इलाक़े लिविफ़ में एक प्रेस वार्ता में कहा, “यूक्रेन में कम से कम एक करोड़ 57 लाख लोगों को, इस समय मानवीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है...लगभग 50 लाख लोग, सुरक्षा की ख़ातिर अन्य देशों को निकल चुके हैं, और अन्य लगभग 71 लाख लोग, देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं.” “ये संख्या यूक्रेन की पूरी आबादी का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है.” व्यापक पैमाने पर विनाश यूक्रेन युद्ध शुरू होने से लेकर सिविल बुनियादी ढाँचो को भार नुक़सान हुआ है और 136 से ज़्यादा स्वास्थ्य सेवा ठिकानों को निशाना बनाया गया है. हर दिन औसतन लगभग 22 स्कूल भी हमलों की चपेट में आए हैं. उससे भी ज़्यादा जल प्रणालियों को भारी क्षति पहुँचने के कारण, क़रीब 60 लाख लोग, जल तक नियमित पहुँच से वंचित हो गए हैं. अमीन अवाद का कहना था, “यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर दुनिया सदमे में है.” उन्होंने युद्धापराधियों के साथ व्यथित करने वाले बर्ताव को अत्यधिक व्यथित करने वाला क़रार देते हुए कहा कि मारियुपोल में आम लोगों के भाग्य के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इस बीच क़ब्ज़ा किये हुए ख़ेरसॉन में रहने वाले लोगों के पास भोजन व दवाइयों की क़िल्लत हो गई है; माइकोलाइफ़ में सात दिनों से पानी उपलब्ध नहीं है; और अनेक प्रान्तों में नगरीय केन्द्रों व सिविल ढाँचों को हुए भारी नुक़सान ने, लाखों लोगों के लिये अति महत्वपूर्ण सेवाएँ भी बाधित कर दी हैं जिनमें जल व स्वास्थ्य सेवाएँ शामिल हैं. आँखों देखी संयुक्त राष्ट्र के संकट संयोजक ने व्यापक तबाही और विध्वंस को अपनी आँखों से देखकर बयान किया. “मुझे ऐसे लोग मिले जिन्हें बूचा और इरपिन में सड़कों व रास्तों पर, अपने परिजनों और पड़ोसियों के शव उठाने पड़े हैं और उन्हें बाग़ीचों व सामूहिक क़ब्रों में दफ़नाना पड़ा है. मैं उनकी तकलीफ़ों का अन्दाज़ा नहीं लगा सकता.” उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि ग़ैर-लड़ाकों और सिविल ढाँचे पर हमले करना, “अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का खुला उल्लंघन है.” अमीन अवाद ने इन हमलों को तुरन्त रोके जाने की पुकार लगाते हुए, आम लोगों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने और उन्हें सुरक्षित बाहर निकलने का रास्ता दिये जाने का भी आहवान किया. ...जारी... --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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