G-20 सम्मेलन में भारत के साथ दिखने वाले तुर्किये ने एक बार फिर गिरगिट की तरह बदला रंग, जानें कैसे?

तुर्किये के राष्ट्रपति ने आखिर क्यों एक बार फिर उठाया कश्मीर का मुद्दा।
तुर्किये के राष्ट्रपति
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न्यूयॉर्क, (हि.स.)। तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया है। साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों पर निशाना साधकर सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग की है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और सहयोग से ही कश्मीर में स्थायी और न्यायपूर्ण शांति आ सकती है। दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति, स्थायित्व और समृद्धि का मार्ग स्थापित करने के लिए यह होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि तुर्किये विवाद सुलझाने के लिए अपनी तरफ से समर्थन जारी रखेगा। तुर्किेये ने पहले भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है।

अर्दोआन ने पिछले साल भी कश्मीर पर अपना पक्ष रखकर कहा था कि भारत-पाकिस्तान 75 साल से स्वायत्त और स्वतंत्र देश हैं, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे के साथ शांति स्थापित नहीं की है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और हम उम्मीद करते हैं कि कश्मीर में स्थायी शांति और समृ्द्धि स्थापित होगी। इससे पहले 2020 में भी उन्होंने महासभा में चर्चा के दौरान कश्मीर पर बात की थी। हालांकि, भारत ने अर्दोआन के बयानों की निंदा की थी और देश की स्वायत्तता का सम्मान करने की मांग की थी।

इस बार कश्मीर का मुद्दा उठाने के साथ अर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग करते हुए बड़े बदलावों की वकालत करने के लिए भारत की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत एक अहम भूमिका निभा रहा है, लेकिन अर्दोआन ने सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों पर निशाना साधते हुए कहा कि 15 अस्थायी सदस्यों को भी सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनाया जाए। उन्होंने कहा कि पांच स्थायी सदस्यों 15 अस्थायी सदस्यों सहित 20 देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदल-बदलकर स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए, क्योंकि दुनिया इन पांच स्थायी सदस्यों से बड़ी है। दुनिया महज अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस तक सीमित नहीं है।

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