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स्वास्थ्य रक्षा व संक्रमण से बचाव के लिये, हाथों की स्वच्छता पर बल

हाथों की बेहतर साफ़-सफ़ाई और संक्रमण की रोकथाम व नियंत्रण उपायों की मदद से स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों पर होने वाले संक्रमण के 70 फ़ीसदी मामलों की रोकथाम की जा सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संक्रमण रोकथाम व नियंत्रण पर अपनी पहली रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसे अन्य वैज्ञानिकों रिपोर्टों और अध्ययनों से प्राप्त तथ्यों के आधार पर तैयार किया गया है. कोविड-19 महामारी और अन्य बीमारियों के प्रकोप ने दर्शाया है कि स्वास्थ्य देखभाल स्थलों पर संक्रमण के फैलाव का बड़ा ख़तरा हो सकता है. संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने सभी क्षेत्रों व देशों में, संक्रमण रोकथाम व नियंत्रण (Infection Prevention and Control/IPC) के विषय में, अनेक चुनौतियों व कमियों को उजागर किया है. .@WHO launches first ever global report on Infection Prevention and Control - Reveals that good IPC programmes can reduce health care infections by 70%. Read more from: https://t.co/HHO8yCO2WO#globalhealth #healthsystems #HPSR #UHC2030 pic.twitter.com/QyKsSrjYda — Health Systems Global (@H_S_Global) May 6, 2022 इनमें वे देश भी हैं जहाँ इस क्षेत्र में सबसे आधुनिक कार्यक्रम उपलब्ध हैं. रिपोर्ट के अनुसार, देखभाल केंद्रों व अस्पतालों में भर्ती हर 100 मरीज़ों में से, उच्च-आय वाले देशों में सात मरीज़ों, और निम्न व मध्य वाले देशों में 15 मरीज़ों को, कम से कम एक संक्रमण होने की सम्भावना होती है, जिसकी वजह स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ी हो सकती है. औसतन, ऐसे 10 मरीज़ों में से एक की मौत हो जाती है. बताया गया है कि नवजात शिशुओं और गहन देखभाल कक्षों में भर्ती मरीज़ों के लिये जोखिम अधिक होता है. अस्पताल में सेप्सिल का इलाज किये जाने के हर चार में से एक मामले, और सेप्सिस के साथ शरीर के अंगों के सही काम ना करने के क़रीब 50 फ़ीसदी मामले, जिनका इलाज गहन देखभाल में किया जाता है, वो स्वास्थ्य देखभाल से सम्बन्धित है. ‘एक अभूतपूर्व अवसर’ महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि यह रिपोर्ट हालात की समीक्षा और IPC तौर-तरीक़ों के साथ बचाव उपायों के साथ तैयारी करने का एक अभूतपूर्व अवसर प्रदान करती है. इससे सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली में IPC कार्यक्रमों को मज़बूती प्रदान करने में मदद मिलेगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों से जुड़े संक्रमण और एण्टीमाइक्रोबियल प्रतिरोध का लोगों के जीवन पर असर की गणना नहीं की जा सकती है. पिछले पाँच वर्षों में, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने देशों में राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण रोकथाम व नियंत्रण कार्यक्रमों की समीक्षा किये जाने के उद्देश्य से सर्वेक्षण और विश्लेषण किये हैं. 2017-18 से 2021-22 के सर्वेक्षणों से प्राप्त आँकड़ों की तुलना दर्शाती है कि राष्ट्रीय स्तर पर IPC कार्यक्रम वाले देशों का प्रतिशत बेहतर नहीं हुआ है. 2021-22 में केवल 3.8 प्रतिशत देश ही राष्ट्रीय स्तर पर IPC की सभी न्यूनतम अहर्ताओं को पूरा कर रहे थे. वर्ष 2019 में कराये गए एक WHO सर्वेक्षण के अनुसार, स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में से केवल 15 फ़ीसदी ही, संक्रमण रोकथाम व नियंत्रण के लिये न्यूनतम अहर्ताओं को पूरा करते हैं. प्रगति की ओर रिपोर्ट के अनुसार, कुछ प्रगति हासिल की गई है और अधिक संख्या में देशों में IPC फ़ोकल प्वाइंट की नियुक्ति की गई है, इस मद में बजट आवण्टित किया गया है और अग्रिम मोर्चे पर स्वास्थ्यकर्मियों के प्रशिक्षण के लिये पाठ्यक्रम तैयार किया गया है. साथ ही, अहम राष्ट्रीय संकेतकों में हाथों की स्वच्छता की अनिवार्यता को भी स्थापित किया गया है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन के समर्थन से, अनेक देशों ने अपने प्रयासों का स्तर बढ़ाते हुए न्यूनतम आवश्यकताओं का प्रावधान किया है. इस प्रगति को दीर्घकाल में बरक़रार रखने के लिये तत्काल ध्यान दिये जाने और निवेश सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है. यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि इस समय चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि हर देश के लिये, ज़रूरतों के अनुरूप, मानव संसाधन, आपूर्ति व बुनियादी ढाँचा आवण्टित कर पाना सम्भव हो. संगठन ने हर देश में संक्रमण रोकथाम व नियंत्रण उपायों में निवेश बढ़ाये जाने की पुकार लगाई है, ना सिर्फ़ मरीज़ों और स्वास्थ्यकर्मियों की रक्षा के लिये, बल्कि बेहतर स्वास्थ्य नतीजों और देखभाल क़ीमतों में कमी लाने के लिये भी. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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