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एक और वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिये, WHO की नई पहल

ऐरबोवायरस (Arboviruses) से भले ही अधिकाँश लोग शायद परिचित ना हों, मगर विश्व की चार अरब आबादी के लिये ये वायरस एक जानलेवा ख़तरा हैं. इसके मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) ने गुरूवार को एक नई योजना पेश की है ताकि इन विषाणुओं को एक नई महामारी की वजह बनने से रोका जा सके. विश्व में सबसे आम arboviruses से, दुनिया में मच्छरों से फैलने वाली सबसे ख़तरनाक बीमारियाँ होती हैं, जैसेकि डेंगी, पीत ज्वर (yellow fever), चिकुनगुनया और ज़ीका. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ये वायरस पृथ्वी के उष्णकटिबन्धीय (tropical) और उप-उष्णकटिबन्धीय (sub-tropical) हिस्सों में हमेशा मौजूद रहने वाले विशाल ख़तरा हैं. मगर, इनसे विश्व भर में arboviral जनित बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में आपात स्थिति कार्यक्रम के प्रमुख डॉक्टर माइक रायन ने बताया कि गुरूवार को पेश की योजना के ज़रिये, विश्व के विभिन्न हिस्सों में डेंगी, पीत ज्वर, चिकुनगुनया और ज़ीका द्वारा उत्पन्न व्यापक मगर एक दूसरे से जुड़े ख़तरों से निपटना सम्भव होगा. उन्होंने कहा कि इनमें से हर एक बीमारी के लिये, निगरानी प्रयासों, शोध एवं विकास के विभिन्न आयामों में प्रगति तो हुई है, मगर इसके लिये सततता, केवल रोग-आधारित परियोजनाओं की अवधि व उनके दायरे तक ही सीमित है. “उपलब्ध औज़ारों की फिर से तत्काल समीक्षा किये जाने की ज़रूरत है कि ये किस तरह विभिन्न रोगों के लिये इस्तेमाल में लाये जा सकते हैं ताकि, दक्ष कार्रवाई, तथ्य-आधारित तौर-तरीक़ों, प्रशिक्षित व सुसज्जित कर्मियों और समुदायों के साथ सम्पर्क सुनिश्चित किया जा सके.” ‘Global Arbovirus Initiative’ नामक इस वैश्विक पहल के ज़रिये जोखिम निगरानी, महामारी रोकथाम, तैयारी, पता लगाने और प्रतिक्रिया पर संसाधन केंद्रित किये जाएंगे. © UNICEF/Mark Naftalin दक्षिण सूडान के बियेनिथियांग में, दो बच्चियाँ एक मच्छरदानी में बैठकर बात कर रही हैं. arboviruses जनित महामारियों के प्रकोप की आवृत्ति और आकार को ध्यान में रखते हुए, अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों को अति-अहम माना गया है. विशेष रूप से जहाँ ये एडीज़ मच्छरों द्वारा फैलते हैं. संगठन ने आगाह किया है कि जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण बढ़ने से इन रोगों का दायरा बढ़ रहा है. बीमारियों का प्रकोप हर वर्ष, डेंगू बुखार से 130 देशों में 39 करोड़ लोग पीड़ित होते हैं, जिससे रक्तस्रावी बुखार और मौत तक हो सकती है. पीत ज्वर 40 देशों के लिये एक बड़ा जोखिम है, जिससे पीलिया (jaundice), गम्भीर रक्तस्रावी बुखार और मौत होने का ख़तरा होता है. चिकुनगुनया उतना आम नहीं है, मगर इसका जोखिम 115 देशों में मौजूद है और इससे गम्भीर, जोड़ों को दुर्बल बना देने वाली स्थिति हो जाती है. ज़ीका वायरस वर्ष 2016 में तब चर्चा में आया, जब यह जन्मजात विकार, जैसेकि शिशुओं के सिर का आकार कम हो जाने (microencephaly) की वजह के रूप में देखा गया. इसके मामले अब तक कम से कम 89 देशों में दर्ज किये जा चुके हैं. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़, पीत ज्वर के लिये वैक्सीन मौजूद है, मगर अन्य बीमारियों से रक्षा का सर्वोत्तम उपाय, मच्छरों के काटने से रक्षा करना है. स्वास्थ्य विषमता डॉक्टर रायन का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दबाव के बावजूद, WHO की इस पहल की प्रति मज़बूत दिलचस्पी देखी गई है. यह इसलिये भी है, चूँकि क्षेत्रों मे बड़े सत्र पर arboviral बीमारियों के फैलने के प्रति चिन्ता तेज़ी से बढ़ रही है, और यह उन आबादियों के लिये ज़्यादा बड़ा ख़तरा है, जोकि इससे निपटने के लिये सबसे कम तैयार हैं. स्वास्थ्य संगठन की इस योजना में, अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्य केंद्रों में arboviral वायरस से निपटने के लिये क्षमता निर्माण पर विशेष बल दिया गया है. डॉक्टर रायन ने भरोसा दिलाया है कि इन रणनैतिक तैयारी योजनाओं की अगुवाई करने, उन्हें समर्थन प्रदान करने और देशों व साझीदारों के एक वैश्विक गठबंधन को आकार देने के लिये उनका संगठन तैयार है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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