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अन्तरिक्ष उद्योग में कार्यरत महिलाओं का हिस्सा महज़ 20 फ़ीसदी

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नए आँकड़े दर्शाते हैं कि अन्तरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष सैक्टर में रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या, कुल कार्यबल का केवल 20-22 फ़ीसदी है. यह आँकड़ा मोटे तौर पर तीन दशक पहले के अनुपात के ही समान है. सोमवार को ‘विश्व अन्तरिक्ष सप्ताह’ की शुरुआत हुई है, जिसकी थीम ‘अन्तरिक्ष में महिलाएँ’ रखी गई है. इसके तहत अन्तरिक्ष उद्योग में लैंगिक समानता को बढ़ावा दिये जाने सहित अन्य मुद्दों को रेखांकित किया जा रहा है. Happy #WorldSpaceWeek2021🚀🌌, an annual reminder of two important milestones in #SpaceHistory🛰️📜 declared by #UNGA in 1999. #WSW2021 focuses on historical and current #WomenInSpace. Stay tuned for the #UNOOSA campaign focused on our #Space4Women Project & its mentors! pic.twitter.com/P0keC0sOpQ — UNOOSA (@UNOOSA) October 4, 2021 इसका उद्देश्य लैंगिक विविधिता की अहमियत के प्रति जागरूकता का प्रसार करना और उन अवरोधों की शिनाख़्त करना है, जिनका सामना अन्तरिक्ष-सम्बन्धी क्षेत्रों में अपना करियर बनाने के लिये प्रयासरत महिलाओं को करना पड़ता है. बताया गया है कि मौजूदा विषमताओं का अन्त करने के लिये हो रही चर्चाओं में योगदान दिया जाएगा. इसके अलावा, यह भी दर्शाने का प्रयास किया जाएगा कि विविध पृष्ठभूमियों और क्षेत्रों से आने वाली महिलाओं को अन्तरिक्ष उद्द्योग में किन मुद्दों व चुनौतियों को झेलना पड़ता है. लैंगिक समानता विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) विषयों में शिक्षा और करियर बनाने में पसरी व्यापक लैंगिक विषमता लम्बे समय से एक मुद्दा रही है. विकसित और विकासशील देशों में विषमतापूर्ण हालात बताए गए हैं. नया शोध दर्शाता है कि सभी क्षेत्रों में STEM विषयों में महिलाओं का शोधकर्ताओं के रूप में प्रतिनिधित्व अब भी कम है. वैश्विक स्तर पर यह औसत लगभग 28 फ़ीसदी है. एयरोस्पेस उद्योग में महिलाओं की संख्या पिछले तीन दशकों से क़रीब 20 फ़ीसदी बनी हुई है. अब तक सिर्फ़ 11 प्रतिशत अन्तरिक्ष यात्री महिलाएँ हैं. वृहद अन्तरिक्ष मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी (UNOOSA) ने इन चुनौतियों से निपटने और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिये, Space4Women नामक एक पहल की शुरुआत की है. ‘बेहतर भविष्य’ यूएन एजेंसी की प्रमुख सिमोनेट्टा डी पिप्पो के मुताबिक़ एक बेहतर भविष्य के लिये समानता एक पूर्व शर्त है. “महिलाओं के लिये अन्तरिक्ष का अर्थ, बढ़ी हुई जागरूकता, क्षमता व कौशल, दुनिया भर में युवा महिलाओं व लड़कियों का सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है.” अब तक 560 लोगों ने अन्तरिक्ष की यात्रा की है, मगर इनमें महिलाओं की संख्या 70 से भी कम है. अन्तरिक्ष में चहलकदमी करने वाले 225 यात्रियों में केवल 15 महिलाएँ हैं. एयरोस्पेस और प्रतिरक्षा क्षेत्र में महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) का अनुपात 19 प्रतिशत है, जबकि तेज़ी से बढ़ता यह सैक्टर, ज़्यादा आय वाले रोज़गार की सम्भावना प्रदान करता है. इससे महिलाओं को वित्तीय नज़रिये से ज़्यादा आजादी और सशक्तिकरण हासिल हो सकता है. यूएन एजेंसी का कहना है कि भविष्य में, 90 फ़ीसदी रोज़गारों में STEM सम्बन्धी कौशलों की आवश्यकता होगी और भावी रोज़गार बाज़ार में प्रतिस्पर्धा के लिये महिलाओं को भी ज़रूरी कौशल व शिक्षा से लैस होना होगा. यूएन के मुताबिक़, 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों को छूने के लिये, दुनिया को यह सुनिश्चित करना होगा कि अन्तरिक्ष से प्राप्त होने वाले लाभों को महिलाओं व लड़कियों तक पहुँचाया जाए. इसके समानान्तर, महिलाओं व लड़कियों को अन्तरिक्ष विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, नवाचार और पर्यवेक्षण में सक्रिय व समान भूमिका निभानी होगी. नए मोर्चे 4 अक्टूबर 1957 को मानव-निर्मित पहले सैटेलाइट, स्पूतनिक 1 को छोड़े जाने के ज़रिये अन्तरिक्ष अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त हुआ था. अन्तरिक्ष युग की शुरुआत से ही, संयुक्त राष्ट्र पूर्ण मानवता के लिये वृहद अन्तरिक्ष को एक नए मोर्चे के रूप में देखता आया है. वर्ष 1958 में यूएन महासभा ने वृहद अन्तरिक्ष मामलों पर अपने पहले प्रस्ताव को पारित किया, जिसमें वृहद अन्तरिक्ष के शान्तिपूर्ण इस्तेमाल के सवाल का उल्लेख है. इसके एक दशक बाद, 10 अक्टूबर 1967 को वृहद अन्तरिक्ष के इस्तेमाल व पर्यवेक्षण के सिलसिले में देशों की गतिविधियों को संचालित करने वाले सिद्धान्तों पर सन्धि को लागू किया गया. अन्तरिक्ष विज्ञान और टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल विविध प्रकार की यूएन गतिविधियों को समर्थन देने के लिये किया जा रहा है. इस क्रम में, विश्व बैन्क और कम से कम 25 संस्थाएँ, विकसित किये जा रहे नए समाधानों का नियमित रूप से इस्तेमाल कर रही हैं. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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