शीतकालीन ओलंपिक की फ्लाइंग मशाल के पीछे एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी
बीजिंग, 15 फरवरी (आईएएनएस)। वर्तमान पेइचिंग शीतकालीन ओलंपिक के दो प्रमुख विषय हैं तकनीक और हरित। चाहे स्थल निर्माण हो या प्रतियोगिता का आयोजन या उपकरण और सुविधाएं, सभी पहलू इन दो प्रमुख विषयों को प्रदर्शित करते हैं। मशाल शीतकालीन ओलंपिक के सबसे विशिष्ट प्रतीकों में से एक है। वर्तमान शीतकालीन ओलंपिक की मशाल फ्लाइंग ने शीतकालीन ओलंपिक के इतिहास में पहली बार मशाल से शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल किया है। इसके पीछे एयरोस्पेस हाई-टेक का इस्तेमाल किया गया है। फ्लाइंग वर्तमान शीतकालीन ओलंपिक में उपयोग की जाने वाली हाथ से चलने वाली मशाल का नाम है। इसमें ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया गया है और यह दुनिया की पहली उच्च दबाव वाली हाइड्रोजन मशाल है, जिसने शीतकालीन ओलंपिक के इतिहास में मशाल से शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त किया है। फ्लाइंग मशाल को विशेष रूप से 2022 पेइचिंग शीतकालीन ओलंपिक के लिए रॉकेट का निर्माण करने वाले चीन के एयरोस्पेस-संबंधित वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। मशाल बनाने के लिए रॉकेट तकनीक का उपयोग करना नई बात है। शीतकालीन ओलंपिक के मशालों की उच्च विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए चीन के एयरोस्पेस विशेषज्ञों ने मशालों के लिए एक विशेष परीक्षण आधार बनाया है। परीक्षण शुरू होने के बाद, आप वहां हवा और बारिश को स्पष्ट रूप से महसूस कर सकते हैं और हवा की गति लगभग आठवें स्तर तक पहुंच जाती है। कठोर वातावरण के सामने मशाल को स्थिर रखने के लिए, शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के विशेष जलवायु वातावरण जैसे तेज हवा, भारी बारिश और कम तापमान का अनुकरण किया और विभिन्न परिस्थितियों में 300 से अधिक परीक्षण किए, और अंत में मशाल की उच्च विश्वसनीयता सुनिश्चित की। (साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) --आईएएनएस एएनएम