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विरोध प्रदर्शनों पर तालेबान का हिंसक होता रवैया – यूएन मानवाधिकार कार्यालय की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने आगाह किया है कि अफ़ग़ानिस्तान के अनेक हिस्सों में, नया तालेबान प्रशासन पिछले चार सप्ताह से, शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध हिंसक कार्रवाई को अंजाम दे रहा है. इस दौरान गोलियों, लाठियों और कोड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है. Peaceful protesters across #Afghanistan have faced an increasingly violent response over past 4 weeks. We call on the Taliban to immediately cease use of force & arbitrary detention of those exercising their right to peaceful assembly, incl. journalists: https://t.co/gNCVDh0VGw pic.twitter.com/5dxtg8SMn1 — UN Human Rights (@UNHumanRights) September 10, 2021 यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को तालेबान ने एक नया आदेश जारी किया, जिसमें बग़ैर अनुमति के सभाएँ आयोजित किये जाने पर पाबन्दी लगा दी गईं. इसके एक दिन बाद, दूरसंचार कम्पनियों को, राजधानी काबुल के कुछ ख़ास हिस्सों में मोबाइल फ़ोन पर इण्टरनेट की उपलब्धता पर रोक लगाने का आदेश दिया गया. यूएन एजेंसी के मुताबिक इस गहरी अनिश्चितता के समय में सड़कों पर उतर रहे अफ़ग़ान महिलाओं और पुरुषों की आवाज़ों को सुना जाना, सत्ता में बैठे लोगों के लिये अहम है. “हम तालेबान से बलप्रयोग, शान्तिपूर्ण ढँग से सभा के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे लोगों और विरोध प्रदर्शन की कवरेज कर रहे पत्रकारों को मनमाने ढँग से हिरासत में लिये जाने पर तत्काल रोक का आग्रह करते हैं.” असहमतियों के स्वर यूएन मानवाधिकार कार्यालय के मुताबिक, 15 अगस्त के बाद से ही अफ़ग़ानिस्तान में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और बुधवार तक उनकी संख्या बढ़ती जा रही थी. इसके बाद ही ग़ैरक़ानूनी सभाओं पर पाबन्दियाँ लगाई गई हैं. 15 से 19 अगस्त के दौरान, नान्गरहार और कुनार प्रांत में लोग राष्ट्रीय ध्वज के साथ आयोजनों के लिये एकत्रित हुए. विश्वसनीय ख़बरों के अनुसार, उस अवधि में तालेबान द्वारा कथित तौर पर, भीड़ को तितर-बितर करने के दौरान, एक पुरुष और एक लड़के की कथित रूप से मौत हो गई और आठ लोग गोलीबारी में घायल हो गए. 7 सितम्बर को, रात में एक प्रदर्शन के दौरान तालेबान ने कथित रूप से दो लोगों की हत्या कर दी और सात इस कार्रवाई में ज़ख्मी हो गए. उसी दिन काबुल में विश्वसनीय रिपोर्टों के मुताबिक तालेबान ने प्रदर्शनकारियों की पिटाई की और उन्हें हिरासत में ले लिया, जिनमें अनेक महिलाएँ और 15 पत्रकार शामिल हैं. बुधवार को महिला प्रदर्शनकारियों के एक बड़े प्रदर्शन के दौरान, काबुल के दश्ती-बार्ची इलाक़े में कम से कम पाँच पत्रकारों को हिरासत में ले लिया गया और दो को कई घण्टों तक बुरी तरह पीटा गया. यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने बताया कि फैज़ाबाद शहर में महिलाओं द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के दौरान, तालेबान ने हवा में गोलियाँ चलाईं और अनेक प्रदर्शनकारियों की पिटाई की. इनमें, अनेक महिलाएँ और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हैं. काबुल में महिलाओं के एक छोटे से समूह को हिंसक तरीक़े से तितर-बितर किया गया और तालेबान ने उनके सिरों के ऊपर से गोलियाँ चलाईं. UNAMA/Fardin Waezi काबुल में, पत्रकारों के ख़िलाफ़ अपराधों को रोकने के लिये मनाए जाने वाले दिवस पर, कुछ पत्रकारों की मौजूदगी (नवम्बर 2018) उसी दिन कपिसा और टकहार प्रान्तों में महिलाओं को हिंसक ढँग से तितर-बितर किया गया और अनेक महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया. अन्तरराष्ट्रीय क़ानून यूएन एजेंसी की प्रवक्ता ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि शान्तिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों के तहत रक्षा प्रदान की गई है. रवीना शमदासानी के अनुसार तालेबान प्रशासन को, एक सुरक्षित, सामर्थ्यवान और बिना किसी भेदभाव के, माहौल का निर्माण करना होगा ताकि लोग अपने मानवाधिकारों का इस्तेमाल कर सकें. इनमें अभिव्यक्ति की आज़ादी और शान्तिपूर्ण ढँग से एकत्र होने का अधिकार भी हैं. बताया गया है कि शान्तिपूर्ण सभाओं पर पूर्ण रूप से पाबन्दी, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है और यही बात इण्टरनेट माध्यमों पर रोक के लिये लागू है, जो कि आवश्यकता और अनुपातिकता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं.    उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि घटनाक्रम की कवरेज में जुटे पत्रकारों के विरुद्ध, किसी भी प्रकार की बदले की भावना से कार्रवाई या उनके उत्पीड़न से बचा जाना होगा. यूएन एजेंसी के प्रवक्ता ने ध्यान दिलाया कि यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि अन्तिम उपाय के तौर पर ही बल का प्रयोग किया जाए. तभी जब यह बेहद आवश्यक हो, और इन हालात में, ज़रूरत के अनुरूप बल और आग्नेय अस्त्रों का उपयोग तभी किया जाए जब मौत या गम्भीर चोट का ख़तरा हो. बढ़ती भुखमरी इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने शुक्रवार को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक बदहाली और अनिश्चितता के बीच भुखमरी बढ़ रही है. © WFP/Arete यूएन एजेंसियाँ, अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में, ज़रूरतमन्द लोगों को भोजन व कम्बल वग़ैरा मुहैया करा रही हैं. लगभग 93 फ़ीसदी घरों के लिये भरपेट खाना सम्भव नहीं है. हर चार में से तीन परिवार अपनी ख़ुराक कम कर रहे हैं और वे माँगकर भोजन करने के लिए मजबूर हैं. 21 अगस्त से 5 सितम्बर तक सभी 34 प्रान्तों में कराये गए एक सर्वेक्षण के नतीजे दर्शाते हैं कि परिवारों को अब सस्ती, कम पोषक खाद्य सामग्री ख़रीदने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है और अपने बच्चों को खाना देने के लिये, अक्सर माँ-बाप को भूखा रहना पड़ रहा है. 15 अगस्त और तालेबान द्वारा सत्ता हथिया जाने से पहले, 81 फ़ीसदी घरों में पहले ही पेट भर भोजन उपलब्ध नहीं था और हर तीन में से एक अफ़ग़ान खाद्य असुरक्षा की चपेट में था. यूएन एजेंसी के मुताबिक परिवारों को अब कम प्रोटीन-युक्त भोजन करना पड़ रहा है – 15 अगस्त से पहले यह हर सात दिन में एक बार था, जो कि अब बढ़कर 15 दिन में एक बार हो गया है. यूएन एजेंसी ने सचेत किया है कि सर्दी के आगमन से पहले और आर्थिक बदहाली के दौरान, ज़रूरतमन्द अफ़ग़ान जनता तक सहायता पहुँचाने का समय तेज़ी से बीता जा रहा है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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