
नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। एशियन गेम्स में 41 साल बाद घुड़सवारी में गोल्ड मेडल का सपना चार नौजवानों ने पूरा किया है। एशियन खेलों में भारत ने 1982 में तीन गोल्ड मेडल जीता था। अब 2023 में गोल्ड मिलना हमें जीतना खुशी दे रहा, उतना इन नौजवानों और उनके परिवार के लिए आसान नहीं था। इस गोल्डन चौकड़ी में शामिल इंदौर की बेटी सुदिप्ति हजेला को घुड़सवारी की प्रैक्टिस कराने के लिए परिवार ने कर्ज लिया था। 19 साल की सुदिप्ति को घुड़सवारी के लिए विदेश जाना था। ढाई लाख रुपए महीने के किराए पर घोड़ा लिया था। घोड़े की देखभाल करने के लिए नौकर रखने के पैसे नहीं थे तो परिवार ने खुद घोड़े की लीद साफ की। घोड़े को नहलाया।
फ्रांस में की तैयारी
सुदिप्ति ने इंदौर में तैयारी करने के बाद एशियन गेम्स के लिए फ्रांस का रुख किया। परिवार ने इस पर भी सहमति जताई। उसे फ्रांस भेजा और उसका पूरा खर्च उठाया। आज भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने पर परिवार का कहना है कि उनके त्याग और बलिदान सफल हुए। सुदिप्ति नेशनल और इंटरनेशनल स्तर के कई खिताब जीत चुकी हैं।
हृदय विपुल
गोल्डन चौकड़ी में शामिल हृदय विपुल चेड़ा मुंबई के रहने वाले हैं। इन्होंने भी फ्रांस में घुड़सवारी की ट्रेनिंग ली है। यह सीडीआई इवेंट जीतने वाले इकलौते भारतीय घुड़सवार हैं।
अनुष अग्रवाल
अनुष अग्रवाल कोलकाल के रहने वाले हैं। इन्हें जर्मनी में घुड़सवारी की ट्रेनिंग ली है। यह भी नेशनल और इंटरनेशनल स्तर की कई प्रतियोगिताओं में खिताब जीता है।
दिव्यकीर्ति सिंह
दिव्यकीर्ति सिंह राजस्थान के जयपुर की रहने वाली हैं। यह भारतीय घुड़सवारी ड्रेसाज टीम की सदस्य हैं। इन्हें विरासत में घुड़सवारी मिली है। इनके पिता विक्रम सिंह राठौड़ लंबे समय तक राजस्थान पोलो संघ से जुड़े रहे हैं। दिव्यकीर्ति तीन बार की नेशनल चैंपियन हैं। यह एक साल से जर्मनी में ट्रेनिंग ले रही हैं।
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