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विदेशी सहायता में कटौतियों के कारण एसडीजी ख़तरे में

संयुक्त रॉष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार को आगाह करते हुए कहा है कि देशों की सरकारों द्वारा हाल के समय में विदेशी सहायता बजट में कटौतियाँ किये जाने के कारण, 2030 के टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में विश्व की सामर्थ्य पर प्रत्यक्ष, नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख कार्यकारी बोर्ड की एक बैठक के बाद ये चेतावनी जारी की है जिसमें 30 संगठनों के प्रमुखों ने शिरकत की और कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक पुनर्बहाली में उत्पन्न गतिरोधों को दूर करने और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रयासों में जान फूँकने के उपायों पर चर्चा की गई. At a time when global conflicts are at their highest levels since the creation of the @UN, investing in development is the best way to prevent crises and maintain peace - @antonioguterres following the spring session of the UN's Chief Executives Board: https://t.co/wBRUDMrE2z — UN Spokesperson (@UN_Spokesperson) May 13, 2022 लगातार चुनौतियाँ उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि समय के इस दौर ने अनेक चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं जिनमें जलवायु आपदा, असमान आर्थिक पुनर्बहाली, और खाद्य, ऊर्जा व क़र्ज़ के तिहरे संकट शामिल हैं, और इन सबमें यूक्रेन पर रूसी हमले के कारण और भी बढ़ोत्तरी हुई है. एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में फिर से जान फूँकने के लिये संयुक्त राष्ट्र की सामर्थ्य में, सबसे अहम कारक – पूर्वानुमानित और अतिरिक्त धन की व्यवस्था सुनिश्चित करना है. उन्होंने ये भी ध्यान दिलाया कि देशों की सरकारों ने, अपनी सकल राष्ट्रीय आय का 0.7 प्रतिशत हिस्सा विदेशी सहायता के लिये मुहैया कराने के संकल्प दिये हुए हैं, ये एक ऐसा लक्ष्य है जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव में 1970 में निर्धारित किया गया था. उन्होंने हालाँकि ये भी बताया कि अनेक देशों ने इस लक्ष्य को ना केवल पूरा किया है बल्कि कुछ देशों ने लक्ष्य से भी ज़्यादा योगदान किया है. प्रतिबद्धताएँ पलट दीं यूएन प्रमुख ने अलबत्ता ये भी कहा कि हाल के समय में ऐसे संकेत मिले हैं कि कुछ सदस्य देश विदेशी विकास सहायता बजट में बड़ी कटौतियाँ कर रहे हैं, जोकि उनके पूर्व संकल्पों के उलट है. उन्होंने कहा कि इन कटौतियों का टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति पर प्रत्यक्ष नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. “ये बहुत चिन्ताजनक बात है और मैं सदस्य देशों से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूँ क्योंकि हमारे बीच कमज़ोर हालात में रहने वाले लोगों के लिये, समय के इन उथल-पुथल वाले चरणों में, इनके बहुत गम्भीर परिणाम होंगे.” उन्होंने टिकाऊ विकास लक्ष्यों के महत्वकांक्षी उद्देश्यों की प्राप्ति में व्यापक राष्ट्रीय रणनीतियों के समर्थन में संयोजन मज़बूत करने के लिये, संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता दोहराई. ध्यान रहे कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर वर्ष 2015 में 193 सदस्य देशों ने सहमति व्यक्त की थी और इनमें निर्धनता उन्मूलन, पृथ्वी संरक्षण और सभी के लिये सुलभ शान्ति व समृद्धि का निर्माण करना शामिल है. यूएन प्रमुख ने कहा, “हम परिणाम दे सकते हैं और ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि वो उन लोगों की ज़रूरतों व अधिकारों की पूर्ति करें जिनकी मदद करने की ज़िम्मेदारी हम पर है.” उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जबकि वैश्विक संघर्ष, संयुक्त राष्ट्र के वजूद में आने के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर हैं, सबूतों से झलकता है कि संकटों की रोकथाम और अन्तरराष्ट्रीय शान्ति क़ायम रखने के लिये, विकास में संसाधन निवेश करना सर्वश्रेष्ठ रास्ता है, जोकि संयुक्त राष्ट्र का भी केन्द्रीय मिशन है. “रोकथाम को, मेरे एजेण्डा के केन्द में जगह मिली हुई है.” --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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