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सऊदी अरब: एक दिन में 81 लोगों को फाँसी दिये जाने की निन्दा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने सऊदी अरब में, आतंकवाद से सम्बन्धित अपराधों के आरोप में, एक ही दिन में 81 लोगों का सिर क़लम किये जाने की निन्दा की है. मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने सऊदी अरब में, गत शनिवार को सामूहिक दण्ड के बाद सोमवार को जारी अपने वक्तव्य में, देश के अधिकारियों से, "देश के आतंकवाद विरोधी क़ानूनों को पूरी तरह से अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने का" आग्रह किया. “I condemn #Saudi Arabia’s mass #execution on Saturday of 81 people on #terrorism -related charges,” @mbachelet. “Despite a global move away from the #deathpenalty, Saudi Arabia is among some 38 countries that continue to implement it.”https://t.co/AyFGwk3mSr pic.twitter.com/oe9D3FWei7 — UN Human Rights (@UNHumanRights) March 14, 2022 सामूहिक दण्ड की इस घटना में केवल एक ही दिन में, 2021 के दौरान पूरे वर्ष में कुल 67 व्यक्तियों को दिये गए मृत्यु दण्ड से भी ज़्यादा संख्या में लोगों का सर क़लम किया गया. अनुचित मुक़दमे मिशेल बाशेलेट ने कहा कि 12 मार्च को दिये गए सामूहिक मृत्यु दण्ड में, 41 शिया अल्पसंख्यक समुदाय के मुसलमान थे, जिन्होंने 2011-12 में अधिक राजनैतिक भागेदारी की मांग करते हुए, सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. अन्य सात लोग यमन के थे, और एक व्यक्ति सीरियाई नागरिक था. उन्होंने कहा, "हमारी निगरानी से संकेत मिलता है कि इनमें से कुछ लोगों को ऐसे मुक़दमे चलाने के बाद मौत की सज़ा दी गई है, जो निष्पक्ष मुक़दमों और उचित प्रक्रिया की गारण्टी को पूरा नहीं करते थे, और सबसे गम्भीर अपराधों के दायरे में नहीं आते, जैसाकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत आवश्यकता है. मानवाधिकार उच्चायुक्त ने यह भी चिन्ता व्यक्त की कि फाँसी दिये जाने के कुछ मामले, यमन में चल रहे सशस्त्र संघर्ष से भी जुड़े हुए प्रतीत होते हैं, जो हूथी विद्रोहियों और सऊदी नेतृत्व वाले गठबन्धन के समर्थन वाली सरकार के बीच चल रहा है. उस सरकार को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की भी मान्यता प्राप्त है. सम्भावित युद्धापराध संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख ने याद दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवीय क़ानून के तहत आवश्यक "निष्पक्ष परीक्षण गारंटी" प्रदान नहीं करने वाले मुक़दमों के बाद, मौत की सज़ा दिया जाना प्रतिबन्धित है और इन्हें "युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है". इसके अलावा मृत्यु दण्ड, मानव अधिकारों और गरिमा के मौलिक सिद्धान्तों, जीवन के अधिकार और यातना की निषिद्धता के अधिकारों से मेल नहीं खाता है. उन्होंने कहा कि मृत्यु दण्ड के पीड़ितों के सम्बन्धियों को उनके प्रियजनों को फाँसी दिये जाने की परिस्थितियों के बारे में जानकारी देने में विफलता "यातना और दुर्व्यवहार" की परिभाषा के दायरे में गिनी जा सकती है. संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा, "अधिकारियों को मारे गए लोगों के शव, उनके परिवारों को लौटाने चाहिये". व्यापक वर्गीकरण मिशेल बाशेलेट ने सऊदी अरब के क़ानून में आतंकवाद की अत्यन्त व्यापक परिभाषा पर अपनी चिन्ता व्यक्त की, जिसमें ऐसे अहिंसक कृत्य भी शामिल हैं जो कथित तौर पर "राष्ट्रीय एकता को ख़तरे में डालते हैं" या "देश की प्रतिष्ठा को कमज़ोर करते हैं." उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा, "इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शान्तिपूर्ण सभा के अपने अधिकारों का प्रयोग करने वाले लोगों का अपराधीकरण किये जाने का जोखिम उत्पन्न होता है." दुनिया भर में मृत्यु दण्ड से दूर हटने की मुहिम के बावजूद, सऊदी अरब ऐसे 38 देशों में शामिल है जहाँ मृत्यु दण्ड दिया जाना जारी है. मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा, "मैं सऊदी अधिकारियों से फाँसी के सभी मामलों पर तत्काल विराम लगाने, मौत की सज़ा दिये जाने पर स्वैच्छिक रोक लगाने और मौत की सज़ा सुनाए जा चुके लोगों की सज़ा को, कम सज़ा में तब्दील किये जाने का आहवान करती हूँ." --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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