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सहेल क्षेत्र: अगले तीन महीनों में, एक करोड़ 80 लाख लोगों पर गम्भीर भूख का संकट 

अफ़्रीका के सहेल क्षेत्र में अगले तीन महीनों के दौरान, एक करोड़ 80 लाख लोगों के समक्ष गम्भीर खाद्य असुरक्षा का संकट है, जोकि वर्ष 2014 के बाद से सबसे बड़ी संख्या है. इसके मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र ने बुरकिना फ़ासो, चाड, निजेर और माली में मानवीय राहत प्रयासों को तत्काल मज़बूती देने के इरादे से तीन करोड़ डॉलर की अतिरिक्त सहायता धनराशि की जारी की है. यूएन एजेंसी के अवर महासचिव और आपात राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने आगाह किया कि, “सहेल में पूरे परिवार, भुखमरी के कगार पर हैं.” “हिंसा, असुरक्षा, गहरी निर्धनता, और खाद्य क़ीमतों में रिकॉर्ड उछाल का मेल, कुपोषण को और भी गहरा कर रहा है, और लाखों लोगों के लिये जीवित रहना भी मुश्किल बना रहा है.” मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिये यूएन कार्यालय (UNOCHA) ने शुक्रवार को बताया कि सहेल क्षेत्र में, पाँच वर्ष से कम उम्र के 77 लाख बच्चों पर कुपोषण का जोखिम मंडरा रहा है. “In our world of plenty, I will never accept the death from hunger of a single child, woman or man,” said @antonioguterres as he announced the release of $30 million from @UNCERF to respond to urgent food security and nutrition needs in Niger🇳🇪, Mali🇲🇱, Chad🇹🇩 & Burkina Faso🇧🇫. https://t.co/0Nx3FGYCVm pic.twitter.com/SfRy76aK1m — CERF - The UN's emergency fund (@UNCERF) May 20, 2022 इनमें से क़रीब 18 लाख गम्भीर कुपोषण का शिकार हैं. यूएन एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि अगर राहत अभियान का दायरा व स्तर नहीं बढ़ाया गया, तो गम्भीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या इस वर्ष के अन्त तक 24 लाख तक पहुँच जाएगी. खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में उछाल से संकट गहरा हुआ है जिसकी वजह, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध बताया गया है. इससे खाद्य सुरक्षा संकट के एक मानवीय आपदा में तब्दील होने की ख़तरा है. मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि “अगर हमने अभी कार्रवाई नहीं की तो लोग तबाह हो जाएंगे.” यूएन एजेंसी का कहना है कि बुरकिना फ़ासो, चाड, माली, निजेर में हालात बेहद चिन्ताजनक स्तर पर पहुँच गया है. इन देशों में क़रीब 17 लाख लोगों को जून और अगस्त महीनों के दौरान आपात स्तर की खाद्य असुरक्षा से पीड़ित होने की आशंका है. गम्भीर हालात आपात स्तर की खाद्य असुरक्षा से तात्पर्य उन परिस्थितियों से है जहाँ भोजन की ज़रूरत और खपत में गहरी खाई है और कुपोषण व उससे होने वाली मौतों का स्तर ऊँचा है. इन हालात में परिवारों को अक्सर अपने कृषि सम्बन्धी औज़ार और अन्य सम्पत्तियों को भी बेचने के लिये मजबूर होना पड़ता है, जोकि उनके जीवन-व्यापन और आजीविका के लिये आवश्यक हैं. मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सचेत किया है कि खोने के लिये समय नहीं बचा है. “लोगों का जीवन दाँव पर लगा है. इस नक़दी को उपलब्ध कराये जाने से ज़मीनी स्तर पर एजेंसियों को आपात राहत कार्रवाई का स्तर बढ़ाने में मदद मिलेगी, ताकि विनाश को टाला जा सके.” उन्होंने कहा कि मगर यह कोई विकल्प नहीं है और अन्य दानदाताओं से योगदान की आवश्यकता है ताकि सहायता अभियान को बरक़रार रखना और सुदृढ़ समुदायों का निर्माण कर पाना सम्भव हो. इससे पहले, इसी वर्ष अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण समुदाय ने सहेल क्षेत्र के लिये, तीन अरब 80 करोड़ डॉलर की छह मानवीय राहत अपीलों को पेश किया था, ताकि ज़रूरतमन्दों के लिये 2022 में मदद सुनिश्चित की जा सके. मगर, फ़िलहाल इस अपील की 12 फ़ीसदी से भी कम रक़म का ही प्रबन्ध हो पाया है. यूएन कोष यूएन एजेंसी ने प्रभावितों की तात्कालिक खाद्य व पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के इरादे से केन्द्रीय आपात प्रतिक्रिया कोष (CERF) से तीन करोड़ डॉलर की धनराशि जारी की है. इनमें 60 लाख डॉलर बुरकिना फ़ासो के लिये हैं, जबकि चाड, माली और निजेर के लिये अलग-अलग 80 लाख डॉलर दिये गए हैं. CERF कोष, संकटों में फँसे ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने का सबसे तेज़ और स्मार्ट ज़रिया है. इसकी मदद से, यूएन एजेंसियों के लिये समय रहते, कारगर ढंग से ज़रूरतमन्दों के लिये आपात राहत जुटा पाना सम्भव हुआ है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस कोष की स्थापना वर्ष 2005 में की थी, और इसके लिये 130 से अधिक सदस्य देशों, पर्यवेक्षकों और अन्य दानदाताओं ने उदार योगदान किया है. इसका उद्देश्य, लगातार बढ़ती और जटिल होती मानवीय सहायता ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, देशों की सरकारों की प्रतिबद्धताओं को साकार करना है. इस नवीनतम योगदान के बाद, इस वर्ष की शुरुआत से अब तक CERF कोष के ज़रिये सहेल क्षेत्र के लिये जारी की गई सहायता धनराशि बढ़कर नौ करोड़ 50 लाख तक पहुँच गई है. इस क्रम में, मॉरिटेनिया के लिये 40 लाख डॉलर और नाइजीरिया के लिये डेढ़ करोड़ डॉलर जारी किये गए हैं. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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