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यूक्रेन में 'रूसी आक्रामकता' की निन्दा के लिये सुरक्षा परिषद प्रस्ताव पर रूस का वीटो

यूक्रेन में रूसी महासंघ के "विशेष सैन्य अभियान" की कठोर निन्दा और रूसी सुरक्षा बलों की तत्काल वापसी के लिये सुरक्षा परिषद में शुक्रवार को पेश किया गया एक प्रस्ताव, मतदान के दौरान रूस द्वारा अपने वीटो अधिकार का इस्तेमाल किये जाने के कारण पारित नहीं हो सका है. सुरक्षा परिषद की शुक्रवार को बुलाई गई एक बैठक में अमेरिका और अल्बेनिया द्वारा पेश किये गए एक प्रस्ताव के मसौदे पर चर्चा हुई. प्रस्ताव के मसौदे में, यूक्रेन पर रूसी आक्रामकता की कड़े शब्दों में निन्दा की गई है और आम नागरिकों के हताहत होने पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की गई. साथ ही, रूस द्वारा यूक्रेन में ताक़त के इस्तेमाल को तत्काल रोकने और यूक्रेन के क्षेत्र से सैन्य बलों की तत्काल, बिना शर्त वापसी का आग्रह किया गया. प्रस्ताव के मसौदे में सभी पक्षों से यूक्रेन में सभी ज़रूरतमन्द लोगों तक त्वरित, सुरक्षित व निर्बाध ढंग से मानवीय राहत पहुँचाने के प्रयासों को सम्भव बनाने का भी आहवान किया गया. प्रस्ताव में यूएन चार्टर के अन्तर्गत, यूक्रेन की सम्प्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखण्डता के प्रति संकल्प को फिर से पुष्ट किया गया. सुरक्षा परिषद के 15 में से 11 सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष मे मतदान किया, मगर रूस के वीटो से यह प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सका. तीन देश – भारत, चीन, संयुक्त अरब अमीरात – मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे. रूस सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य हैं और उसके मत को वीटो का दर्जा हासिल है. 'हिम्मत ना हारें' यूएन प्रमुख ने सुरक्षा परिषद के इस सत्र के बाद, पत्रकारों से बातचीत में ज़ोर देकर कहा कि "हमें हिम्मत नहीं हारनी होगी." उन्होंने कहा, "हमें शान्ति को एक और मौक़ा देना होगा. सैनिकों को अपने बैरकों में वापिस लौटना होगा. नेताओं को सम्वाद और शान्ति की ओर रुख़ करना होगा." और बढ़ती अभियानजनक चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने आश्वासन दिया कि संयुक्त राष्ट्र, यूक्रेन में सम्पर्क रेखा के दोनों तरफ़, जीवनरक्षक सामग्री की आपूर्ति तेज़ कर रहा है. चिन्ताजनक घटनाक्रम ग़ौरतलब है कि रूसी महासंघ ने यूक्रेन के दो पूर्वी क्षेत्रों – दोनेत्स्क और लूहान्स्क के कुछ हिस्सों की कथित स्वतंत्रता को मान्यता देने की घोषणा की है, जिसके बाद से ही विश्व भर में चिन्ता व्याप्त है. Danish Red Cross/Jakob Dall यूक्रेन में एक महिला, अपने बनाए हुए गुलाब बाग़ीचे की तबाही को देखते हुए (फ़ाइल) इसके बाद, बुधवार को सुरक्षा परिषद की आपात बैठक के दौरान ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने डोनबास क्षेत्र में एक विशेष अभियान की घोषणा कर दी और यूक्रेन की सेनाओं से अपने हथियार डालने को कहा. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने शुक्रवार को बताया कि रूसी सैन्य बलों द्वारा यूक्रेन के भीतर सैन्य अभियान शुरू किये जाने के बाद अब तक कम से कम 127 लोगों के हताहत होने की ख़बरें मिली हैं. यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा कि बमबारी और हवाई कार्रवाई में 25 लोगों की मौत हुई है और 102 घायल हुए हैं, जबकि हताहतों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि यूक्रेन पर रूस की "विशेष सैनिक कार्रवाई" ग़लत है और यूएन चार्टर के सिद्धान्तों का भी उल्लंघन है. यूएन प्रमुख ने न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में, गुरूवार को पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया को युद्ध की विभीषिका की नहीं, बल्कि शान्ति की ज़रूरत है. यूएन महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने भी तत्काल युद्धविराम, तनाव में कमी लाने और कूटनीति व सम्वाद की ओर लौटने का आग्रह किया है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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