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कोविड-19 के उपचार के लिये दवा की सिफ़ारिश, क़ीमत सम्बन्धी पारदर्शिता का आग्रह

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोविड-19 के विरुद्ध बेहद सफल साबित हुए एक उपचार को ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में उपलब्ध बनाये जाने का आग्रह किया है. यूएन एजेंसी के अनुसार इस स्वास्थ्य उपाय का व्यापक वितरण किया जाना होगा और इसकी क़ीमत के सम्बन्ध में पारदर्शिता बरतनी होगी. स्वास्थ्य संगठन ने nirmatrelvir और ritonavir नामक दवाओं के इस्तेमाल की अनुशन्सा की है, जिन्हें Paxlovid नाम के तहत बेचा जाता है. बताया गया है कि कोविड-19 संक्रमण के मामूली और सामान्य मामलों में, जिन मरीज़ों के अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम बहुत अधिक, उन्हें ये दवा दी जानी चाहिये. 📣 WHO updates its recommendations for the use of therapeutics in the treatment of #COVID19. 🧵https://t.co/ItNygISp5V — World Health Organization (WHO) (@WHO) April 22, 2022 मौखिक दी जाने वाली इस एण्टी-रेट्रोवायरल दवा को फ़ाइज़र ने तैयार किया है, और इसे उच्च-जोखिम वाले संक्रमितों के लिये अब तक का सर्वोत्तम उपलब्ध उपचार बताया गया है. मगर, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने सचेत किया है कि इस दवा की उपलब्धता और द्विपक्षीय समझौतों में क़ीमत सम्बन्धी पारदर्शिता का अभाव है. साथ ही, इसे दिये जाने से पहले त्वरित व सटीक परीक्षण की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है. संगठन ने कहा है कि इन वजहों से, निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में इस जीवनरक्षक दवा की उपलब्धता, एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. Paxlovid की उन लोगों के इलाज के लिये मज़बूत सिफ़ारिश की गई है, जिन्हें कोविड-19 का गम्भीर संक्रमण नहीं है, मगर जिन पर गम्भीर रूप से बीमार होने या अस्पतालों में भर्ती होने का जोखिम बहुत अधिक है. विशेष रूप से वृद्धजन, कमज़ोर प्रतिरोधी क्षमता वाले व्यक्ति या फिर वे लोग जिनका फ़िलहाल टीकाकरण नहीं हुआ है. ये सिफ़ारिश दो परीक्षणों से प्राप्त डेटा के आधार पर तैयार की गई है, जिसमें तीन हज़ार से अधिक मरीज़ों ने हिस्सा लिया. विश्लेषण के अनुसार, दवा दिये जाने के बाद अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम में 85 फ़ीसदी की कमी आई. हालांकि, कम जोखिम का सामना करने वाले मरीज़ों के लिये इस दवा को दिये जाने का नगण्य असर ही हुआ. विषमता का भय यूएन एजेंसी ने कहा है कि निम्न- और मध्य-आय वाले देशों के लिये एक बड़ा अवरोध यह है कि बीमारी की शुरुआत में ही इस दवा को दिया जा सकता है. यानि, बेहतर नतीजों के लिये जल्द और सटीक परीक्षण का किया जाना महत्वपूर्ण है. “प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्थलों में शुरुआती टैस्टिंग और निदान की सुलभता को बेहतर बनाना, इस उपचार की वैश्विक उपलब्धता के लिये अहम होगा.” स्वास्थ्य एजेंसी ने आशंका जताई है कि निर्धन देशों के लिये इस दवा की सुलभता कठिन साबित हो सकती है, जैसाकि कोविड-19 टीकों के मामलों में हुआ था. इसके अतिरिक्त, दवा तैयार करने वाली कम्पनी द्वारा पारदर्शिता ना बरते जाने की बात कही गई है, जिसके कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों के लिये दवा की उपलब्धता की सटीक तस्वीर पेश कर पाना मुश्किल होगा. यह भी अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितने देशों ने कम्पनी के साथ द्विपक्षीय समझौते किये हैं या फिर वे इसकी कितनी क़ीमत अदा कर रहे हैं. पारदर्शिता की अपील विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी अनुशन्सा में कहा है कि फ़ाइज़र कम्पनी को इस दवा की क़ीमत और समझौतों के बारे में जानकारी स्पष्ट करनी होगी. इसके अलावा, औषधि निर्माता कम्पनी से लाइसेंस समझौतों का भौगोलिक दायरा बढ़ाने का भी आग्रह किया गया है ताकि ज़्यादा संख्या में जेनेरिक दवा बनाने वाली कम्पनियाँ, इसका उत्पादन कर सकें और पहुँच के भीतर क़ीमतों में तेज़ी से उपलब्ध करा सकें. इस बीच, WHO ने एक अन्य एण्टी-रेट्रोवायरल दवा, remdesivir, के सिलसिले में अपनी सिफ़ारिश जारी की है. संगठन ने कहा है कि ये दवा कोविड-19 का मामूली या सामान्य संक्रमण झेल रहे उन मरीज़ों को दी जा सकती है, जिनके लिये अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम अधिक है. गम्भीर और अति-गम्भीर कोविड-19 संक्रमितों को इसे दिये जाने पर अभी विश्लेषण जारी है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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