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"शिक्षा की हिफ़ाज़त करके, हम दरअसल भविष्य की सुरक्षा करते है"

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि वैश्विक समुदाय को एक सुर में कहना होगा कि “स्कूलों पर हमले बन्द हों”. उन्होंने गुरूवार को, ‘शिक्षा को हमलों से बचाने के अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में ये बात कही. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि शिक्षा हासिल करने से ना केवल ज्ञान और कौशल बढ़ते हैं, बल्कि ज़िन्दगियाँ बदलने के साथ-साथ, लोगों, समुदायों और समाजों के विकास का रास्ता खुलता है, “स्कूल, सीखने, सुरक्षा और शान्ति के स्थान होने चाहिये.” Last year there was a 17% increase in attacks on schools compared to 2019. This International Day to #ProtectEducationFromAttack, @UNICEF and our partners call on governments to spare no effort to ensure children are safe to learn. pic.twitter.com/OmWIzukj7S — Henrietta H. Fore (@unicefchief) September 9, 2021 मगर इसके बावजूद, साल दर साल देखा जाता है कि इस बुनियादी अधिकार पर, लगातार हमले होते हैं. कल्पना व सोच का दायरा संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने कार्यक्रम में शिरकत करने वालों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वो ख़ुद को किसी कक्षा में शिक्षा हासिल करने वाला बच्चा होने की कल्पना करें, और एक ऐसा स्थान जहाँ एक शिक्षक, अगली पीढ़ी के मस्तिष्कों को आकार देने की कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा, “अब कल्पना करें कि संघर्षों के कारण कितनी भयावह मुश्किलें व कठिनाइयाँ, सीखने के प्रयासों पर क़हर बरपाती हैं.” उन्होंने एक ऐसी तस्वीर पेश करने की कोशिश की जहाँ स्कूल हमलों का निशाना बनाए जाते हैं, उन्हें तबाह किया जाता है या फिर उनका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिये किया जाता है. और बच्चों को हिंसा, शोषण, यहाँ तक कि युद्ध में भाग लेने के लिये भर्ती किये जाने के भी जोखिम का सामना करना पड़ता है - केवल इसलिये कि वो शिक्षा हासिल करना चाहते हैं. बेहिसाब नुक़सान यूएन महासचिव ने ‘शिक्षा को हमलों से बचाने के लिये वैश्विक गठबन्धन’ द्वारा जारी आँकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2015 और 2020 के दौरान, शिक्षा ठिकानों पर हमलों, या फिर शिक्षा सुविधाओं का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिये किये जाने की 13 हज़ार से भी ज़्यादा रिपोर्टें मिलीं. और ऐसे मामले दुनिया भर के इलाक़ों में देखने को मिले हैं. उन्होंने कहा, “और ये जोखिम कम होता नज़र नहीं आ रहा है – अफ़ग़ानिस्तान में ख़तरनाक घटनाक्रम ने हमें बहुत स्पष्ट रूप से दिखा भी दिया है.” एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि ये केवल किसी पन्ने पर लिखे अक्षर भर नहीं हैं, बल्कि लाखों-करोड़ों लोगों की निजी ज़िन्दगियाँ और निजी भविष्य हैं. “ये नुक़सान असीम है.” संकल्पों से भी आगे बढ़ना होगा संयुक्त राष्ट्र ने उन तमाम देशों से, ‘सुरक्षित स्कूल घोषणा-पत्र’ को मंज़ूरी देने का आहवान किया है जिन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है. ये घोषणा-पत्र, छात्रों, अध्यापकों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों को, सशस्त्र संघर्षों के भयावह प्रभावों से बचाने के लिये, एक अन्तर-सरकारी राजनैतिक संकल्प है. इस घोषणा-पत्र को अभी तक 111 देश मंज़ूरी दे चुके हैं. इसमें स्कूलों और सीखने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये, देशों की सरकारों को सटीक उपाय सुझाए गए हैं. यूएन प्रमुख ने कहा, “हम देशों से, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपने संकल्पों से भी आगे बढ़कर कार्रवाई करने और ऐसी राष्ट्रीय नीतियाँ व क़ानून बनाने और लागू करने का आहवान करते हैं जिनके ज़रिये स्कूलों और सीखने वालों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित हो.” उन्होंने स्कूलों पर हमलों को अस्वीकार्य और दण्डनीय बनाकर, उनके लिये ज़िम्मेदार तत्वों को क़ानून के शिकंजे में पहुँचाने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया, और कहा कि ऐसा, पूरी दनिया में हर देश के दायरे में होना चाहिये. अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा को समर्थन दें यूएन महासचिव ने आख़िर में, संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन – यूनेस्को और यूएन बाल कोष - यूनीसेफ़ को वैश्विक समर्थन व सहायता बढ़ाए जाने का भी आहवान किया. ध्यान रहे कि ये संगठन, दुनिया के कुछ बेहद ख़तरनाक स्थानों पर, शिक्षा के स्थलों, छात्रों, अध्यापकों और स्कूलों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने के लिये रात-दिन अथक काम कर रहे हैं. यूएन प्रमुख ने कहा कि वैसे तो हाल के वर्षों में कुछ सफलताएँ भी हासिल हुई हैं, मगर सभी के लिये, शिक्षा के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये, अभी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है. उन्होंने निष्कर्षतः कहा, “संयुक्त राष्ट्र के महासचिव होने के नाते, मैं इस महत्वपूर्ण मुहिम में आपके साथ खड़ा होने और आगे बढ़ने में गौर्वान्वित महसूस करता हूँ. क्योंकि जब हम शिक्षा की हिफ़ाज़त करते हैं तो हम भविष्य को सहेजते हैं.” अन्तरराष्ट्रीय दिवस यूएन महासभा ने मई 2020 में, सर्वसहमति से ये दिवस स्थापित किया था जिसमें यूनेस्को और यूनीसेफ़ से, ऐसे लाखों-करोड़ों बच्चों की कठिनाइयों और तकलीफ़ों के बारे में जागरूकता फैलाने का आहवान किया गया था जो संघर्ष का दंश झेल रहे देशों में रह रहे हैं. यूएन महासभा के प्रस्ताव में ये भी पुष्टि की गई थी कि सभी सीखने वालों के लिये, सभी स्तरों की समावेशी और समान शिक्षा के अवसर मुहैया करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी, सरकारों की है, ख़ासतौर से उनके लिये भी जो कमज़ोर हालात में जीवन जीते हैं. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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