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महामारी 'अभी ख़त्म नहीं हुई', स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में सहयोग पर बल

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने जिनीवा में 'विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली' के 75वें वार्षिक सत्र को सम्बोधित करते हुए चेतावनी जारी की है कि कोविड-19 संक्रमण मामलों और मृतक संख्या में गिरावट के बावजूद अभी वैश्विक महामारी का अन्त नहीं हुआ है. उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिये देशों के बीच पारस्परिक सहयोग को अहम बताया है. विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली, यूएन स्वास्थ्य संगठन का निर्णय-निर्धारक अंग है, और इसका 75वाँ सत्र 22 से 28 मई तक स्विट्ज़रलैण्ड के जिनीवा शहर में आयोजित हो रहा है. कोविड-19 के फैलाव के बाद पहली बार इस बैठक में प्रतिनिधि व्यक्तिगत रूप से शिरकत कर रहे हैं, जहाँ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों के लिये रणनीति तैयार करने व उन्हें दिशा देने के इरादे से निर्णय लिये जाएंगे, ताकि हर किसी के लिये बेहतर स्वास्थ्य व कल्याण सुनिश्चित किया जा सके. .@DrTedros' full remarks at the opening of the 75th World Health Assembly 👉 https://t.co/sYqEe4S0Sg #WHA75 pic.twitter.com/wvZIVQMbky — World Health Organization (WHO) (@WHO) May 22, 2022 इस वर्ष, विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली की थीम ‘शान्ति के लिये स्वास्थ्य, स्वास्थ्य के लिये शान्ति’ है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दुनिया को उलट-पुलट कर रख दिया है, लोगों ने अपनी ज़िन्दगियों, प्रियजनों, और आजीविकाओं को खोया है. “स्वास्थ्य प्रणालियाँ, टूटने के कगार पर पहुँच गई है, और स्वास्थ्यकर्मियों ने चरम परिस्थितियों में कठिन परिश्रम किया है.” महानिदेशक घेबरेयेसस ने ध्यान दिलाया कि विशाल व्यवधान और अनेकानेक चुनौतियों के बावजूद, देशों की सरकारों ने आमजन की स्वास्थ्य रक्षा के लिये प्रयास किये हैं. वैश्विक महामारी की चुनौती उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के फैलाव को दो साल से अधिक समय बीत चुका है, और कम से कम 60 लाख लोगों की मौत की पुष्टि की गई है, हालांकि नए अनुमानों में यह आँकड़ा डेढ़ करोड़ तक होने की आशंका जताई गई है. संगठन प्रमुख ने कहा कि अनेक देशों में सभी पाबन्दियों को हटा लिया गया है और जीवन, महामारी से पूर्व के दिनों की तरह सामान्य हो रहा है. विश्व की 60 फ़ीसदी आबादी का टीकाकरण हो चुका है, जिससे अस्पतालों में भर्ती लोगों व मौतों में कमी लाने में मदद मिली है. मगर, उन्होंने आगाह किया कि कोविड-19 महामारी अभी ख़त्म नहीं हुई है, और इसका अन्त तब तक नहीं होगा जब तक यह हर स्थान पर ख़त्म नहीं हो जाती है. सभी क्षेत्रों में क़रीब 70 देशों में संक्रमण मामलों में वृद्धि हो रही है, और यह ऐसे समय में हो रहा है जब परीक्षण दरों में गिरावट आई है. और मृतक संख्या अफ़्रीकी महाद्वीप में बढ़ रही है, जहाँ टीकाकरण सबसे कम हुआ है. “इस वायरस ने हर मोड़ पर हमें चकित किया है – एक ऐसा तूफ़ान, जिसने समुदायों को बार-बार तहस-नहस किया है, और हम अब भी इसके आगे के रास्ते या उसकी गहनता का अनुमान नहीं लगा सकते हैं.” विश्व में केवल 57 देशों में 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हो पाया है, जिनमें से लगभग सभी उच्च-आय वाले देशों में हैं. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रयास उन्होंने कहा कि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का ध्यान फ़िलहाल देशों में टीकाकरण अभियान को जल्द से जल्द आगे बढ़ाना है. कुछ देशों में अब भी धनराशि व सुलभता की कमी की वजह से परीक्षण और उपचार में मुश्किलें पेश आ रही हैं. “महामारी जादुई ढँग से अपने आप ग़ायब नहीं होगी. लेकिन हम इसका अन्त कर सकते हैं. हमारे पास ज्ञान है. हमारे पास औज़ार हैं. विज्ञान ने हमारा हाथ ऊपर रखा है.” इस क्रम में, उन्होंने देशों से 70 फ़ीसदी आबादी के टीकाकरण लक्ष्य को पूरा करने का आहवान किया है. उन्होंने दोहराया कि स्वास्थ्यकर्मियों, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और गम्भीर संक्रमण का जोखिम झेल रहे व्यक्तियों को टीकाकरण में प्राथमिकता दी जानी होगी. © UNICEF/Evgeniy Maloletka यूक्रेन के ख़ारकीफ़ में कोविड-19 संक्रमित के शव को अस्पताल के मुर्दाघर ले जाया जा रहा है. (फ़ाइल) इसके अलावा, 70 फ़ीसदी आबादी के टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने वाले देशों से उन देशों को समर्थन देने का आग्रह किया है, जोकि अभी इससे दूर हैं. इसके समानान्तर, वैश्विक महामारी के फैलाव से निपटने के लिये आवश्यकता अनुरूप, सार्वजनिक स्वास्थ्य व सामाजिक उपाय अपनाने के लिये तैयार रहना होगा. साथ ही, देशों में अति-आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को जल्द से जल्द बहाल किया जाना होगा. अन्य स्वास्थ्य चुनौतियाँ यूएन एजेंसी प्रमुख ने वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला, और अन्य देशों में मंकीपॉक्स, हेपेटाइटिस का फैलाव हो रहा है. वहीं, अफ़ग़ानिस्तान, इथियोपिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, यूक्रेन और यमन जटिल मानवीय संकट से त्रस्त हैं. महानिदेशक घेबरेयेसस ने चिन्ता जताई कि बीमारी, सूखा, अकाल, और युद्ध बड़ी चुनौतियाँ हैं, और जलवायु परिवर्तन, विषमता, और भूराजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता से इन्हें हवा मिल रही है. यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि स्वास्थ्य ऐसेम्बली के दौरान, भविष्य के लिये स्वास्थ्य कार्यबल तैयार करने, पोलियो उन्मूलन की ज़िम्मेदारी को पूरा करने, और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये एक नए ताने-बाने का निर्माण करने पर चर्चा होगी. उनके अनुसार, इन सभी लक्ष्यों को पूरा कर पाना, एक विभाजित दुनिया में सम्भव नहीं है. यह तभी सफल हो सकता है, जब देश अपने मतभेदों को दरकिनाकर करे, साझा ज़मीन की तलाश करें और शान्ति व सहयोग के साथ सहमति की ओर बढ़ें. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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