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निर्वासित तिब्बती सरकार में सिक्योंग की कुर्सी के करीब पेंपा सेरिंग, प्रतिद्वंदी केलसंग से 5609 मतों से आगे

धर्मशाला, 15 मार्च (हि.स.)। निर्वासित तिब्बती सरकार के नए सिक्योंग यानि प्रधानमंत्री के पद की दौड़ के फाइनल रांउड की मतगणना के हिसाब से भी निर्वासित तिब्बती संसद के पूर्व अध्यक्ष पेंपा सेरिंग अपने प्रतिद्वंदी से आगे चल रहे हैं। पेंपा सेरिंग की यह बढ़त उन्हें प्रधानमंत्री पद के और नजदीक ले जा रही है। बीते 11 अप्रैल को भारत सहित दुनिया भर के 26 देशों में निर्वासित तिब्बतियों द्वारा प्रधानमंत्री पद के चुनाव के अंतिम दौर के हिस्सा लिया था। उसके बाद 13 अप्रैल मंगलवार सुबह से सभी स्थानों पर मतों की गिनती शुरू हुई। मतगणना के पहले दिन तिब्बती संसद के पूर्व अध्यक्ष रहे पेंपा सीरिंग के पक्ष में 5690 मत आए हैं। मतगणना के दूसरे दिन के अंत तक, पेंपा सेरिंग के पक्ष में दोनों चरण के चुनावों में कुल 32199 मत जबकि उनके प्रतिद्वंदी केलसंग दोरजे के पक्ष में 26590 मत दर्ज किए गए। अगर बात मत प्रतिशत की करें तो पेंपा सेरिंग के पक्ष में 55 फीसदी और केलसंग दोरजे के पक्ष में 45 फीसदी मत पड़े हैं। गौर हो कि इस साल जनवरी में हुए चुनावों के प्रारंभिक दौर में पेंपा सेरिंग 23762 मत लेकर सबसे आगे रहे थे, जबकि केलसंग दोरजे 14031 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। इसी तरह पूर्व गृह मंत्री ग्यारी डोलमा को 13171 मत मिले थे, जोकि कुल छह उम्मीदवारों में से तीसरे स्थान पर रहीं थी। बाद में 11 अप्रैल के चुनावों के फाइनल राउंड के लिए पहले दो उम्मीदवारों में मुकाबला हुआ। फाइनल राउंड के मतों की गिनती का काम गुरुवार रात तक पूरा होने की उम्मीद है। उसके बाद आधिकारिक तौर पर चुनाव नतीजे 14 मई को घोषित होंगे। याद रहे इस चुनाव पर चीन व अमेरिका सहित कई देशों की लगातार नजर बनी हुई है। निर्वासित तिब्बती सरकार के लिए लोकतांत्रिक तरीके से इस बार तीसरा प्रधानमंत्री मिलना है। वर्ष 2011 में पहली बार लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत प्रधानमंत्री और सांसदों का हुआ था चुनाव वर्ष 2011 में धर्मगुरू दलाई लामा द्वारा राजनीतिक शक्तियों का परित्याग कर पहली बार लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत निर्वासित तिब्बती सरकार के लिए प्रधानमंत्री और सांसदों का चुनाव हुआ था। इस चुनाव में डा. लोबसांग सांग्ये प्रधानमंत्री चुने गए थे। उसके बाद 2016 में दूसरी बार चुनाव हुआ जिसमें फिर से डा. लोबसांग सांग्ये प्रधानमंत्री बने। निर्वासित तिब्बती संसद के संविधान के मुताबिक कोई भी उम्मीदवार सिफ दो बार ही चुनाव लड़ सकता है, ऐसे में इस बार वह चुनाव नही लड़ सके। हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

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