Pakistan News: कबूतरों के जरिए पाकिस्तान करता है भारत की जासूसी, जानें कहां फिट करता है कैमरा?

Pakistan News: पाकिस्तान ने भारत में आतंक फैलाने का एक नया हथकंडा अपनाया है। वह कबूतरों के जरिए भारत की जासूसी करता है। कबूतरों के पंजों पर कैमरा इनस्टॉल कर इस तरह की करतूत को अंजाम देता है।
Pakistan uses pigeons for spying
Pakistan uses pigeons for spyingSocial media

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। एक दौर था जब कबूतर एक शहर से दूसरे शहर चिट्ठी लेकर जाया करते थे। समय के साथ दुनिया में तकनीक ने दस्तक दी तो संदेश और चिट्ठी भेजने का चलन ही खत्म हो गया। लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान जासूसी करने और आतंक फैलाने के लिए अभी भी कबूतरों का इस्तेमाल कर रहा है। दर्शन पाकिस्तान कबूतरों के पंजों पर कैमरा इंस्टॉल कर देता है। इसके बाद यह कबूतर उड़कर भारत की सीमा में आ जाते हैं। और फिर कबूतर के जरिए वह सैंपल और भारत की आर्मी की जानकारी प्राप्त करता है। इस तरह हुआ कबूतर के जरिए भारत की सीमा पर जासूसी करता है।

पहले भी कर चुका है ऐसी हरकत

कबूतर भेज कर जासूसी करना पाकिस्तान की यह कोई नई हरकत नहीं है। इससे पहले भी वह कश्मीर में कबूतर के जरिए जासूसी करता रहा है। कबूतरों को सीमा पार कराना उसके लिए आसान रहता है। ड्रोन या आसपास इंसान होने पर खुफिया अमला सतर्क हो जाता है। दरअसल कबूतरों को इसलिए चुना जाता है। क्योंकि यह काफी वफादार होते हैं और हर हाल में अपने मालिक के पास लौट कर जाते हैं। इसलिए इन्हें होमिंग पिजन भी कहा जाता है। इन्हें पकड़ना आसान नहीं होता है। यह काफी ऊंचाई पर उड़ते हैं। आपको बताते हैं कि जब इन कबूतरों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें ट्रेंड किया जाता है। अगर ऐसे जासूस कबूतरों को पकड़ना है तो उसके लिए ट्रेंड लोगों की ही जरूरत पड़ती है।

द्वितीय विश्व युद्ध में हुआ था इनका इस्तेमाल

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश आर्मी ने जासूसी के लिए कबूतरों का इस्तेमाल किया था। जानकारी के मुताबिक ब्रिटिश आर्मी ने ढाई लाख से भी अधिक कबूतरों को जासूसी के लिए तैनात किया था। इतना ही नहीं विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन और अमेरिका में कबूतर पालन करने वालों ने सभी कबूतरो को सेना को सौंप दिए थे। वहीं बहादुर कबूतरों को मेडल से भी नवाजा गया था। कबूतरों के पंजे पर एक कैमरा डेवलप किया जाता था। जब यह कबूतर आसमान में उड़ता था तो इससे फोटो खींची जा सकती थी। फोटो के माध्यम से दुश्मनों की जानकारी प्राप्त की जाती थी।

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