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पूर्व सीआईए स्टेशन प्रमुख के लिए पाक लॉबिंग कॉन्ट्रेक्ट : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। रॉबर्ट लॉरेंट ग्रेनियर, जो इस्लामाबाद में सीआईए स्टेशन प्रमुख थे, उनको अपनी कंपनी की स्थापना के बाद पाकिस्तान की ओर से एक पैरवी अनुबंध (लॉबिंग कॉन्ट्रेक्ट) दिया गया था। रॉबर्ट लॉरेंट ग्रेनियर एक पूर्व सीआईए अधिकारी हैं, जो इस्लामाबाद, पाकिस्तान (2001-02) में सीआईए स्टेशन प्रमुख थे। 2002 में उन्हें इराक मुद्दे समूह के प्रमुख के रूप में पदोन्नत किया गया था, जहां उन्होंने इराक पर 2003 के आक्रमण के समर्थन में गुप्त अभियानों के समन्वय में मदद की थी। ग्रेनियर ने लगभग एक वर्ष तक सीआईए के काउंटर-टेररिस्ट सेंटर के निदेशक के रूप में कार्य किया, लेकिन 6 फरवरी, 2006 को सीआईए लीक मामले और लिब्बी मुकदमे को लेकर राष्ट्रीय गुप्त सेवा के निदेशक जोस ए. रोड्रिग्ज, जूनियर द्वारा उन्हें पद से हटा दिया गया था। ग्रेनियर की पहचान सीआईए लीक ग्रैंड जूरी जांच और आई. लुईस स्कूटर लिब्बी के खिलाफ आरोपों के संबंध में अदालती दस्तावेजों में की गई है। 2009 में ग्रेनियर को ईआरजी पार्टनर्स का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, जो एक स्वतंत्र वित्तीय और रणनीतिक सलाहकार फर्म है, जो पूरी तरह से सुरक्षा और खुफिया क्षेत्रों पर केंद्रित है। वह विदेश संबंध परिषद के आजीवन सदस्य हैं। डिसइन्फो लैब की एक जांच के अनुसार, इसके बाद, ग्रेनियर ने 1 अप्रैल, 2020 को एक लॉबी फर्म ग्रेनियर कंसल्टिंग एलएलसी खोली और एक साल के भीतर, जुलाई 2021 में उन्हें पाकिस्तान की ओर से एक लॉबिंग अनुबंध से सम्मानित किया गया, जिस पर पाक पीएम इमरान खान के तत्कालीन विशेष सलाहकार इफ्तिखार उर रहमान दुरार्नी द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। डिसइन्फो लैब की जांच के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से छह महीने के शोध के लिए 25,000 डॉलर और अन्य 5,000 डॉलर की अग्रिम राशि छह महीने में अनुबंध के नवीनीकरण के रूप में दी गई थी। एक अन्य अनुबंध रॉबिन राफेल से संबद्ध एक फर्म को दिया गया था, जो लॉबिस्ट के बारे में एक पूर्व राजनयिक/सीआईए विश्लेषक/अमेरिकी सहायता अधिकारी थीं। राफेल 2005 में सेवानिवृत्त हुईं और जल्द ही वाशिंगटन स्थित लॉबी फर्म, कैसिडी एंड एसोसिएट्स में वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में शामिल हो गईं, जो इसके वैश्विक मामलों और व्यापार समूह का नेतृत्व कर रहे थीं। बोर्ड में आने के कुछ ही समय बाद, कैसिडी एंड एसोसिएट्स को पाकिस्तान से 1.2 मिलियन डॉलर का लॉबिंग अनुबंध मिला। बाद में जनरल मुशर्रफ द्वारा पाकिस्तान में मार्शल लॉ घोषित करने के बाद कैसिडी को अनुबंध रद्द करना पड़ा। 2013 में, राफेल एफबीआई द्वारा पाकिस्तानी अधिकारियों के एक अवरोधन के आधार पर एफबीआई की जांच के अधीन रहीं, जिसने संकेत दिया कि राफेल पाकिस्तानी एजेंसियों के लिए काम कर रही होंगी। एफबीआई को राफेल के आवास पर अनधिकृत वगीर्कृत दस्तावेज भी मिले थे, जिनके बारे में उन्हें संदेह था कि वे किसी बाहरी देश को आपूर्ति किए जा रहे थे। हालांकि, 2016 में एफबीआई ने इस मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया। वहीं अब तालिबान के लिए प्रमुख बैक-चैनलों में से एक होने के नाते राफेल के फिर से सक्रिय होने की सूचना है। राफेल ने ईरान में सीआईए के साथ अपना कैरियर शुरू किया और बाद में 1978 तक अर्थशास्त्र विश्लेषक के रूप में यूएस-एड डिप्लोमैटिक कॉर्प्स में शामिल हो गई। 1991 में वह नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में राजनीतिक परामर्शदाता के रूप में शामिल हुईं। डिसइन्फो लैब ने बताया कि उन्हें ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) के निर्माण का श्रेय दिया जाता है, जिसने उन्हें हुर्रियत की मां का उपनाम या मुंह बोला नाम दिया। उनका विवाह अर्नोल्ड राफेल से हुआ था, जो पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत (1987-88) थे और जिनकी जिया-उल-हक के साथ विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। 1992-96 के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के साथ अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने तालिबान के साथ जुड़ाव की दिशा में अमेरिकी सरकार की नीति को आकार देने की दिशा में काम किया। उन्होंने पाकिस्तान को सैन्य निर्यात पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रेसलर संशोधन से पाकिस्तान को अपवाद सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। --आईएएनएस एकेके/आरजेएस

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