pak-court-asks-human-rights-ministry-to-resolve-harassment-of-baloch-students
pak-court-asks-human-rights-ministry-to-resolve-harassment-of-baloch-students

पाक अदालत ने मानवाधिकार मंत्रालय से कहा, बलूच छात्रों के उत्पीड़न का समाधान करें

इस्लामाबाद, 14 मई (आईएएनएस)। कराची आतंकी विस्फोट में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की एक महिला आत्मघाती हमलावर ने चीनी नागरिकों को निशाना बनाया था, जिसके बाद से पाकिस्तानी अधिकारियों ने कई बलूच छात्रों को विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्रावासों और उनके आवासों से उठा लिया, क्योंकि इनके प्रतिबंधित संगठन से जुड़े होने या आतंकी गतिविधि से संबंध होने का संदेह है। कई बलूच छात्रों को सुरक्षाकर्मियों द्वारा परेशान किया गया और उन पर हमला किया गया। इसके खिलाफ बलूच छात्र निकायों और मानवाधिकार संगठनों ने प्रदर्शन शुरू किया गया, जिसमें निर्दोष छात्रों के साथ चल रहे दुर्व्यवहार को तत्काल खत्म करने की मांग की गई। कायदे आजम विश्वविद्यालय, इस्लामाबाद के छात्रों ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) में एक याचिका दायर कर अपने छात्रों के लिए कानूनी सुरक्षा की मांग की, जिन्हें बलूच जातीयता के लिए परेशान किया जा रहा है। बलूच छात्रों के कथित उत्पीड़न से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह ने मानवाधिकार मंत्रालय को आयोग के समक्ष शिकायतें रखने और एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया। रिपोर्ट अगली सुनवाई की तारीख यानी 10 जून को आईएचसी के सामने पेश की जानी है। अदालत ने मानवाधिकार मंत्रालय और गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करने से पहले बलूच छात्रों की शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर देखने को कहा है। अप्रैल 2022 में आईएचसी ने अधिकारियों को देश में बलूच छात्रों की नस्लीय रूपरेखा और गायब होने की जांच के लिए एक आयोग बनाने का निर्देश दिया था। मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह ने कहा, अदालत पाकिस्तान में मानवाधिकारों के ॅ हनन पर आंखें नहीं मूंदेगी। बलूच छात्रों के वकील ईमान मजारी, जो बलूच युवाओं के जबरन गायब होने के बारे में मुखर रहे हैं, ने कहा कि सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं ली या छात्रों के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। ईमान मजारी ने कहा, उच्च शिक्षा आयोग (एचईसी) को पाकिस्तान के सभी विश्वविद्यालयों को नोटिस भेजकर बलूच छात्रों का उत्पीड़न रोकने का निर्देश देना चाहिए। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in