origin-of-corona-questions-that-should-be-asked-to-america
origin-of-corona-questions-that-should-be-asked-to-america

कोरोना की उत्पत्ति : वो प्रश्न जो अमेरिका से पूछे जाने चाहिए

बीजिंग, 4 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिका ने हाल ही में राजनीतिक साधनों के माध्यम से कोविड-19 के मूल ट्रेसिंग में हेरफेर करने के अपने प्रयासों को बढ़ाया है और अन्य देशों को अनुचित संदेह के साथ फंसाने की पूरी कोशिश की है। हालांकि, अमेरिका का दावा है कि वह कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह अपने फोर्ट डेट्रिक प्रयोगशाला पर चुप क्यों है? नये कोरोनवायरस की उत्पत्ति के संबंध में शोध परिणामों के लिए अमेरिका अपने बहरे कान क्यों मोड़ रहा है? क्या अमेरिका कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है? ऐसे अनेक प्रश्न हैं जो अमेरिका से पूछे जाने चाहिए। प्रश्न 1: अमेरिका ने फोर्ट डेट्रिक प्रयोगशाला को क्यों बंद किया? जुलाई 2019 में, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने फोर्ट डेट्रिक बायोलॉजिकल लैब में शोध को रोकने का आदेश जारी किया, लेकिन कोई विस्तृत कारण नहीं बताया गया है। संयोग से, प्रयोगशाला के बंद होने से कुछ समय पहले, अनुसंधान केंद्र से लगभग एक घंटे की दूरी पर वर्जीनिया के एक नजदीकी काउंटी में दो नसिर्ंग होम में, खांसी से लेकर निमोनिया तक, बड़ी संख्या में लोग श्वसन संबंधी लक्षणों से बीमार हो गए। फोर्ट डेट्रिक और अज्ञात कारण के निमोनिया के बीच क्या संबंध है? अमेरिका ने लैब के बारे में स्पष्टीकरण देने से क्यों इनकार कर दिया है? इसके पीछे क्या राज है? प्रश्न 2: अमेरिका ने दुनिया भर में फैली अपनी 200 से अधिक जैविक प्रयोगशालाओं में क्या किया? अमेरिका ने अफ्रीका, मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ सहित 25 देशों और क्षेत्रों में 200 से अधिक जैविक प्रयोगशालाओं का निर्माण किया है, जिनमें से कुछ संक्रामक रोगों के बड़े प्रकोप का गढ़ रहे हैं। 2020 में, यूक्रेनी सांसदों ने एक बयान जारी कर कहा कि यूक्रेन में 15 अमेरिकी सैन्य जैविक प्रयोगशालाएं स्थापित किये गये। अपने संदेश में, मेदवेदचुक और कुजमिन ने हाल के वर्षों में यूक्रेन में खतरनाक संक्रामक रोगों के प्रकोप का उल्लेख किया, जो उनकी राय में, अमेरिकी प्रयोगशालाओं की गतिविधि से जुड़ा हो सकता है। 2009 में, एक वायरस ने रक्तस्रावी निमोनिया का एक बड़ा कारण बना, जिसने 450 लोगों की जान ले ली। 2011 में, यूक्रेन में हैजा का प्रकोप देखा गया, जिसमें 33 रोगियों को अस्पताल ले जाया गया। तीन साल बाद और 800 रोगियों को हैजा का पता चला। एक साल बाद निकोलेयेव में हैजा के 100 से अधिक मामलों की पहचान की गई। अमेरिका ने दूसरे देशों में इतनी सारी जैविक प्रयोगशालाएं क्यों बनाई हैं? चीन और रूस के आसपास के देशों में इन प्रयोगशालाओं का पता लगाने का क्या उद्देश्य है? क्या ये प्रयोगशालाएं सुरक्षा मानकों को पूरा करती हैं? क्या रिसाव के छिपे खतरे हैं? प्रश्न 3: अमेरिका में कोरोना वायरस कब और कहां फैला? 13 दिसंबर, 2019 और 17 जनवरी, 2020 के बीच, सीडीसी के शोधकतार्ओं ने अमेरिका के 9 राज्यों से एकत्र किए गए 7,000 से अधिक रक्त नमूनों का परीक्षण किया, जिनमें से 106 में नये कोरोनवायरस के एंटीबॉडी पाये गये। 2020 की शुरूआत में, यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने देश भर के कई स्थानों से 24,000 रक्त के नमूने एकत्र किए, और कम से कम 9 में नये कोरोनवायरस वायरस शामिल थे। सीडीसी के पूर्व निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने स्वीकार किया कि अमेरिका में कुछ लोग, जिनके बारे में पहले माना जाता था कि वे फ्लू से मारे गए थे, नये कोरोनवायरस से संक्रमित हो सकते हैं। अमेरिका में बड़ी संख्या में रिपोर्ट किए गए इन्फ्लूएंजा रोगियों में से, कितने मामलों का गलत निदान किया गया था और वास्तव में नये कोरोनवायरस से संक्रमित थे? अमेरिका में कहां था पेशेंट जीरो? अमेरिका में प्रकोप कब हुआ? यह अमेरिका ही खुद बता सकता है। प्रश्न 4: अमेरिका ने नये कोरोनावायरस की उत्पत्ति के संबंध में शोध की उपेक्षा क्यों की? इस साल मार्च में, डब्ल्यूएचओ-चीन संयुक्त मिशन रिपोर्ट ने स्पष्ट रूप से निष्कर्ष निकाला कि प्रयोगशाला रिसाव बेहद असंभव है, और इस अंत में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय में व्यापक सहमति है। 5 जुलाई को, 24 चिकित्सा विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक पत्रिका ह्लद लैंसेटह्व में एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें कहा गया था कि वर्तमान में कोविड-19 के लीक होने के दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, अमेरिका अभी भी इस दावे पर जोर क्यों देता है कि वायरस एक चीनी प्रयोगशाला से उत्पन्न हुआ है? वायरस के स्रोत का राजनीतिकरण कौन कर रहा है? जाहिर है, इन प्रश्नों के उत्तर सिर्फ अमेरिकी सरकार ही दे सकती है। (अखिल पाराशर,पेइचिंग) --आईएएनएस आरजेएस

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in