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'समुद्री श्रम सन्धि', ओमान बना अनुमोदन करने वाला 100वाँ देश

ओमान ने वर्ष 2006 में पारित 'समुद्री श्रम सन्धि' का अनुमोदन (ratification) किया है, जिसके ज़रिये समुद्री नाविकों के अधिकारों, वेतन और कामकाजी परिस्थितियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी. ओमान इस सन्धि का अनुमोदन करने वाले 100वाँ देश है और इस अहम पड़ाव पर सोमवार को जिनीवा में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मुख्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अनुसमर्थन के बाद विश्व में कुल जहाज़रानी क्षमता का 96 फ़ीसदी अब समुद्री श्रम सन्धि (Maritime Labour Convention) के दायरे में हैं, जोकि इस सैक्टर में कामगारों की आपूर्ति करने वाले अधिकाँश देशों पर भी लागू होता है. 📢 The @ilo Maritime Labour Convention reaches 100th ratification! 🙌🏾 Over 96% of the world’s shipping and most of the seafarer labour supplying countries are now covered by this international standard.https://t.co/Nh2q9fhyOo — International Labour Organization (@ilo) April 11, 2022 यूएन श्रम एजेंसी के महानिदेशक गाय राइडर ने इस पड़ाव को बेहद अहम क़रार दिया है. उन्होंने कहा कि ओमान दीर्घकाल से समुद्री क्षेत्र राष्ट्र रहा है और उसने अन्य देशों के लिये भी आगे का रास्ता दर्शाया है. “निसन्देह, ओमान खाड़ी सहयोग परिषद का पहला सदस्य है जोकि जहाज़ मालिकों के लिये निष्पक्ष प्रतिस्पर्था और समुद्री नाविकों के लिये शिष्ट एवं उपयुक्त रोज़गार सुनिश्चित करने के वैश्विक प्रयासों का हिस्सा बना है.” जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र में ओमान के प्रतिनिधि इदरीस अब्दुल रहमान अल ख़ंजरी ने औपचारिक से अनुमोदन दस्तावेज़ 29 मार्च को जमा किये. समुद्री श्रम सन्धि के तहत बड़ी संख्या में ऐसे मौजूदा श्रम मानकों को एक साथ लाया गया, जोकि समकालीन कामकाजी व रहन-सहन हालात को परिलक्षित नहीं करते हैं, अनुमोदन का स्तर कम है या फिर जिन्हें समुचित ढँग से लागू करने के लिये प्रणाली या व्यवस्था नहीं है. इन सभी मानकों को एक सन्धि में एकत्र करने से देशों के लिये नियामन व उसे लागू करने की प्रक्रिया सरल होगी. अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक़ दुनिया भर में इससे सुसंगत औद्योगिक मानदण्डों व मानकों को सुनिश्चित किया जा सकेगा. समुद्री श्रम सन्धि को फ़रवरी 2006 में पारित किया गया था और यह 20 अगस्त 2013 को लागू हुई. इसके बाद से इस सन्धि को विश्व भर में समुद्री उद्योग के लिये सन्दर्भ के रूप में देखा जाता है, और यह अन्तरराष्ट्रीय समुद्री नियमों व नियामन का एक अहम स्तम्भ है. समुद्री नाविकों व जहाज़ मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वले संगठनों ने ओमान द्वारा सन्धि का अनुमोदन किये जाने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि सन्धि के सुरक्षा उपाय और अधिकार ना सिर्फ़ ओमान के समुद्री नाविकों को प्राप्त होंगे, बल्कि देश के बन्दरगाहों पर आने वाले और जलक्षेत्र से गुज़रने वाले अन्य नाविकों के लिये भी सुनिश्चित किये जा सकेंगे. कोविड-19 महामारी के कारण लाखों समुद्री नाविकों को लम्बे समय तक समुद्री क्षेत्र में फँसे रहने के लिये मजबूर होना पड़ा था, और वे जहाज़ से उतर पाने, कार्य की अवधि समाप्त होने के बाद देश लौट पाने में असमर्थ थे. यूक्रेन युद्ध का असर संयुक्त राष्ट्र की विशेषीकृत एजेंसी – अन्तरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) और यूएन श्रम एजेंसी ने बताया है कि यूक्रेन में युद्ध का समुद्री क्षेत्र में आवाजाही पर असर हुआ है. यूएन एजेंसियों ने अपने एक बयान में बताया कि फ़िलहाल 100 से अधिक व्यापारिक जहाज़ वहाँ और नज़दीकी इलाको में बन्दरगाहों को छोड़ पाने में असमर्थ हैं. क़रीब एक हज़ार समुद्री नाविकों के फँसे होने की आशंका जताई गई है, जिनमें से कुछ मारियुपोल में भी हैं, जहाँ रूसी सेनाओं ने घेराबन्दी की हुई है. यूएन एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने तत्काल कार्रवाई की पुकार लगाई है ताकि जहाज़ पर सवार नाविकों व अन्य कर्मचारियों के लिये ज़रूरी सामग्री का प्रबन्ध किया जा सके. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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