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म्याँमार: मानवाधिकार हनन के अति-गम्भीर मामले, पुख़्ता व समन्वित कार्रवाई की पुकार

म्याँमार में पिछले वर्ष फ़रवरी में सैन्य तख़्तापलट के बाद से अब तक, सुरक्षा बलों के हाथों एक हज़ार 600 से अधिक लोग मारे गए हैं, जबकि साढ़े 12 हज़ार से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने मंगलवार को अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी साझा की है. यूएन मानवाधिकार कार्यालय की एक नई रिपोर्ट में म्याँमार में मानवाधिकार हनन के गम्भीर मामलों के प्रति चेतावनी जारी करते हुए कहा गया है कि इन मामलों को युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है. उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल, समन्वित प्रयास किये जाने का आहवान किया है, ताकि हिंसा के चक्र को रोका जा सके. 🇲🇲#Myanmar: @mbachelet urges the international community to stem the spiral of violence & reverse the coup. “The will of the people has not been broken. They remain committed to see a return to democracy & institutions that reflect their will+aspirations.”https://t.co/i6hXYD5NvY pic.twitter.com/TYGcCNb6lC — UN Human Rights (@UNHumanRights) March 15, 2022 रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार म्याँमार की सेना और सुरक्षा बलों ने आबादी वाले इलाक़ों में हवाई कार्रवाई और भारी हथियारों से बमबारी की है, और जानबूझकर आमजन को निशाना बनाया गया है. उन्होंने कहा कि म्याँमार की जनता ने जिस स्तर पर अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन व पीड़ा को झेला है, उसके मद्देनज़र एक पुख़्ता व एकजुट अन्तरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया दी जानी होगी. अधिकार हनन मामले इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 49वें नियमित सत्र के दौरान जारी किया गया है. यह रिपोर्ट बताती है कि म्याँमार की सेना व सुरक्षा बलों ने मानव जीवन के लिये खुले तौर पर बेपरवाही दिखाई है. अनेक लोगों को कथित रूप से सिर में गोली मारी गई है, जलाकर मारा गया है, मनमाने ढँग से हिरासत में लिया गया है, प्रताड़ित किया गया है और मानव ढाल के रूप में उनका इस्तेमाल किया गया है. यूएन एजेंसी प्रमुख ने म्याँमार की जनता के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हुए कहा कि सैन्य तख़्तापलट का विरोध किया गया है. साथ ही, उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से संकट के निपटारे और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के उल्लंघन के दोषियों की जवाबदेही तय किये जाने के लिये हरसम्भव प्रयास किये जाने का आग्रह किया है. हिरासत, विस्थापन, हत्या यह रिपोर्ट पिछले वर्ष 1 फ़रवरी को सैन्य तख़्तापलट के बाद से अब तक की अवधि पर आधारित है, जिसमें 155 पीड़ितों, प्रत्यक्षदर्शियों और पैरोकारों से बातचीत की गई है. उनके द्वारा कही गई बातों का मिलान, सैटेलाइट तस्वीरों, पुष्ट मल्टीमीडिया सामग्री और विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी से किया गया है. इसके बावजूद, रिपोर्ट के निष्कर्ष, हनन के कुल मामलों के कुछ ही अंश को दर्शाता है, जिन्हें राष्ट्रव्यापी दमन कार्रवाई के दौरान अंजाम दिया गया. हत्याओं और सामूहिक रूप से हिरासत में लिये जाने के अलावा, कम से कम चार लाख 40 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं, और एक करोड़ 40 लाख लोगों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है. बताया गया है कि मानवीय राहत पहुँचाये जाने के प्रयासों में सैन्य बलों के कारण रुकावटें पेश आई हैं. UN Photo/Laura Jarriel संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट, 26 सितम्बर 2018 को, न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में प्रेस से बातचीत करते हुए. 'सामूहिक हत्याएँ' रिपोर्ट के अनुसार, ये मानने का आधार मौजूद है कि म्याँमार की सेना ने व्यापक व व्यवस्थागत ढँग से आमजन के विरुद्ध ऐसे हमले किये, जिन्हें मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है. जुलाई में सैन्य बलों ने सागइन्ग क्षेत्र में 40 व्यक्तियों को सिलसिलेवार छापों की कार्रवाई के दौरान जान से मार दिया. गाँव के निवासियों ने जब उनके शव बरामद किये, तो मृतकों के हाथ व पैर पीछे बँधे हुए थे. दिसम्बर में, कायाह प्रान्त में सैनिकों ने क़रीब 40 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को जिन्दा जला दिया था. स्थानीय लोगों ने उनके अवशेष अनेक ट्रकों में बरामद किये, और ये शव ऐसी अवस्था में थे, जिससे पता चला है कि पीड़ितों ने बच कर भागने की भी कोशिश की थी. यूएन एजेंसी प्रमुख ने हिरासत में रखे गए लोगों को यातना दिये जाने और उनके साथ बुरा बर्ताव किये जाने के मामलों पर भी क्षोभ व्यक्त किया है. रिपोर्ट में, यौन हिंसा, बलात्कार, बन्दियों को बिना भोजन व पानी के छत से लटका कर रखने, लम्बी अवधि तक खड़ा रखे जाने, बिजली के झटके दिये जाने और मुसलमान बन्दियों को ज़बरदस्ती सूअर का माँस खाने के लिये समेत अन्य प्रताड़नाओं का उल्लेख किया है. मानवाधिकार हनन के अधिकाँश मामलों के लिये सुरक्षा बलों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है. मगर कम से कम 543 व्यक्तियों को जान से इसलिये मार दिया गया, चूँकि उन्हें सेना के समर्थक के तौर पर देखा जाता था. इनमें स्थानीय प्रशासक, उनके परिवारजन और कथित मुखिबर हैं. सैन्य तख़्तापलट विरोधी सशस्त्र तत्वों ने ऐसी 95 घटनाओं की ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया है. यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा है कि इन घटनाओं और हिंसा के बावजूद, म्याँमार के लोगों की इच्छाशक्ति को तोड़ा नहीं जा सका है और वे लोकतंत्र की वापसी के लिये प्रतिबद्ध हैं. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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