middle-east-terrorism-or-attacks-against-the-public-39not-justified39-in-any-way
middle-east-terrorism-or-attacks-against-the-public-39not-justified39-in-any-way

मध्य पूर्व: आतंकवाद या आमजन के विरुद्ध हमले, किसी भी रूप में ‘न्यायोचित नहीं’

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये यूएन के विशेष समन्वयक टॉर वैनेसलैण्ड ने कहा है कि क़ाबिज़ पश्चिमी तट में हाल के दिनों में हुई हिंसा और इसराइल में आतंकी हमलों में अनेक आम लोग हताहत हुए हैं, और आम नागरिकों के विरुद्ध हिंसा और आतंकी कृत्यों को किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है. विशेष समन्वयक ने सोमवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ग़ाज़ा पट्टी से रॉकेट दागे जाने के कारण, पिछले वर्ष मई के बाद से पसरी नाज़ुक स्थिरता कमज़ोर हो रही है. "A serious escalation is avoidable," @TWennesland said at the Security Council today, reporting on the situation in the Middle East. "We must not lose sight of the imperative to end the occupation and advance towards a two-State reality." Full remarks: https://t.co/Vrebj4JD3h pic.twitter.com/8uw0ZgBgMS — UN Political and Peacebuilding Affairs (@UNDPPA) April 25, 2022 उन्होंने कि आतंकी कृत्यों या आम नागरिकों के विरुद्ध हिंसा को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है. “हिंसा, उकसावों, और भड़काव को तत्काल रोका जाना होगा और सभी के द्वारा इसकी स्पष्ट शब्दों में निन्दा की जानी होगी.” उन्होंने कहा कि भड़काऊ बयानबाज़ी और पवित्र स्थलों पर फ़लस्तीनियों व इसराइली सुरक्षा बलों में हिंसक झड़पों के बावजूद, येरूशलम में हालात अपेक्षाकृत शान्तिपूर्ण हैं. टॉर वैनेसलैण्ड ने ध्यान दिलाया कि सभी राजनैतिक, धार्मिक व सामुदायिक नेताओं को तनाव में कमी लाने, पवित्र स्थलों पर यथास्थितिवाद क़ायम रखने और उसकी निर्मलता का सम्मान किये जाने के लिये अपनी भूमिका निभानी होगी. उन्होंने कहा कि फ़लस्तीनी नेताओं द्वारा तनाव में कमी लाने, हमलों की निन्दा करने और हिंसा पर क़ाबू पाने के लिये सराहनीय प्रयास किये गए हैं, जिन्हें जारी रखना चाहिये. यूएन समन्वयक ने पवित्र स्थलों पर शान्ति बहाल करने के लिये क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय साझीदारों से प्राप्त मदद का उल्लेख किया, जिससे वहाँ मुसलमान श्रृद्धालुओं के लिये जा पाना सम्भव हुआ है. घातक हमले यूएन के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक़, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े और इसराइल में रोज़मर्रा की हिंसा में तेज़ी से वृद्धि हुई है. क़ाबिज़ पश्चिमी तट और इसराइल में प्रदर्शनों, झड़पों, तलाशी व गिरफ़्तारी अभियान, हमलों व अन्य घटनाओं के दौरान, इसराइली सुरक्षा बलों द्वारा 23 फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें तीन महिलाएँ और चार बच्चे हैं. 541 फ़लस्तीनी घायल हुए हैं, जिनमें 30 महिलाएँ और 80 बच्चे हैं. इसराइली बस्तियों के बाशिन्दों और अन्य आम लोगों ने फ़लस्तीनियों पर 66 हमले किये हैं, जिनमें 9 लोग घायल हुए हैं और फ़लस्तीनी सम्पत्तियों को नुक़सान हुआ है. वहीं, फ़लस्तीनी गोलीबारी, चाकूबाज़ी, पथराव और अन्य हमलों में अब तक 12 इसराइलियों के मारे जाने की ख़बर है, जिनमें दो महिलाएँ हैं. तीन विदेशी नागरिकों की भी मौत हुई है. 82 इसराइली घायल हुए हैं, जिनमें छह बच्चे, चार महिलाएँ और एक विदेशी नागरिक है. बताया गया है कि फ़लस्तीनियों ने अब तक इसराइली नागरिकों के विरुद्ध 104 हमले किये हैं, जिनमें अनेक लोग घायल हुए हैं और सम्पत्ति को नुक़सान पहुँचा है. पिछले दो सप्ताह में, इसराइल में चार आतंकी हमले हो चुके हैं, जो पिछले कई वर्षों में सबसे घातक बताए गए हैं. विशेष समन्वयक ने ज़ोर देकर कहा कि 22 मार्च के बाद से, दोनों पक्षों की ओर हताहतों की सूची को देखना ह्रदयविदारक है, और सभी हिंसक कृत्यों के लिये ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही जल्द तय की जानी होगी. गहरी चिन्ता की वजह उन्होंने ग़ाज़ा का उल्लेख करते हुए बताया कि वहाँ सुरक्षा, मानवीय व आर्थिक हालात बेहद परेशान कर देने वाले हैं, और स्वास्थ्य देखभाल पाने में अनेक अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है. कई महीनों से रॉकेट ना दागे जाने के अन्तराल के बाद, अब चरमपंथियों ने ग़ाज़ा से इसराइल की ओर पाँच रॉकेट दागे हैं, जिनसे स्डेरॉट नामक शहर में सम्पत्ति को नुक़सान हुआ है. अन्य रॉकेट को या तो इसराइली ‘आयरन डोम’ प्रणाली ने निष्क्रिय कर दिया, या फिर खुले स्थानों पर जाकर गिरे हैं. इन हमलों के बाद, इसराइली प्रशासन ने फ़लस्तीनी कर्मचारियों और व्यापारियों के लिये इसराइली ऐरेत्ज़ सीमा चौकी को बन्द कर दिया है. टॉर वैनेसलैण्ड ने ज़ोर देकर कहा है कि इसराइली आबादी वाले इलाक़ों में अंधाधुंध ढँग से रॉकेट दागे जाना, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का हनन है और इसे तुरन्त रोका जाना होगा. प्रगति संकेत टॉर वैनेसलैण्ड के मुताबिक़, इसराइली सरकार ने ग़ाज़ा से इसराइल में फ़लस्तीनी कामगारों के आने के लिये 20 हज़ार से अधिक परमिट को स्वीकृति दी है. ढाई हज़ार परमिट व्यापारियों व व्यावसायियों को पहले से ही दिये जा चुके हैं. साथ ही सरकार ने ग़ाज़ा और इसराइल के बीच चौकियों को बेहतर बनाने के लिये एक करोड़ 20 लाख डॉलर की धनराशि आवण्टित की है. दोनों देशों के बीच एक समझौते के बाद, ग़ाज़ा में मछली पकड़ने के लिये नाव की मरम्मत और सैक्टर को स्फूर्ति बनाने के लिये तैयारियों को अन्तिम रूप दिया जा रहा है. इसकी पृष्ठभूमि में अन्य सैक्टर में लागू पाबन्दियों को भी कम करने में मदद मिलने की आशा जताई गई है. यूक्रेन संकट का असर यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण क़ीमतों में तेज़ उछाल आया है और मध्य पूर्व के बाज़ारों में व्यवधान दर्ज किया गया है, जिससे क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में निर्बल परिवारों की खाद्य सुरक्षा के लिये जोखिम है. फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये समर्थन प्रदान करने वाली यूएन एजेंसी (UNRWA) द्वारा सहायता वितरण की त्रैमासिक क़ीमत, वर्ष 2021 में ग़ाज़ा के लिये 42 फ़ीसदी तक बढ़ी है, जहाँ संयुक्त राष्ट्र खाद्य आपूर्ति के क़रीब 60 फ़ीसदी की ज़िम्मेदारी सम्भालता है. अतिरिक्त वित्त पोषण के अभाव में इस वर्ष यूएन एजेंसियों के लिये फ़लस्तीनियों की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने में चुनौतियाँ पेश आ सकती हैं, जिससे क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में अस्थिरता बढ़ने का ख़तरा पैदा होगा. उन्होंने यूएन एजेंसी के लिये तत्काल समर्थन मुहैया कराये जाने का आग्रह किया है, जिसके समक्ष एक गम्भीर वित्तीय संकट मौजूद है. साथ ही सभी पक्षों, क्षेत्रीय साझीदारों और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों से आग्रह किया है कि क्षेत्र में व्यवस्थागत मुद्दों से निपटते समय फ़लस्तीनी प्राधिकरण को वित्तीय रूप से मज़बूत बनाया जाना होगा. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in