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मैडागास्कर: कुछ इलाक़े अकाल से प्रभावित, बच्चों के लिये बढ़ा जोखिम

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने मंगलवार को कहा है कि दक्षिणी मैडागास्कर के कुछ इलाक़ों को अकाल के हालात का सामना करना पड़ रहा है. यूएन एजेंसी के देशीय उपनिदेशक एरडुइनो मैनगोनी के अनुसार यह जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाला, शायद पहला अकाल है. उपनिदेशक एरडुइनो मैनगोनी ने जिनीवा में उपस्थित पत्रकारों को, ज़ूम के ज़रिये बताया कि क्षेत्र को पिछले 40 वर्षों के सबसे गम्भीर सूखे का सामना करना पड़ा है. एरडुइनो मैनगोनी ने बताया कि देश के दक्षिणी इलाक़े में एक आपात पोषण केंद्र का दौरा, उनके लिये एक हृदयविदारक अनुभव था. 𝑻𝒉𝒊𝒔 𝒎𝒂𝒚 𝒃𝒆 𝒕𝒉𝒆 𝒇𝒊𝒓𝒔𝒕 𝒄𝒍𝒊𝒎𝒂𝒕𝒆 𝒄𝒉𝒂𝒏𝒈𝒆 𝒇𝒂𝒎𝒊𝒏𝒆 𝒊𝒏 𝒕𝒉𝒆 𝒘𝒐𝒓𝒍𝒅.@wfp issues a stark warning on the food insecurity in #Madagascar, where severe hunger has touched over 1.1 million people. pic.twitter.com/D5zrfZ3ymO — UN Geneva (@UNGeneva) November 2, 2021 उन्होंने कहा कि वहाँ चुप्पी पसरी थी, बच्चे बस आपको एकटक देखे जा रहे थे और त्वचा व हड्डियों का ढाँचा नज़र आ रहे थे. “मैं WFP के साथ इस महाद्वीप पर अनेक देशों में काम करता रहा हूँ, डीआरसी, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, दार्फ़ूर सहित अनेक आपातकालीन परिस्थितियों में. मैंने बच्चों को इस तरह की परिस्थितियों में कभी नहीं देखा है.” “वे वृद्धजन जिनकी हम दक्षिण में सहायता करते हैं, वे हमें बताते रहते हैं कि यह 1981 से सर्वाधिक गम्भीर घटना है, जिसे वे Kéré’ बताते हैं.” अप्रैल महीने के लिये उपलब्ध डेटा कुल मिलाकर, क़रीब 13 लाख मालागासी की आबादी को श्रेणी 3 (संकटपूर्ण हालात), 4 ( आपात हालात) और 5 (विनाशाकारी हालात/अकाल) में वर्गीकृत किया गया है. नए डेटा के बाद संशोधित अनुमान को इस वर्ष के अन्त में जारी किया जाना है. जलवायु जनित परिस्थितियाँ विश्व के अनेक अन्य देशों – यमन, दक्षिण सूडान और इथियोपिया/टीगरे – में श्रेणी 5 की अकाल परिस्थितियों की वजह हिंसक संघर्ष है. इसके विपरीत, मैडागास्कर संकट, विनाशकारी जलवायु कारकों का नतीजा है. यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले पाँच वर्षों में बार-बार सूखा पड़ा है, भूमि क्षरण से रेतीले तूफ़ान की नई घटनाएँ हुई हैं, पिछले 20 से 30 वर्षो में वनों की कटाई हुई है और फिर कोविड-19 महामारी का भी असर हुआ है. बताया गया है कि वैश्विक महामारी की वजह से पर्यटन और सप्लाई चेन प्रभावित हुए हैं, और अन्य नगरों में जाकर कामकाज की तलाश करने वाले गाँववासियों के पास यह विकल्प नहीं बचा था. भोजन, जल की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी हालात का सामना करने के लिये लोगों के पास व समाधान भी नहीं हैं, जिनका वो आमतौर पर इस्तेमाल करते रहे हैं, जैसेकि बर्तन बेचकर गुज़ारा करना. “हमारे यहाँ ऊँची क़ीमते हैं, मुद्रास्फ़ीति ज़ोरों से बढ़ रही है, विशेष रूप से खाद्य क़ीमतों की, जिनमें जल भी है.” “और फिर यहाँ असुरक्षा भी है, ‘दहालो’ की नई प्रकार की घटनाएँ हो रही है – जोकि इलाक़े में घूम रहे डाकू हैं.” यूएन एजेंसी के अनुसार, पाँच वर्ष से कम उम्र के पाँच लाख बच्चों के कुपोषितं होने की आशंका है. इनमे से एक लाख 10 हज़ार बच्चे अभी और अप्रैल 2022 तक गम्भीर रूप से कुपोषण का शिकार हो सकते हैं. उपनिदेशक मैनगोनी के अनुसार, अगर इन बच्चों तक मदद नहीं पहुँचाई गई तो उनकी मौत होने का जोखिम है. उन्होंने कहा कि सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों की मदद के लिये यूएन एजेंसी ने राशन और पोषण कार्यक्रमों का दायरा व स्तर बढ़ाया है. साथ ही, दिसम्बर तक श्रेणी 3 से श्रेणी 5 में आने वाले 10 लाख से अधिक लोगों तक पहुँचने की योजना है और यह कार्य, अगली अच्छी फ़सल के होने से पहले किया जाना होगा, जोकि अप्रैल 2022 में अपेक्षित है. विश्व खाद्य कार्यक्रम ने अगले छह महीनों तक आपात राहत प्रदान करने के लिये छह करोड़ 90 लाख डॉलर की अपील जारी की है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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