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कोविड-19: एक तिहाई दुनिया अभी पहले टीके से भी वंचित

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ने बुधवार को कहा है कि दुनिया भर की लगभग एक तिहाई आबादी को अभी कोविड-19 से बचाव की वैक्सीन का पहला टीका भी नहीं लगा है जिसमें तमाम अफ़्रीका की लगभग 83 प्रतिशत आबादी भी शामिल है, जोकि चौंका देने वाली संख्या है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेहनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को कहा, “ये स्थिति मुझे स्वीकार्य नहीं है और ये स्थिति किसी को भी स्वीकार्य नहीं होनी चाहिये." LIVE: Media briefing on #Ukraine, #COVID19 and other global health issues with @DrTedros https://t.co/3rzq0ouzDs — World Health Organization (WHO) (@WHO) March 30, 2022 "अगर दुनिया के धनी लोग टीकाकरण की उच्च दर के लाभों का आनन्द ले रहे हैं तो दुनिया के निर्धन लोगों को ये लाभ क्यों नहीं मिलने चाहिये? क्या कुछ ज़िन्दगियाँ, कुछ अन्य ज़िन्दगियों से ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं?” उन्होंने घोषणा की कि भविष्य में कोविड-19 जैसे वायरस के ख़तरे का सामना करने के लिये, विश्व स्वास्थ्य संगठन ‘जीनॉमिक’ निगरानी बढ़ाने के लिये एक नई रणनीति शुरू कर रहा है. ग़ौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण अब तक साठ लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 48 करोड़ 30 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए हैं. कोविड समाप्ति योजना संगठन के प्रमुख ने कोविड-19 का मुक़ाबला करने के लिये एक नवीनीकृत रणनैतिक तैयारी और प्रतिक्रिया योजना भी शुरू की है. उनका कहना है कि कोविड-19 के लिये यह तीसरी रणनैतिक योजना है, यह हमारी अन्तिम योजना होनी चाहिये, और हो भी सकती है. उन्होंने वर्ष 2022 के दौरान कोविड-19 महामारी का रूप बदलने के तीन सम्भावित परिदृश्य प्रस्तुत किये. उन्होंने कहा कि सबसे ज़्यादा सम्भावित परिदृश्य ये है कि वायरस अपने वजूद में सुधार करता रहेगा मगर टीकाकरण व संक्रमण के कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता में बढ़ोत्तरी होने की वजह से, इस वायरस से होने वाली बीमारी की घातकता कम होती जाएगी. रोग प्रतिरोधी क्षमता कमज़ोर पड़ने से संक्रमण और मौतों के मामलों में यदा-कदा बढ़ोत्तरी हो सकती है जिसके लिये कमज़ोर परिस्थितियों वाली आबादियों को अतिरिक्त टीके (बूस्टर) लगाने होंगे. एक आदर्श स्थिति में, वायरस के कम गम्भीर वैरिएण्ट्स या रूप उत्पन्न होने की उम्मीद की जा सकती है, और ऐसे हालात में बूस्टर टीकों या वैक्सीन के नए रूपों की ज़रूरत ही नहीं होगी. डॉक्टर टैड्रॉस ने आगाह करते हुए कहा कि सबसे बदतर परिदृश्य में, वायरस का बहुत ज़्यादा गम्भीर और संक्रामक वैरिएण्ट उत्पन्न हो सकता है, जल्दी या देर में. और आबादी के टीकाकरण या संक्रमण की बदौलत - गम्भीर बीमारी व मृत्यु के विरुद्ध विकसित लोगों की क्षमता, उस नए ख़तरे के ख़िलाफ़ बहुत तेज़ी से लुप्त हो जाएगी या कमज़ोर पड़ जाएगी. उन्होंने कहा कि इस स्थिति का मुक़ाबला करने के लिये दुनिया को मौजूदा वैक्सीन में महत्वपूर्ण बदलाव करने होंगे और ऐसे लोगों का टीकाकरण सुनिश्चित करना होगा जो गम्भीर बीमारियों से प्रभावित होने के लिये बहुत निर्बल परिस्थिति में हैं. © UNDP Mauritius/Stephae Bellar मॉरिशस में एक स्वास्थ्यकर्मी, एक कोविड-19 परीक्षण केन्द्र पर निजी बचाव उपकरण (PPE) पहने हुए. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने देशों की सरकारों से अपना ध्यान केन्द्रित करने और संसाधन निवेश के लिये, पाँच रणनैतिक क्षेत्रों की पहचान की है: निगरानी, प्रयोगशालाएँ, और सार्वजनिक स्वास्थ्य बुद्धिमत्ता टीकाकरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपाय, और सक्रिय समुदाय कोविड-19 के लिये क्लीनिकल देखभाल, और सहनसक्षम स्वास्थ्य प्रणालियाँ शोध व विकास, और उपकरणों व सामान की समान उपलब्धता और अन्त में, समन्वय, क्योंकि महामारी का मुक़ाबला करने की प्रक्रिया आपदा स्थिति से दीर्घकालीन श्वसन बीमारी प्रबन्धन में तब्दील हो रही है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने कहा, “इस महामारी पर क़ाबू पाने के लिये हमारे पास सभी उपकरण उपलब्ध हैं: हम मास्क का प्रयोग करके, सामाजिक दूरी बरतकर, हाथ स्वच्छ रखकर और वायु संचार के ज़रिये संक्रमण को रोक सकते हैं; और सभी के लिये परीक्षण, उपचार और वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करके, ज़िन्दगियों की रक्षा कर सकते हैं.” उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि ज़िन्दगियाँ बचाने के लिये, समान टीकाकरण, दुनिया के सामने एक सर्वाधिक शक्तिशाली उपकरण व विकल्प मौजूद है. हर देश में 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण किया जाना, इस महामारी पर क़ाबू पाने के प्रयासों में अब भी अति महत्वपूर्ण बना हुआ है, उनमें भी स्वास्थ्यकर्मियों, वृद्धजन और अन्य निर्बल परिस्थितियों वाले लोगों को प्राथमिकता देने के साथ. WHO/Nana Kofi Acquah विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अनेक देशों में टैस्टिंग क्षमता को पुख़्ता बनाने में मदद की है. संकट के ठिकाने डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में इस वर्ष दो करोड़ 40 लाख लोगों को मानवीय सहायता की ज़रूरत है, और ये लोग विस्थापन, सूखा, खाद्य असुरक्षा, कुपोषण और कोविड-19 के अलावा, अन्य तरह की अनेक स्वास्थ्य चुनौतियों का भी सामना कर रहे हैं. महिलाएँ व लड़कियाँ ख़ासतौर से ज़्यादा जोखिम का सामना कर रही हैं जिन्हें स्वास्थ्य देखभाल के अभाव से लेकर शिक्षा प्राप्ति के अभाव जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टर टैड्रॉस ने इथियोपिया के उत्तरी हिस्से में भी युद्धक गतिविधियों के कारण लाखों लोगों की ज़िन्दगियों व स्वास्थ्य सेवाओं के लिये उत्पन्न हुए जोखिम का ज़िक्र किया. डॉक्टर टैड्रॉस की पारिवारिक जड़ें टीगरे से सम्बन्धित हैं. उन्होंने इथियोपिया सरकार व टीगरे के क्षेत्रीय नेताओं के बीच मानवीय सहायता के लिये गत सप्ताह हुए एक समझौते का स्वागत किया. उन्होंने ध्यान दिलाया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक स्वास्थ्य आपदा अपील-2022 के तहत, लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने और दुनिया भर में तकलीफ़ें कम करने के लिये, दो अरब 70 करोड़ डॉलर की राशि की ज़रूरत है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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