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कोविड-19: छात्रों की जीवन-पर्यन्त कमाई पर असर, 17 हज़ार अरब डॉलर के नुक़सान की आशंका

कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों में तालाबन्दी होने की वजह से, छात्रों की मौजूदा पीढ़ी को अपनी आजीवन कमाई में 17 हज़ार अरब डॉलर के नुक़सान का सामना करना पड़ सकता है. वैश्विक शिक्षा संकट के मुद्दे पर, विश्व बैन्क (World Bank), यूएन शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक संगठन (UNESCO), और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की नई रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है. 'The State of the Global Education Crisis: A Path to Recovery', शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में, वर्तमान मूल्य के आधार पर पेश किया गया यह आँकड़ा, मौजूदा सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 14 फ़ीसदी है. $17 trillion. That's how much this generation of students risks losing in lifetime earnings due to COVID-19 school closures. Getting children's education back on track must be a top and urgent priority. Their futures depend on it.@WorldBank @UNICEF @UNESCO — UNICEF (@UNICEF) December 6, 2021 यह आँकड़ा, पिछले वर्ष अनुमानित 10 हज़ार अरब डॉलर की राशि से बहुत ज़्यादा है, जोकि दर्शाता है कि कोरोनावायरस संकट का असर आशंका से कहीं गहरा साबित हुआ है. विश्व बैन्क में शिक्षा के लिये वैश्विक निदेशक, जेमी सावेद्रा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया भर में शिक्षा प्रणाली ठहर गई थी. 20 महीने बाद भी, लाखों बच्चे अभी स्कूलों से बाहर हैं और अन्य शायद कभी ना लौट पाएं. रिपोर्ट दर्शाती है कि निम्न और मध्य-आय वाले देशों में पढ़ाई-लिखाई की निर्धनता से जूझ रहे बच्चों का हिस्सा, 53 फ़ीसदी से बढ़कर 74 प्रतिशत तक पहुँच सकता है. “अनेक बच्चे, पढ़ाई-लिखाई के नुक़सान का अनुभव कर रहे हैं, जोकि नैतिक रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता है.” इन हालात में, भविष्य में छात्रों की उत्पादकता, कमाई और बच्चों व युवाओं की इस पीढ़ी, उनके परिवारों व विश्व की अर्थव्यवस्थाओं के कल्याण पर विनाशकारी असर होने का जोखिम है. गहरी हुई विषमताएँ ब्राज़ील, पाकिस्तान, भारत, दक्षिण अफ़्रीका और मैक्सिको सहित अन्य देशों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गणित, और पढ़ने के कौशल में काफ़ी हद तक नुक़सान हुआ है. कुछ मामलों में इस असर को मोटे तौर पर स्कूलों में तालाबन्दी की अवधि के अनुपात में देखा जा सकता है. देशों, विषयों, छात्रों के सामाजिक-आर्थिक दर्जे, लैंगिकता, और कक्षा के आधार पर भी भिन्नताएँ देखने को मिली हैं. दुनिया भर से प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार, कोविड-19 महामारी ने शिक्षा में विषमतापूर्ण हालात पैदा किये हैं. निम्न-आय वाले घरों के बच्चों, विकलांग बच्चों और लड़कियों के लिये घर बैठकर पढ़ाई जारी रख पाना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हुआ है. बड़ी कक्षाओं में छात्रों की तुलना में, छोटे बच्चों के लिये दूरस्थ शिक्षा के लिये अवसरों की सुलभता कम थी, जिसकी वजह उन्हें पढ़ाई का नुक़सान अधिक उठाना पड़ा है, विशेष रूप से प्री-स्कूल बच्चों में. रिपोर्ट बताती है कि हाशिएकरण का सबसे अधिक शिकार और सर्वाधिक निर्बल समुदायों पर अन्य समूहों की तुलना में ज़्यादा असर दिखाई दिया है. अहम प्राथमिकताएं संयुक्त राष्ट्र बाल कोष में शिक्षा मामलों के निदेशक रॉबर्ट जेनकिन्स ने स्कूलों को फिर से खोले जाने का आहवान किया है, ताकि इस पीढ़ी पर होने वाले गहरे प्रभावों को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामरी ने दुनिया भर में स्कूलों को बन्द कर दिया, और एक समय एक अरब 60 करोड़ छात्रों की शिक्षा में व्यवधान दर्ज किया गया, और लैंगिक विभाजन भी गहराया. बताया गया है कि देशों द्वारा पेश किये गए आर्थिक स्फूर्ति पैकेजों में महज़ तीन प्रतिशत ही शिक्षा के लिये आवण्टित किया गया है. इसके मद्देनज़र, ज़्यादा धनराशि मुहैया कराये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है. यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोला जाना, एक वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिये, और देशों को पढ़ाई-लिखाई में हुए नुक़सान की भरपाई के लिये कार्यक्रमों को लागू किया जाना होगा. इन उपायों के ज़रिये, इस पीढ़ी के छात्रों में भी उनके पूर्ववर्तियों की तरह कौशल व विकास सुनिश्चित किया जा सकता है. साथ ही, लक्षित ढँग से सिखाये जाने समेत अन्य तरीक़ों को अपनाया जा जा सकता है, यानि बच्चों की ज़रूरतों व उनके स्तर के अनुरूप पढ़ाये जाने की व्यवस्था करना. दीर्घकाल में सुदृढ़ शिक्षा प्रणाली के लिये, देशों से सामर्थ्यकारी माहौल का निर्माण करने के लिये क़दम उठाने और सभी छात्रों के लिये डिजिटल माध्यमों पर पढ़ाई-लिखाई की सम्भावनाओं का लाभ उठाने की अहमियत पर बल दिया गया है. इस प्रक्रिया में अभिभावकों, परिवारों, और समुदायों की अहम भूमिका को भी ध्यान रखा जाना होगा, और शिक्षकों के लिये पेशेवर विकास के अवसर उपलब्ध व सुलभ बनाये जाने अहम होंगे. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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