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कोविड-19: पारिवारिक आय में गिरावट, पीढ़ियों के लिये विषमता बढ़ने की आशंका

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और विश्व बैंक (World Bank) की एक साझा रिपोर्ट दर्शाती है कि कोविड-19 महामारी के कारण, बच्चों वाले कम से कम दो-तिहाई घर-परिवारों को आय में नुक़सान झेलना पड़ा है और बड़ी संख्या में बच्चे बुनियादी ज़रूरतों से वंचित हो गए हैं. ‘Impact of COVID-19 on the welfare of households with children’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट 35 देशों से एकत्र डेटा और निष्कर्षों पर आधारित है. The new @WorldBank & @UNICEF joint report reveals the impact of the pandemic on the welfare of households with children. Check out to publication to find out more about the effects of COVID-19. ⬇️https://t.co/BMIKPe9zZ7 — UNICEF Social Policy (@UNICEFSocPolicy) March 10, 2022 रिपोर्ट के अनुसार, जिन परिवारों में तीन या उससे अधिक बच्चे हैं, उनके मुश्किलों का सामना करने की सम्भावना अधिक है – तीन चौथाई से अधिक घर-परिवारों को आय में गिरावट का अनुभव करना पड़ा है. कार्यक्रम समूह के लिये यूनीसेफ़ निदेशक संजय विजेसेखरा ने कहा, “परिवार, भोजन या अति-आवश्यक सेवाओं को वहन कर पाने में सक्षम नहीं हैं. वो आवास व्यवस्था में सक्षम नहीं हैं.” यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एक निराशाजनक तस्वीर है और हालात ग़रीब घर-परिवारों को और अधिक निर्धनता की ओर धकेल रहे हैं. एक साझा प्रैस विज्ञप्ति के अनुसार, आय हानि के कारण एक चौथाई से अधिक घर-परिवारों में वयस्क ऐसी स्थिति में हैं, जहाँ बच्चों को एक या उससे अधिक दिन बिना भोजन के गुज़ारा करना पड़ रहा है. इसके अलावा, बच्चों वाले क़रीब आधे घर-परिवारों में बालिगों ने बताया कि धन की कमी के कारण उन्हें भी बिना भोजन के रहना पड़ रहा है. यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल के कुछ वर्षों में बाल निर्धनता में कमी लाने के लिये दर्ज की गई प्रगति की दिशा पलट जाने का जोखिम है. परिवारों को व्यापक स्तर पर नुक़सान हुआ है, महंगाई ऊँचे स्तर पर है, जबकि बच्चों वाले दो-तिहाई से अधिक घर-परिवारों में आय कम हुई है. ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, कोविड-19 के कारण उपजे आर्थिक संकट से बच्चों और परिवारों पर सर्वाधिक असर होने का जोखिम है. बहुआयामी निर्धनता से प्रभावित बच्चों की संख्या वर्ष 2020 में बढ़कर एक अरब 20 करोड़ तक पहुँच गई – उनके पास शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, साफ़-सफ़ाई और जल की सुलभता नहीं है. वर्ष 2021 में अतिरिक्त 10 करोड़ बच्चों के बहुआयामी निर्धनता के गर्त में धँसने की आशंका जताई गई है. बुनियादी ज़रूरतों से वंचित रिपोर्ट बताती है कि उन 40 प्रतिशत घर-परिवारों के बच्चे जोकि स्कूलों में तालाबन्दी के दौरान, किसी प्रकार की शैक्षिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले रहे थे, वे बुनियादी ज़रूरतों से भी वंचित थे. विश्व बैंक में निर्धनता व समता के लिये वैश्विक निदेशक कैरोलिया सांचेज़-परामो ने बताया कि बच्चों के लिये शिक्षा व स्वास्थ्य देखभाल में व्यवधान से मानव पूँजी विकास की रफ़्तार पर रोक लग सकती है. © UNICEF/Antoine Raab कम्बोडिया के रतनाकिरी प्रान्त में एक स्वास्थ्य केंद्र पर एक महिला अपनी बेटी के साथ. उन्होंने कहा कि समाज में योगदान देने वाले अहम सदस्य बनने के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य व कल्याण के ज़रूरी स्तर उनके दूर रह जाने की आशंका है. पीढ़ीगत विषमता रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 से पहले दुनिया भर में हर छह में से एक बच्चा, 35 करोड़ 60 लाख बच्चे, अत्यधिक निर्धनता का अनुभव कर रहे थे, जहाँ घर-परिवार को प्रतिदिन एक डॉलर 90 सैण्ट्स से भी कम पर गुज़ारा करने के लिये संघर्ष करना पड़ रहा था. 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे मध्यम स्तर पर ग़रीबी का सामना कर रहे थे. क़रीब एक अरब बच्चे विकासशील देशों में बहुआयामी निर्धनता में जीवन गुज़ार रहे थे, और वैश्विक महामारी के कारण यह आँकड़ा 10 प्रतिशत बढ़ चुका है. मानव पूँजी का विकास ना हो पाने पर सांचेज़-परामो ने बताया कि मौजूदा हालात, आने वाली पीढ़ियों के लिये बढ़ती विषमता को निर्धारित कर सकती है. इन हालात में फिर बच्चों के अपने अभिभावकों या उनसे पहले की पीढ़ियों से बेहतर जीवन जीने की सम्भावना कमज़ोर हो जाएगी. सामाजिक संरक्षा रिपोर्ट के अनुसार, तीन या उससे अधिक बच्चों वाले घर-परिवारों में आय सम्बन्धी नुक़सान होने की सम्भावना सबसे अधिक है, मगर उन्हें सरकार की ओर से सहायता प्राप्त होने की सम्भावना भी सबसे अधिक होती है. © UNICEF/Tiatemjen Jamir भारत के नागालैण्ड के एक स्कूल में एक 17 वर्षीय लड़की अपनी कक्षा में खड़ी है. बिना बच्चों वाले 10 प्रतिशत घर-परिवारों को सरकार से सहायता से मिल रही है जबकि बच्चों वाले घर-परिवारों के लिये यह आँकड़ा 25 फ़ीसदी है, जिससे संकट के असर को कुछ हद तक कम किया जा सकता है. यूनीसेफ़ और विश्व बैंक ने अपनी साझा पुकार में बच्चों और उनके परिवारों के लिये सामाजिक संरक्षा प्रणालियों का दायरा त्वरित ढँग से बढ़ाने का आग्रह किया है. इसके तहत, नक़दी हस्तांतरण, बाल सहायता का सार्वभौमिकरण पर बल दिया जाएगा, ताकि महत्वपूर्ण निवेशों के ज़रिये परिवारों को आर्थिक दबावों से निकाला जा सके और भावी झटकों से निपटने के लिये तैयार किया जा सके. विश्व बैंक का कहना है कि वैश्विक महामारी की शुरुआत से अब तक, 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों ने हज़ारों सामाजिक संरक्षण उपायों को पेश किया है. इस क्रम में, विश्व बैंक ने ऐसे उपायों को लागू करने में देशों को साढ़े 12 अरब डॉलर की सहायता प्रदान की है और इसके ज़रिये एक अरब व्यक्तियों तक पहुँचा गया है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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