Share Market की गिरावट का इतिहास जानें, इस साल सबसे अधिक निवेशकों के डूबे थे पैसे

Sub Heading Crash: पिछले कुछ हफ्तों से घरेलू शेयर बाजार में गिरावट जारी है। निवेशकों के पैसे लगातार डूब रहे। ग्लोबल मार्केट भी गिर रहा है। इसकी वजह मध्य देशों का संघर्ष है।
शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी।
शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी। रफ्तार।

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। पिछले कुछ हफ्तों से घरेलू शेयर बाजार में गिरावट जारी है। निवेशकों के पैसे लगातार डूब रहे। ग्लोबल मार्केट भी गिर रहा है। इसकी वजह मध्य देशों का संघर्ष है। जब-जब शेयर बाजार में भारी गिरावट होता है तो उसे शेयर मार्केट क्रैश (Share Market Crash) कहते हैं। हम बता रहे कि शेयर बाजार में कब-कब भारी गिरावट आई है। इसी वजह क्या थी?

1907 का गिरावट बैंकर्स पैनिक नाम से जाना जाता

1907 में शेयर बाजार में आई गिरावट बैंकर्स पैनिक (1907 Bankers’ Panic)नाम से जानता है। न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE) में नाइकरबॉकर ट्रस्ट कंपनी (Knickerbocker Trust Company) के शेयरों की कीमतों में हेरफेर के बाद करीब 50 फीसदी की गिरावट आई थी। इस गिरावट का असर भारतीय शेयर बाजार में भी भारी गिरावट आई। इस गिरावट ने शेयर बाजार में एक डर का माहौल बना दिया था।

1929 अंत में भारी गिरावट आई थी

1929 अंत और 1930 की शुरुआत में शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। इससे पहले 20 साल तक शेयर बाजार बढ़त में कारोबार कर रहा था। 25 अक्टूबर 1929 को डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज (Dow Jones Industrial Average) के स्टॉक में 12 फीसदी से अधिक गिरावट आई। तब द्वितीय विश्व युद्ध के कारण दुनिया में पूंजीवादी आर्थिक व्यवस्था (Capitalist Economic Systems) का भी डर छाया हुआ था। अमेरिका के वॉल स्ट्रीट (Wall Street) क्रैश ने दुनिया के बाकी शेयर बाजार को भी प्रभावित कर दिया था।

ब्लैक मंडे नाम से जानते हैं लोग इस गिरावट को

जब डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज (Dow Jones Industrial Average) के शेयर 22 फीसदी से अधिक गिरे थे तो इसने शेयर बाजार को बुरी तरह प्रभावित कर दिया था। इससे एक दिन में शेयर बाजार 500 से ज्यादा अंक गिर गए थे। इस गिरावट को ब्लैक मंडे या काला सोमवार कहा जाता है।

2007 में बुरी तरह से गिरा था वैश्विक बाजार

2007 में वैश्विक वित्तीय संकट ने शेयर बाजार को बुरी तरह बर्बाद कर दिया था। संकट ने शेयर बाजार में भूचाल लाया था। इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर दिखा था। सबसे अधिक अमेरिकी बाजार में गिरावट आई थी।

2020 में कोरोना संक्रमण से बाजार प्रभावित

साल 2020 में दुनिया भर में कोरोना संक्रमण का प्रभाव सभी सेक्टर पर पड़ा था। दुनिया भर के शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट आई थी। इस महामारी ने ग्लोबल मार्केट में तनाव पैदा किया था।

भारतीय शेयर बाजार में कब-कब भारी गिरावट

21 जनवरी 2008 में शेयर बाजार में तेजी से गिरावट दिखी थी। इस दिन सेंसेक्स 1408 अंक गिरा था। वैश्विक मंदी से यह गिरावट आई थी।

24 अक्टूबर 2008 में निवेशकों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। इस साल जनवरी में वैश्विक मंदी में सुधार बाद फिर से अक्टूबर में अमेरिकी बैंकों के शेयरों में गिरावट आई थी। गिरावट का असर शेयर मार्केट पर पड़ा और 24 अक्टूबर 2008 को स्टॉक एक्सचेंज में 1070 अंक गिरावट दर्ज हुई थी।

24 अक्टूबर 2015 को सेंसेक्स 1624 अंक गिरा था। यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। इसकी वजह वैश्विक बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपए में तेजी से गिरावट थी। सरकार द्वारा जारी आम बजट के कारण 1 फरवरी 2020 को सेंसेक्स 987 अंक गिरा था।

28 फरवरी 2020 को शेयर बाजार गिरा था। इसकी वजह वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण बढ़ने की आशंका थी। इस दिन सेंसेक्स 1448 अंक गिरा था।

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