जापान की इच्छाधारी सोच समुद्र, पृथ्वी और मानव जाति के खिलाफ एक बड़ा खतरा है

japan39s-wishful-thinking-poses-a-great-threat-to-the-sea-the-earth-and-mankind
japan39s-wishful-thinking-poses-a-great-threat-to-the-sea-the-earth-and-mankind

बीजिंग, 29 मई (आईएएनएस)। चीन स्थित जापानी दूतावास ने हाल ही में अपनी वेबसाइट पर फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र में परमाणु दूषित पानी पर प्रश्न-उत्तर प्रकाशित किया, जिसमें कहा गया कि जापान द्वारा योजनानुसार समुद्र में छोड़े जाने वाला जल परमाणु दूषित पानी नहीं है, बल्कि एएलपीएस उपचारित पानी है, और यह भी कहा गया कि जापान की यह निपटारा विधि अंतर्राष्ट्रीय नियम के अनुरूप है। इस आधार पर कि चीन सहित दुनिया के विभिन्न देश सार्वभौमिक रूप से परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से समुद्र में रेडियोधर्मी कचरे का निर्वहन करते हैं। वास्तव में, जापानी मीडिया और जापान सरकार के सार्वजनिक दस्तावेज परमाणु अपशिष्ट जल शब्द का उपयोग करते हैं। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने जानबूझकर उपचारित पानी शब्द का उपयोग किया, जिसकी मंशा बाहरी दुनिया के लिए भ्रम पैदा करना चाहता है। यानी कि ऐसा लगता है कि भारी प्रदूषित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के अपशिष्ट जल को कुछ उपकरणों द्वारा उपचारित किए जाने के बाद सुरक्षित रूप से समुद्र में फेंका जा सकता है, जैसे विभिन्न देशों में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से समुद्र में उपयोग किए गए पानी का निर्वहन। हास्यास्पद बात यह है कि कुछ जापानी राजनयिकों ने बार-बार दावा किया है कि परमाणु अपशिष्ट जल बहुत सुरक्षित है, यहां तक कि वे कहते हैं कि यह पानी सीधे तौर पर पीया जा सकता है, तो आज तक वे पानी पीने का परीक्षण करने से क्यों डरते हैं? और तो और, इतने सुरक्षित पानी को जापान क्यों अपने देश में नहीं रखता? अगर उसका निपटारा प्राकृतिक वाष्पीकरण और आसवन से भी किया जा सकता है, तो जापान ऐसा क्यों नहीं करता? इन सवालों का केवल एक ही उत्तर है : इस तरह का निपटारा करना समय, श्रम और पैसे का बड़ा खर्च होता है। इसलिए प्रदूषित पानी को समुद्र में डंप करना कितना सुविधाजनक है। जापान की यह इच्छाधारी सोच मूल रूप से समुद्र, पृथ्वी और मानव जाति के खिलाफ एक बहुत बड़ा खतरा है। ( साभार : चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

Raftaar | रफ्तार
raftaar.in