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अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी दिवस: तिहरे पर्यावरणीय संकटों से निपटने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि पृथ्वी पर तीन बड़े संकट – जलवायु व्यवधान, प्रकृति व जैवविविधता की हानि, और प्रदूषण व अपशिष्ट – करोड़ों लोगों के रहन-सहन और वजूद के लिये जोखिम उत्पन्न कर रहे हैं. उन्होंने शुक्रवार, 22 अप्रैल, को ‘अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी दिवस’ के अवसर पर इन तिहरी आपदाओं से निपटने के लिये महत्वाकांक्षी कार्रवाई का आहवान किया है. यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा है कि हमारे पास केवल एक ही माँ पृथ्वी है, और उसकी रक्षा के लिये हर सम्भव प्रयास किये जाने होंगे. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2009 में एक प्रस्ताव पारित करके, हर वर्ष 22 अप्रैल को 'अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी दिवस' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी. A triple crisis - climate change, biodiversity loss & pollution - is threatening the survival of millions of people worldwide. There is still hope, but we need to do much more & much faster. We have only one Mother Earth. We must do everything we can to protect her. #EarthDay pic.twitter.com/ajy22QdPaP — António Guterres (@antonioguterres) April 22, 2022 महासचिव गुटेरेश ने अपने वीडियो सन्देश में कहा कि यह दिवस, “हमारे लिये इस बारे में अपने भीतर झाँकने का एक अवसर है कि मानवता हमारे पृथ्वी ग्रह के साथ कैसा बर्ताव करती रही है.” उन्होंने सचेत किया कि सच ये है, हम अपने नाज़ुक घर के कमज़ोर रखवाले रहे हैं, जिसके कारण पृथ्वी तीन तरह के संकटों का सामना कर रही है. जलवायु व्यवधान. प्रकृति व जैवविविधता की हानि. प्रदूषण व अपशिष्ट. यूएन प्रमुख ने चिन्ता जताई कि इन चुनौतियों के कारण विश्व भर में करोड़ों लोगों के रहन-सहन और वजूद के लिये ही जोखिम पैदा हो रहा है. “प्रसन्न व स्वस्थ ज़िन्दगियों की आधारशिलाएँ – स्वच्छ जल, ताज़ा वायु, एक स्थाई और प्रत्याशित जलवायु – अव्यवस्था के शिकार हैं, जिससे टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिये भी ख़तरा उत्पन्न हो गया है. समाधान सम्भव यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने उम्मीद जताई कि इन तिहरे संकटों से निपटने के लिये एकजुट होकर कारगर क़दम उठाये जा सकते हैं. उन्होंने ध्यान दिलाया कि पचास वर्ष पहले, दुनिया ने स्टॉकहोम सम्मेलन के लिये एकजुटता दिखाई थी. वो वैश्विक पर्यावरणीय आन्दोलन की शुरुआत थी. “हमने ओज़ोन परत में बने छिद्र को भर दिया है. हमने वन्य जीवन और पारिस्थितिकियों के लिये सुरक्षाओं का दायरा बढ़ाया है.” “हमने सीसायुक्त ईंधन का प्रयोग बन्द कर दिया है जिससे लाखों लोगों की समय पूर्व मौत से रक्षा हुई है. और अभी पिछले महीने ही, हमने प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिये, ऐतिहासिक वैश्विक प्रयास शुरू किया है.” यूएन प्रमुख के अनुसार दुनिया ने साबित किया है कि एकजुट होकर विशालकाय चुनौतियों का सामना किया जा सकता है. इस वर्ष जून में, दुनिया स्टॉकहोम+50 बैठक के लिये, एक बार फिर स्वीडन में एकत्र होगी. इस क्रम में, उन्होंने नेतृत्वकर्ताओं से, इन तिहरी पृथ्वी आपदाओं से निपटने के लिये आवश्यक महत्वाकांक्षा और कार्रवाई अपने साथ लाने का आहवान किया है. जलवायु कार्रवाई महासचिव ने स्वस्थ वातावरण के अधिकार को सुनिश्चित किये जाने के साथ-साथ त्वरित उपायों को अपनाने, विशेष रूप से जलवायु आपदा से निपटने के लिये, पर बल दिया है. “हमें वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सैल्सियस तक सीमित रखना होगा. हम उस लक्ष्य से बहुत पीछे हैं.” “1.5 लक्ष्य की प्राप्ति के लिये, देशों को कार्बन उत्सर्जनों में 2030 तक 45 प्रतिशत की कटौती करनी होगी और 2050 तक कार्बन तटस्थता हासिल करनी होगी.” यूएन प्रमुख के अनुसार बड़े उत्सर्जक देशों को तो कार्बन उत्सर्जन में विशाल कटौती इसी साल से शुरू करनी होगी. “इसका अर्थ है जीवाश्म ईंधन की हमारी लत को ख़त्म करने में तेज़ी करना. और स्वच्छ अक्षय ऊर्जा की उपलब्धता में तेज़ी लाना.” उन्होंने अनुकूलन और सहनक्षमता में भी तेज़ी से संसाधन निवेश किये जाने पर बल दिया है, विशेष रूप से निर्धनतम और बेहद कमज़ोर हालात वालों के लिये, जिनका जलवायु संकट में बहुत कम योगदान है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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