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महज़ पेट भरने के बजाय, समुचित पोषण पर ध्यान दिये जाने की दरकार

जलीय भोजन, प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, सूक्ष्म पोषक तत्वों और अति-आवश्यक वसा अम्लों का स्रोत है, जिसके सेवन से बेहतर पोषण सुनिश्चित किया जा सकता है. यूएन न्यूज़ के साथ एक ख़ास इण्टरव्यू में, 2021 के लिये विश्व खाद्य पुरस्कार (World Food Prize) विजेता, डॉक्टर शकुन्तला हरकसिंह थिल्सटेड ने टिकाऊ व सेहतमन्द आहार में, मछली और जलीय खाद्य प्रणालियों की अहम भूमिका को रेखांकित किया है. डॉक्टर शकुन्तला थिल्सटेड, अन्तरराष्ट्रीय कृषि शोध संगठन - वर्ल्डफ़िश (WorldFish) में पोषण व सार्वजनिक स्वास्थ्य मामलों की प्रमुख, और विश्व खाद्य सुरक्षा पर यूएन समिति के एक उच्चस्तरीय पैनल की सदस्य हैं. उन्हें पोषण सुरक्षा में जलीय भोजन के योगदान व नवाचारी उपायों पर शोध करने के लिये अक्टूबर 2021 में सम्मानित किया गया. जलीय भोजन (aquatic foods) से तात्पर्य, जल से प्राप्त होने वाली मछलियों, जीवों व पौधों, जैसेकि समुद्री खरपतवार (seaweed), से है. डॉक्टर थिल्सटेड के मुताबिक़, मछली व जलीय भोजन को “सुपरफ़ूड” के रूप में देखा जाना चाहिये, जिसे सब्ज़ियों, फलों व दलहन सहित विविध आहार के साथ मिलाकर, स्वास्थ्य, पोषण व संज्ञान क्षमता को मज़बूती प्रदान करने में मदद मिल सकती है. WorldFish/Neil Palmer डॉक्टर शकुन्तला हरकसिंह थिल्सटेड को 2021 विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. ‘सुपरफ़ूड’ के समान उदाहरणस्वरूप, मछली में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होने के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व (विटामिन ए, बी12, डी) और खनिज (कैल्शियम, ज़िन्क, आयोडिन, आयरन) भी मौजूद होते हैं. डॉक्टर थिल्सटेड ने बताया कि मछली की प्रजातियों में विविधता के साथ-साथ उनसे प्राप्त होने वाले पोषण में भी विविधता है. गर्भवती व स्तनपान करा रही महिलाओं के लिये यह विशेष रूप से फ़ायदेमन्द है, जिस पर उनका शोध मुख्य रूप से केंद्रित रहा है. “मेरे व्यक्ति-केंद्रित शोध में, आमजन के पोषण व स्वास्थ्य पर ध्यान दिया गया, विशेष रूप से गर्भवती व स्तनपान करा रही महिलाओं व नवजात शिशुओं के लिये, पहले 1000 दिनों में पोषण पर.” FAO/Camilo Pareja इक्वाडोर में लघु स्तर पर काम करने वाले मछुआरे. सूक्ष्म पोषक तत्वों व अति-आवश्यक वसा अम्लों के सेवन से बेहतर स्वास्थ्य व संज्ञानात्मक विकास में मदद मिलती है, बच्चों का समुचित विकास होता है, उनका स्कूलों में प्रदर्शन सुधरता है, जिससे राष्ट्रीय विकास में मदद मिलती है. उन्होंने बताया कि पोषण-सम्बन्धी नीतियों व अन्य उपायों में जलीय भोजन के समावेशन से, कुपोषण की समस्या से उबरने में मदद मिल सकती है. डॉक्टर थिल्सटेड ने ज़ोर देकर कहा कि लोगों का महज़ पेट भरने की सोच से आगे बढ़ना होगा, और इसके बजाय, बढ़ती आबादी के पोषण पर ध्यान केंद्रित किये जाने की तात्कालिक आवश्यकता है. आजीविका का स्रोत भुखमरी घटाने व बेहतर पोषण के अलावा, मछली पालन व जलीय भोजन पर आधारित आजीविकाओं के ज़रिये, आर्थिक अवसरों के सृजन में भी मदद मिल सकती है. यूएन खाद्य एवं कृषि एजेंसी (FAO) के एक अनुमान के अनुसार, समुद्री व अन्त:स्थलीय (Inland) मछली पकड़ना व मछली पालन, दुनिया भर में क़रीब 82 करोड़ लोगों के लिये भोजन, पोषण व आय का स्रोत है. Ocean Image Bank/Matt Curnock तटीय व समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों से करोड़ों लोगों को भोजन, आजीविका मिलती है और तटीय रक्षा भी सुनिश्चित होती है. पोषण सम्बन्धी शिक्षा, सामाजिक व्यवहार में बदलाव लाने के लिये संचार माध्यमों का सहारा लेकर और अन्य उपायों के ज़रिये, जलीय भोजन के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. इससे, उन उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी, पारिवारिक आय में इज़ाफ़ा होगा और घरों में पोषक भोजन की खपत को भी बढ़ावा दिया जा सकता है. डॉक्टर थिल्सटेड ने, इन उपायों पर एशिया, अफ़्रीका और प्रशान्त महासागर क्षेत्र में स्थित देशों में काम किया. उनका कहना है कि अनेक सरकारों व लोगों में उत्सुकता जगी और निजी सैक्टर भी इन प्रयासों का हिस्सा बना. खाद्य प्रणालियों पर यूएन बैठक डॉक्टर थिल्सटेड ने बताया कि मौजूदा खाद्य प्रणालियों में रूपान्तरकारी बदलाव लाने के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की एक अहम बैठक हुई, जिसमें जलीय भोजन की महत्ता पर चर्चा हुई. माना जा रहा है कि वर्तमान खाद्य प्रणाली, स्वस्थ आमजन व स्वस्थ पृथ्वी की दिशा में स्थापित उद्देश्यों को पूरा कर पाने में सक्षम नहीं है. उन्होंने कहा कि अतीत में ध्यान, मुख्य उपज (staple) से प्राप्त होने वाले आहार पर केंद्रित था, लेकिन अब इसमें बदलाव लाते हुए, भोजन की प्लेट में विविधता लाने और उसे पोषक भोजन से परिपूर्ण करने की आवश्यकता है. © FAO/Xaykhame Manilasith लाओ में किसान, धान के साथ-साथ मछली पालन की प्राचीन पद्धति पर लौट रहे हैं. “एक ओर दुनिया में मोटापा बड़ी समस्या है, तो दूसरी ओर आबादी का एक हिस्सा, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से जूझ रहा है. हृदय वाहिनी रोग, मधुमेह, जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं, जिनके लिये खान-पान की आदतें ज़िम्मेदार हैं.” “इसलिये खाद्य प्रणालियों में बदलाव लाने की आवश्यकता है ताकि इन चुनौतियों का सामना किया जा सके.” अन्य पशु-जनित भोजन (गोमाँस, चिकन) की तुलना में मछली की कुछ प्रजातियों के उत्पादन में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन व कार्बन पदचिन्हों का स्तर भी तुलनात्मक रूप से कम होता है. प्राथमिकताएँ उन्होंने कहा कि खाद्य, भूमि, व जल प्रणाली की ओर बढ़ने की आवश्यकता है, जबकि अभी तक मुख्य रूप से ज़ोर, खाद्य, उसमें भी महज़ कुछ ही अनाजों, और भूमि प्रणाली पर केंद्रित रहा है. भूमि व जल आधारित खाद्य प्रणालियों से, मछली, सूक्ष्मजीवों, जलीय पौधों, जैसेकि समुद्री खरपतवार के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है. खाद्य प्रणाली पर हुई बैठक में कार्रवाई के लिये सात प्राथमिकताओं को पेश किया गया. इनमें से एक में, प्राथमिकता के तौर पर जलीय भोजन को चुना गया है. एक अन्य उपाय के तौर पर स्कूलों में बच्चों के आहार पर चर्चा हुई - कोविड-19 के कारण उपजे व्यवधान की वजह से स्कूली आहार की उपलब्धता प्रभावित हुई है. डॉक्टर थिल्सटेड का मानना है कि स्कूली आहार कार्यक्रमों में जलीय भोजन को शामिल किये जाने से पोषण सुरक्षा की दिशा में प्रगति दर्ज की जा सकती है. © Pep Bonet/NOOR for FAO ग्वाटेमाला के एक स्कूल में बच्चे भोजन कर रहे हैं. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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