in-the-event-of-a-veto-in-the-security-council-the-un-general-assembly-can-automatically-meet
in-the-event-of-a-veto-in-the-security-council-the-un-general-assembly-can-automatically-meet

सुरक्षा परिषद में वीटो की स्थिति में, यूएन महासभा की स्वतः हो सकेगी बैठक

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंगलवार को निर्णय लिया है कि सुरक्षा परिषद में अगर किसी मुद्दे या प्रस्ताव पर किसी स्थाई सदस्य द्वारा वीटो का प्रयोग किया जाता है तो 10 दिनों के भीतर, महासभा की बैठक स्वतः हो सकेगी. सुरक्षा परिषद में चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के पास वीटो का अधिकार है जिसका मतलब है कि इनमें से कोई भी देश किसी प्रस्ताव पर वीटो कर सकता है. इसका प्रावधान यूएन चार्टर में है और इन पाँचों देशों को, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना में उनकी भूमिका को देखते हुए, वीटो का अधिकार दिया गया था. महासभा में मंगलवार को सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव के बाद अब सुरक्षा परिषद में वीटो का प्रयोग होने पर, महासभा की स्वतः बैठक हो सकेगी जिसमें संयुक्त राष्ट्र के सदस्य वीटो की गहन समीक्षा करके उस पर टिप्पणी भी कर सकते हैं. Today, presided over the #GeneralAssembly that took action on Liechtenstein’s #VetoInitiative draft resolution which mandates a meeting of the #GA whenever a #veto is cast in the #SecurityCouncil. The resolution 76/262, cosponsored by 83 Member States, was adopted by consensus. pic.twitter.com/mX7JKgdCXl — UN GA President (@UN_PGA) April 26, 2022 ये प्रस्ताव विशेष रूप से ऐसे सन्दर्भ में पारित हुआ है जब रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के एक दिन बाद सुरक्षा परिषद में आए एक प्रस्ताव-प्रारूप पर वीटो का अधिकार प्रयोग किया था. उस प्रस्ताव के प्रारूप में रूस को यूक्रेन से बिना शर्त वापिस हटने का आहवान किया गया था. यूएन महासभा में मंगलवार को पारित प्रस्ताव को, 83 सदस्य देशों ने अपना आरम्भिक समर्थन देते हुए महासभा में पेश किया था और इसका प्रारूप लीशटेन्सटीन (देश) ने प्रस्तुत किया था. पारित होने के बाद ये प्रस्ताव तत्काल प्रभाव में आ गया है. पृष्ठभूमि लीशटेन्सटीन के राजदूत क्रिश्चियन वैनावेसेर ने कहा कि वीटो की समीक्षा करने की पहल पर दो वर्ष पहले काम करना शुरू किया गया था, जिसमें कुछ अन्य देश भी शामिल हैं. इसके पीछे ये बढ़ती चिन्ताएँ थीं कि सुरक्षा परिषद लगातार अपना काम करने में कठिनाई महसूस कर रही है, जैसाकि उसे यूएन चार्टर में ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, और उसमें वीटो के बढ़ते प्रयोग को ही सबसे आम कारण बताया गया है. राजदूत क्रिश्चियन वैनावेसेर ने ध्यान दिलाया कि सदस्य देशों ने अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा क़ायम रखने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी सुरक्षा परिषद को सौंपी हुई है और ये भी सहमति है कि देशों की तरफ़ से सुरक्षा परिषद कार्रवाई करे. साथ ही वीटो का अधिकार इस ज़िम्मेदारी के साथ दिया गया है कि सदैव ही यूएन चार्टर के सिद्धान्तों और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये इसका प्रयोग किया जाए. उन्होंने कहा, “इसलिये हमारी ये राय है कि जब सुरक्षा परिषद कार्रवाई करने में असमर्थ रहती है तो संगठन के तमाम सदस्यों को अपनी राय व्यक्त करने का अवसर मिले, जैसाकि यूएन चार्टर में इस महासभा के कार्यकलाप और शक्तियाँ प्रतिबिम्बित होते हैं, विशेष रूप में अनुच्छेद 10 में.” अनुच्छेद 10 में प्रावधान है कि यूएन महासभा यूएन चार्टर की परिधियों के अन्तर्गत या इसमें समाए - संगठन के किसी भी अंग की शक्तियाँ और कार्याधिकारों के तहत, किन्हीं भी प्रश्नों या मामलों पर विचार विमर्श कर सकती है, और जैसाकि अनुच्छेद 12 में प्रावधान है, “ऐसे प्रश्नों या मामलों पर, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों या सुरक्षा परिषद या फिर दोनों को ही सिफ़ारिशें पेश कर सकती है.” बहुपक्षवाद के लिये प्रतिबद्धता लीशटेन्सटीन के राजदूत क्रिश्चियन वैनावेसेर ने प्रस्ताव का प्रारूप आगे बढ़ाते हुए, इसे “इस संगठन और इसके प्रधान अंगों के साथ, बहुपक्षवाद के लिये हमारी अभिव्यक्ति” क़रार दिया. उन्होंने ये भी कहा कि प्रभावशाली बहुपक्षवाद के लिये जितनी सख़्त ज़रूरत आज है, उतनी कभी नहीं रही. “और इस सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र की केन्द्रीय भूमिका और आवाज़ सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में नवाचार के लिये भी अब से पहले इतनी सख़्त ज़रूरत कभी नहीं रही.” उन्होंने बताया कि विचार विमर्श की लम्बी प्रक्रिया के बाद, पहला प्रारूप सदस्य देशों को 3 मार्च को उपलब्ध कराया गया था और 12 अप्रैल को इसे व्यापक पैमाने पर उपलब्ध कराया गया. 19 अप्रैल को इस प्रारूप पर, तमाम रुचिकर देशों के साथ, खुले माहौल में चर्चा हुई, जिन्होंने इसमें सुधार करके इसे सुस्पष्ट बनाने में मदद की. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in