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ILO: कामकाजी माता-पिता को सहारा देने के लिये, देखभाल सेवाओं में निवेश की पुकार

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन - ILO ने प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि देखभाल सेवाओं में अधिक निवेश करने से, वर्ष 2035 तक लगभग 30 करोड़ कामकाज व रोज़गार उत्पन्न हो सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क़दम से उन लाखों-करोड़ों कामगारों को लाभ होगा जिनकी पारिवारिक जिम्मेदारियाँ हैं, जिन्हें मातृत्व अवकाश या माता-पिता बनने सम्बन्धी जाँचें कराने के लिये समय की उपलब्धता जैसे पर्याप्त सामाजिक संरक्षा उपाय उपलब्ध नहीं हैं. We need to significantly increase investments in care. This means: 🤱 providing care services for those who need 👩⚕️ affording better working conditions to care workers The good news is that it pays off. It could create almost 300M jobs. ➡️ https://t.co/uW41NwDLe5 #IWD2022 pic.twitter.com/11yewJ4oHX — International Labour Organization (@ilo) March 7, 2022 इससे ग़रीबी को कम करने और लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ, बच्चों व बुज़ुर्गों के लिये पर्याप्त देखभाल को सहारा देने में भी मदद मिलेगी. देखभाल पर पुनर्विचार आईएलओ के काम की शर्तें और समानता विभाग की निदेशिका मैनुएला टोमेई का कहना है, "हमें देखभाल नीतियों और सेवाएँ प्रदान करने के तरीक़ों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि वे देखभाल की निरन्तरता को बरक़रार रख सकें जो बच्चों को अच्छी शुरुआत मुहैया कराती है, महिलाओं को रोज़गार में रहने में सहायता करती है और परिवारों या व्यक्तियों को ग़रीबी में जाने से रोकती है." यह रिपोर्ट मातृत्व, पितृत्व, माता-पिता, बच्चे और दीर्घकालिक देखभाल सहित, देखभाल पर राष्ट्रीय क़ानूनों, नीतियों और प्रथाओं का वैश्विक अवलोकन उपलब्ध कराती है. मातृत्व सुरक्षा का अभाव दो दशक पहले लागू हुए ILO कन्वेन्शन के प्रावधानों के अनुरूप, दुनिया भर में, प्रजनन आयु की 10 में से तीन यानि लगभग 65 करोड़ महिलाओं को पर्याप्त मातृत्व सुरक्षा उपलब्ध नहीं है. रिपोर्ट के लिये सर्वेक्षण किये गए 185 देशों में से, 85 देशों में, न्यूनतम 14 सप्ताह का मातृत्व अवकाश, माताओं को उनके पिछले मेहनताने के कम से कम दो तिहाई हिस्से के साथ मुहैया करने का, कन्वेन्शन का जनादेश लागू नहीं हुआ है. रिपोर्ट तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि सुधारों की मौजूदा गति के तहत, न्यूनतम मातृत्व अधिकार हासिल करने में, कम से कम 46 साल का समय लगेगा. 'लैंगिक अवकाश खाई' रिपोर्ट बताती है कि चरम प्रजनन आयु के लगभग एक अरब 20 करोड़ पुरुष पितृत्व अवकाश के पात्र नहीं हैं, जबकि इस पात्रता से, माता और पिता दोनों को कामकाज और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बीच सन्तुलन बनाने में मदद मिलेगी. जिन देशों में नीतियाँ मौजूद भी हैं, वहाँ पित्रत्व अवकाश बहुत कम है यानि औसतन नौ दिनों का, जो रिपोर्ट के विशेषज्ञों की नज़र में, एक बड़ा "लैंगिक अवकाश अन्तर" है. रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि कुछ श्रमिक किस तरह, क़ानूनी सुरक्षा के दायरे से बाहर हो जाते हैं, जिनमें स्व-रोज़गार वाले श्रमिक, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले लोग, प्रवासी, दत्तक माता-पिता और माता-पिता जो एलजीबीटीक्यूएल+ (LGBTQI+) समुदाय के श्रमिक शामिल हैं. गर्भवती श्रमिक असुरक्षित रिपोर्ट के लेखकों ने पाया कि केवल 40 देशों में गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को, आईएलओ मानकों के अनुरूप ख़तरनाक या अस्वास्थ्यकर काम से सुरक्षा पाने का अधिकार हासिल है. केवल 53 देशों में प्रसवपूर्व चिकित्सा परीक्षाओं के लिये मेहनताना के भुगतान सहित अवकाश का अधिकार है, जबकि अनेक देशों में कामकाज से अवकाश, आय सुरक्षा और स्तनपान कराने के लिये, उपयुक्त सुविधाओं की भी कमी थी. आंशिक रूप से बढ़ी हुई जीवन प्रत्याशा और COVID-19 महामारी के प्रभाव के कारण भी, वृद्ध व्यक्तियों और विकलांग लोगों के लिये दीर्घकालिक देखभाल सेवाओं की आवश्यकता भी लगातार बढ़ी है. हालाँकि, आवासीय देखभाल, दिन में उपलब्ध होने वाली सामुदायिक सेवाएँ और देखभाल केन्द्रों में मिलने वाली सेवाएँ, ऐसे बहुत से लोगों की पहुँच से बाहर हैं, जिन्हें उनकी आवश्यकता है. खाई को पाटना ILO की रिपोर्ट के अनुसार, देखभाल नीतियों को बदलने से न केवल बेहतर और अधिक लैंगिक समानता वाली दुनिया बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि 2035 तक लगभग 30 करोड़ कामकाज व रोज़गार उत्पन्न हो सकते हैं. इसके लिये 5.4 ट्रिलियन डॉलर के बराबर धनराशि के वार्षिक निवेश की आवश्यकता होगी, जिनमें से कुछ धनराशि, अतिरिक्त आमदनी व रोज़गार बढ़ने से मिलने वाले कर राजस्व में बढ़ोत्तरी के रूप में वसूल हो सकती है. मैनुएला टोमेई का कहना था, "इन देखभाल अन्तरालों को पाटने के काम को, एक ऐसे निवेश के रूप में देखा जाना चाहिये, जो न केवल स्वास्थ्य और आजीविका का समर्थन करता है, बल्कि मौलिक अधिकारों, लैंगिग समानता और अधिक प्रतिनिधित्व का भी समर्थन करता है." --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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