नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। कोविड-19 के बाद कई लोगों को घर से ऑफिस वर्क करने का मौका मिला। इस मौके ने लोगों में कुछ नया एक्यपीरियंस करने की भूख पैदा की। कई लोग वर्केशन करने लगे तो कई निकल पड़े दुनिया घूमने। ऐसे ही एक शख्स को रेलगाड़ियां इतनी पसंद आईं कि उसने ट्रेनों को ही अपना घर बना लिया। ये शख्स ट्रेनों में रहने के लिए साल में 8 लाख रुपये खर्च कर देता है।
सुकून के लिए सालाना खर्चाता है 10 हजार डॉलर
जर्मनी का एक शख्स हर साल ट्रेन के सफर में 8.3 लाख रुपए के करीब खर्च करता है। इसका नाम है लेसे स्टोली। यह डच बेन रेलकार में रहता है। जिसका सालाना किराया दस हजार डॉलर है, जो भारतीय करंसी में आठ लाख रुपए से ज्यादा हो जाते हैं। इस तरह ट्रेन में रहते हुए वो हर रोज जर्मनी और यूरोप का करीब 600 किमी का सफर तय करता है। वह जब चाहे कहीं पर भी खाना खाता है या बेसिन में कपड़े धोता है या कम्युनिटी सेंटर में शॉवर ले लेता है और अगर कभी सोने का मन करे तो अपने साथ सोने का सामान भी लेकर चलता है।
क्या काम करता है लेसे स्टोली
यह युवा एक सॉफ्टवेयर डिकोडर है। जिसमें हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा कि ट्रेन में दिन बिताते हुए उन्हें ये आजादी मिलती है कि वो जब चाहे, जहां चाहे वहां जा सकता है। यह अपने दिन का ज्यादा से ज्यादा समय लैपटॉप पर बिताता है। इस दौरान वो कभी ट्रेन में तो कभी बूथ पर दूसरे पैसेंजर्स के बीच बैठा होता है।
बहुत मुश्किल से मनाया पेरेंट्स को
लेसे स्टोली अब तक पांच लाख किमो का सफर सिर्फ जर्मन रेल्स के जरिए कर चुका है। एक एप के जरिए वो ट्रेनों में बुकिंग करता है और अपना प्लान तय करता है। वो हर रात ये प्लान करता है कि उसे अगले दिन किस ट्रेन में सफर करना है। ट्रेन के लेट होने पर वह दूसरी ट्रेन पकड़ लेता है, लेकिन अपने काम के लिए वह ट्रेन को ही चुनता है। इस शख्स ने 16 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था। उनके मुताबिक पैरेंट्स को इस लाइफस्टाइल के लिए राजी करना आसान नहीं था। लेकिन बाद में उसने किसी तरह उन्हें मना ही लिया। अब सिर्फ चार टी शर्ट और दो ट्राउजर्स के साथ वो अपनी पसंद की जिंदगी जी रहा है।
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