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वैश्विक आर्थिक प्रगति में सुस्ती की आशंका, यूक्रेन संकट का असर

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्यवस्था में केवल 3.1 प्रतिशत की वृद्धि होने की सम्भावना व्यक्त की गई है, जोकि इस वर्ष जनवरी में अनुमानित 4.0 फ़ीसदी से कम है. विश्व आर्थिक परिस्थिति व सम्भावना (WESP) रिपोर्ट में मौजूदा हालात की एक बड़ी वजह यूक्रेन में युद्ध को बताया गया है. संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (UN DESA) का विश्लेषण बताता है कि हिंसक संघर्ष ने कोविड-19 महामारी से पुनर्बहाली के रास्ते में चुनौतियाँ खड़ी हैं, योरोप में मानवीय संकट उत्पन्न हुआ है, खाद्य व वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं और मुद्रास्फीति सम्बन्धी दबाव बढ़ रहे हैं. वैश्विक मुद्रास्फीति के भी इस वर्ष 6.7 प्रतिशत तक के स्तर पर पहुँच जाने की सम्भावना है, जोकि 2010 से 2020 तक औसत 2.9 प्रतिशत के दोगुने से अधिक है. The war in Ukraine has put the fragile economic recovery from #COVID19 in jeopardy. Amid rising global inflation, @UNDESA's latest #WorldEconomyReport revises worldwide growth estimates downwards for 2022. Details: https://t.co/bIeTdOwm59 pic.twitter.com/WIv2dbTmUn — United Nations (@UN) May 18, 2022 यूएन महासचिव ने कहा, “यूक्रेन में युद्ध, अपने सभी आयामों में, एक ऐसे संकट को हवा दे रहा है, जिससे वैश्विक ऊर्जा बाज़ार तबाह हो रहे हैं, वित्तीय प्रणालियों में व्यवधान आ रहा है, और विकासशील जगत के लिये चरम निर्बलताएँ और भी गहरी हो रही हैं.” “हमें त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि खुले बाज़ारों में भोजन व ऊर्जा का स्थिर प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके – निर्यात पाबन्दियों को हटा करके, अतिरिक्त व बचाये गए हिस्सों को ज़रूरतमन्दों के लिये आवण्टित करके, और बाज़ार में उथलपुथल को शान्त करने के लिये खाद्य क़ीमतों में आए उछाल से निपट करके.” अमेरिका, चीन, योरोपीय संघ समेत विकसित व विकासशील जगत की अधिकाँश अर्थव्यवस्थाओं के लिये आर्थिक प्रगति में गिरावट का अनुमान व्यक्त किया गया है. ऊर्जा व खाद्य क़ीमतों में आए उछाल ने विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को विशेष रूप से प्रभावित किया है, जोकि वस्तुओं का आयात करते हैं. वहीं, अफ़्रीका सहित अन्य क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा हालात बद से बदतर हो रहे हैं. WESP रिपोर्ट में यूक्रेन में संकट से उपजे व्यापक प्रभावों और उससे विभिन्न क्षेत्रों में हुए असर की पड़ताल की गई है. अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव रूस ने यूक्रेन पर 24 फ़रवरी को आक्रमण किया, जिसके बाद से जान-माल की भीषण बर्बादी हुई है और बड़े पैमाने पर एक मानवीय संकट पैदा हुआ है. यूक्रेन में संकट से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं समेत मध्य एशिया व योरोप के पड़ोसी देशों पर असर हुआ है. ऊर्जा क़ीमतों में उछाल से योरोपीय संघ को भी झटका पहुँचा है, जोकि 2020 के आँकड़ों के अनुसार कुल ऊर्जा खपत के 57 प्रतिशत के लिये आयात पर निर्भर है. रिपोर्ट में आर्थिक प्रगति के 2.7 प्रतिशत तक सीमित रह जाने की सम्भावना जताई गई है, जबकि जनवरी में यह 3.9 प्रतिशत थी. वर्ष 2020 में योरोप में ऊर्जा खपत का लगभग एक चौथाई हिस्सा, तेल एवं प्राकृतिक गैस से प्राप्त हुआ, जिसे रूस से आयात किया गया था. ऊर्जा प्रवाह में अचानक ठहराव आने से ऊर्जा क़ीमतों में उछाल आने और मुद्रास्फीति दबाव बढ़ने की आशंका जताई गई है. पूर्वी योरोप व बॉल्टिक क्षेत्र से योरोपीय सदस्य देशों पर गम्भीर असर होने की सम्भावना है, जोकि पहले से ही योरोपीय संघ की तुलना में मुद्रास्फीति का ज़्यादा दबाव झेल रहे हैं. मुद्रास्फीति सम्बन्धी दबाव विकासशील और सबसे कम विकसित देशों में, मुद्रास्फीति के ऊँचे स्तर से घर-परिवारों की वास्तविक आय में गिरावट दर्ज की गई है. विकासशील देशों में यह विशेष रूप से देखा गया है, जहाँ निर्धनता व्याप्त है और कमाई बढ़ने की सम्भावना सीमित है. बढ़ती ऊर्जा व खाद्य क़ीमतों का शेष अर्थव्यवस्था पर असर हुआ है, जिससे वैश्विक महामारी के बाद समावेशी पुनर्बहाली के लिये चुनौती उत्पन्न हो गई है. इसके अतिरिक्त, अमेरिका के केंद्रीय बैक प्रशासन, फ़ेडरल रिज़र्व द्वारा मौद्रिक स्थिति को सख़्त बनाया गया है, जिससे कर्ज़ लेने की क़ीमत बढ़ेंगी और विकासशील देशों में वित्तीय खाई गहरी होगी. यूएन विशेज्ञों का मानना है कि विकासशील देशों को ऐसे झटकों से निपटने के लिये तैयार रहना होगा, और साथ ही धन के देश से बाहर जाने के प्रवाह पर तत्काल रोक लगानी होगी और निवेशों को बढ़ाना होगा. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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