मधुमेह की दवा कर सकती है किडनी की कार्यक्षमता में सुधार : लैंसेट
सैन डिएगो, 7 नवंबर (आईएएनएस)। लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि वयस्कों में क्रॉनिक किडनी रोग (सीकेडी) से पीड़ित कुछ लोगों के इलाज के लिए एक आम मधुमेह की दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। डैपाग्लीफ्लोजिन सोडियम ग्लूकोज कोट्रांसपोर्टर-2 (एसजीएलटी2) इनहिबिटर नामक दवाओं के एक समूह से संबंध रखता है। एसजीएलटी2 अवरोधक गुर्दे में एसजीएलटी2 प्रोटीन को अवरुद्ध करके काम करता है। इस प्रोटीन को अवरुद्ध करने से गुर्दे में दबाव और सूजन को कम करके गुर्दे की क्षति को कम किया जा सकता है। यह प्रोटीन को मूत्र में रिसने से रोकने में भी मदद करता है, और रक्तचाप और शरीर के वजन को कम करता है। सीकेडी के साथ 4,304 प्रतिभागियों के नैदानिक परीक्षण से पता चला है कि डैपाग्लिफ्लोजि़न क्रॉनिक किडनी रोग (सीकेडी) के रोगियों में गुर्दे के कार्य में गिरावट की दर को कम करता है। हालांकि मधुमेह के बिना प्रतिभागियों ने भी डैपाग्लिफ्लोजि़न के साथ गुर्दा समारोह में गिरावट की धीमी दर का अनुभव किया, क्योंकि मधुमेह वाले लोगों में डापाग्लिफ्लोजि़न का प्रभाव अधिक था। यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ग्रोनिंगन के प्रमुख लेखक हिड्डो लैम्बर्स हीर्सपिंक ने कहा, मुख्य निष्कर्ष यह है कि डैपाग्लिफ्लोजि़न सीकेडी के साथ और बिना टाइप 2 मधुमेह के रोगियों में प्रगतिशील किडनी फंक्शन लॉस को धीमा करने के लिए एक प्रभावी उपचार है। हीर्सपिंक ने कहा, इसलिए, हार्टफेल या मृत्युदर के जोखिम को कम करने के अलावा, डैपाग्लिफ्लोजि़न भी गुर्दे के कार्य में गिरावट की प्रगति को धीमा कर देता है। शोध के निष्कर्ष एएसएन किडनी वीक 2021 के 4-7 नवंबर अंक में भी प्रस्तुत किए जाएंगे। --आईएएनएस एसजीके