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कॉप26: ‘प्रकृति के साथ शौचालय जैसा बर्ताव’, बस बहुत हुआ – ग्लासगो में यूएन प्रमुख का कड़ा सन्देश

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में कॉप26 सम्मेलन के दूसरे दिन, दुनिया के साथ कटु वास्तविकता भरा एक सन्देश साझा किया है. उन्होंने कोयले पर निर्भरता और जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल की ‘लत’ के प्रति क्षोभ व्यक्त करते हुए आगाह किया है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि से मानवता के लिये ख़तरा पैदा हो रहा है और हम अपनी क़ब्र स्वयं खोदते जा रहे हैं. The sirens are sounding. Our planet is telling us something - and so are people everywhere. We must listen — we must act — and we must choose wisely. Choose ambition. Choose solidarity. Choose to safeguard our future and save humanity.#COP26 pic.twitter.com/XHXpTd1p3H — António Guterres (@antonioguterres) November 1, 2021 सोमवार, 1 नवम्बर, को ग्लासगो सम्मेलन के दौरान, विश्व नेताओं की शिखर बैठक शुरू हुई है. सुबह 6.30 बजे से ही प्रवेश द्वार पर, आधिकारिक पहचान पत्र पाने और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था से गुज़रने के लिये लोगों की लम्बी क़तार लग गई. सम्मेलन स्थल में प्रवेश के लिये कोविड-19 महामारी के संक्रमण से मुक्त होने का प्रमाण (Covid Negative) दिखाना भी ज़रूरी है. दुनिया भर से पत्रकार यहाँ एकत्र हुए हैं, जो माइक्रोफ़ोन, कैमरा और रिकॉर्डिंग उपकरणों के साथ, सम्मेलन के दौरान होने वाली विभिन्न गतिविधियों की कवरेज के लिये तैयार हैं. मुख्य सम्बोधन कॉप26 सम्मेलन को सम्बोधित करने वाले राष्ट्राध्यक्षों व सरकार प्रमुखों में, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, फ्रांस राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन देयर लियेन और जर्मन चाँसलर एंगेला मैर्केल सहित कई अन्य नेता शामिल हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सबसे पहले, स्थानीय समयानुसार दोपहर 12.30 बजे, समारोह को सम्बोधित किया. प्रधानमंत्री जॉनसन ने जलवायु संकट और प्रलय लाने की वजह बनने वाले एक उपकरण की तुलना की, जिसे जेम्स बॉण्ड की एक फ़िल्म में दिखाया गया है. इस फ़िल्म की शूटिंग भी ग्लासगो में हुई है. “हम जेम्स बॉण्ड की तरह शायद महसूस ना करते हों, या जेम्स बॉण्ड की तरह ना दिखते हों, मगर कॉप26 को, इस बम को निष्क्रिय बनाने की शुरुआत बनाना होगा.” “हाँ, यह मुश्किल होने वाला है, मगर हाँ, हम यह कर सकते हैं.” उन्होंने कोयले पर निर्भरता का अन्त करने और हरित परिवहन पर ज़ोर देते हुए कहा, “हमें इस कॉप26 को एक ऐसा क्षण बनाने की ज़रूरत है, जब हम जलवायु परिवर्तन के बारे में वास्तविक हो गए. हम वास्तविक हो सकते हैं.” उनके बाद, दो युवा जलवायु कार्यकर्ताओं ने विश्व नेताओं से निडर कार्रवाई की अपील की. “आपके पास साथ मिलकर, बेहतर होने की हर तरह से शक्ति है, आपके ही शब्दों में, यह याद रखने की, कि हमारे पास हर तरह के हथियार हैं, जो हमें बचा सकते हैं या धोखा दे सकते हैं.” “आपको इस संकट का अन्त करने के लिये, मेरी पीड़ा या आँसुओं की ज़रूरत नहीं है. हम इस संकट के महज़ पीड़ित नहीं हैं, हम आशा के सहन-क्षमतावान वाहक हैं.” “हम डूब नहीं रहे हैं, हम लड़ाई लड़ रहे हैं.” इसके बाद, यूएन महासचिव ने मंच पर एक कटु वास्तविकता भरे सन्देश से अपने सम्बोधन की शुरुआत की. “पैरिस समझौते के बाद के छह वर्ष, अब तक रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल रहे हैं. जीवाश्म ईंधन के लिये हमारी लत, मानवता को किनारे तक धकेल रही है.” यूएन प्रमुख ने कहा कि हमारे पास विकल्प है. “या तो हम इसे रोकें या फिर यह हमें रोक देगी.” उन्होंने विश्व नेताओं के समक्ष पाँच अहम सन्देश प्रस्तुत किये हैं. Juan Sierra ग्लासगो में कॉप26 आयोजन स्थल के प्रवेश द्वार पर लम्बी क़तार. ‘बस, अब बहुत हुआ’ महासचिव गुटेरेश ने कठोर शब्दों में कहा कि जैवविविधता के साथ क्रूरता से पेश आने, कार्बन से ज़िन्दगियाँ संकट में डालने, प्रकृति के साथ एक शौचालय जैसा बर्ताव करने और गहराई तक खनन व खुदाई को बस अब रोकना होगा. “हम अपनी ही क़ब्रें खोदते जा रहे हैं.” उन्होंने समुद्री जलस्तर में वृद्धि दर के, तीस साल में दोगना हो जाने और चरम मौसम घटनाओं, पिघलते ग्लेशियरों के प्रति आगाह करते हुए कहा, हमारी जलवायु हमारी आँखों के सामने ही बदल रही है. महासचिव के मुताबिक़, “हाल की कुछ जलवायु कार्रवाई घोषणाएँ, यह एहसास करा सकती हैं कि हम स्थिति को बदलने की ओर बढ़ रहे हैं. यह एक भ्रम है.” उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि यदि राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई के मौजूदा संकल्पों को पूरा भी कर लिया जाता है, तो भी वैश्विक तापमान में 2.7 डिग्री सेल्सियस की बढोत्तरी होने की आशंका है, जोकि विनाशकारी होगी. 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को जीवित रखना महासचिव ने कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर ज़्यादा महत्वाकांक्षा दर्शाए जाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक वैश्विक उत्सर्जनों में 45 प्रतिशत की कटौती की जानी होगी, और इन प्रयासों की अगुवाई विकसित देशों को करनी होगी. “जी20 देशों की एक विशेष ज़िम्मेदारी हैं, चूँकि वे उत्सर्जनों के 80 प्रतिशत हिस्से के लिये ज़िम्मेदार हैं.” हालाँकि उन्होंने स्पष्ट किया कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं को भी इस रास्ते पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है. “हमें ग्लासगो को सफल बनाने के लिये, अधिकतम महत्वाकांक्षा की आवश्यकता है – सभी देशों से सभी मोर्चों पर.” Climate Visuals Countdown/Andrew Watson स्पेन के एण्डालूसिया में एक सौर ऊर्जा स्टेशन. उन्होंने देशों से गठबन्धन बनाकर अर्थव्यवस्था में कार्बन पर निर्भरता को घटाने और चरणबद्ध ढंग से कोयले के इस्तेमाल का अन्त करने का आहवान किया है. इस क्रम में जरूरी वित्तीय व तकनीकी सहायता और परिस्थितियाँ सुनिश्चित की जानी होंगी. महासचिव के अनुसार अगर कॉप26 में संकल्प अपर्याप्त साबित होते हैं तो देशों को, अपनी राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं व नीतियों की समीक्षा हर पाँच वर्ष के बजाय, हर साल करनी होगी. उन्होंने विशेषज्ञों का एक समूह बनाए जाने की घोषणा की है जिसका दायित्व ग़ैर-सरकारी पक्षकारों द्वारा नैट-शून्य उत्सर्जन के संकल्पों की समीक्षा व विश्लेषण के लिये स्पष्ट मानक पेश करना है. निर्बल समुदायों की रक्षा यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि पिछले एक दशक में, चार अरब लोगों को जलवायु आपदाओं का सामना करना पड़ा है और यह तबाही आने वाले समय में और ज़्यादा बढ़ेगी. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अनुकूलन प्रयास कारगर हैं और समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों व जलवायु-स्मार्ट कृषि व बुनियादी ढाँचों से आमजन की ज़िन्दगियों और रोज़ागारों की रक्षा की जा सकती है. “सभी दानदाताओं को अपने जलवायु वित्त पोषण का आधा हिस्सा, अनुकूलन के लिये आबण्टित करना होगा. सार्वजनिक व बहुपक्षीय विकास बैंकों को जल्द से जल्द शुरुआत करनी चाहिये.” कॉप, एकजुटता का एक लम्हा यूएन प्रमुख ने विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के लिये 100 अरब डॉलर के वार्षिक संकल्प को पूरा किये जाने की अपील दोहराई है. OCHA/Danielle Parry चरम मौसम घटनाएँ अनेक देशों में तबाही का सबब बन रही हैं. 2016 में फ़िजी में एक चक्रवाती तूफ़ान से हुई बर्बादी. उन्होंने बताया कि इस वादे को कोपेनहेगन सम्मेलन में किया गया था, और भरोसे व विश्वसनीयता की पुनर्बहाली के लिये यह बेहद अहम है. लेकिन, कोविड-19 से लड़ाई, सहनक्षमता निर्माण और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने में विकासशील देशों की मदद के लिये, वित्तीय संसाधनों के इस वादे को पूरा किया जाना होगा. “वे सबसे ज़्यादा पीड़ा झेल रहे हैं – सबसे कम विकसित देश (LDCs) और लघु द्वीपीय विकासशील देश (SIDS) को तत्काल धनराशि की आवश्यकता है. ज़्यादा सार्वजनिक जलवायु वित्त पोषण. ज़्यादा विदेशी विकास सहायता. ज़्यादा अनुदान.” पहले दर्ज प्रगति को मज़बूती प्रदान करना यूएन प्रमुख ने बताया कि अनेक देशों ने 2050 तक नैट शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिये विश्वसनीय संकल्प लिये हैं, कोयले के अन्तरराष्ट्रीय वित्त पोषण से हाथ वापिस खींचे हैं और 700 से अधिक शहर कार्बन तटस्थता की दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. उनके मुताबिक़, निजी सैक्टर भी नीन्द से जाग रहा है और बदलाव लाने के लिये नए गठबन्धन स्थापित कर रहा है. UNFCCC/Kiara Worth ग्लासगो में 31 अक्टूबर को यूएन के 26वें वार्षिक जलवायु सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत हुई है. “युवाओं के नेतृत्व वाली जलवायु कार्रवाई सेना को रोका नहीं जा सकता. वे ज्यादा बड़ी हैं. उनकी आवाज़ कहीं ज़्यादा बुलन्द है. और, मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ, वे कहीं नहीं जा रहे हैं. मैं उनके साथ खड़ा हूँ.” महासचिव गुटेरेश ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि, दुनिया तेज़ी से एक ऐसे पड़ाव की ओर बढ़ रही है, जहाँ से वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी का चक्र और ज़्यादा उग्र होता चला जाएगा. मगर, नैट शून्य, जलवायु सहनशील अर्थव्यवस्था में निवेश के ज़रिये टिकाऊ प्रगति, रोज़गारों और अवसरों के चक्र को आगे बढ़ाया जा सकता है. “मौजूदा और भावी पीढ़ियों की ओर से, मैं आपसे आग्रह करता हूँ: महत्वाकांक्षा को चुनिये. एकजुटता को चुनिये. हम सबके भविष्य और मानवता के बचाव को चुनिये.” --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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