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यूएन में पूर्ण लैंगिक समता प्राप्त करने की दिशा में ठोस प्रगति, महासचिव

मानवाधिकारों पर आधारित और नए सिरे से पुनर्जीवित एक सामाजिक अनुबन्ध के लिये लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकार, दोनों अति-आवश्यक हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को महिला नेतृत्वकर्ताओं को बढ़ावा देने के इरादे से आयोजित एक चर्चा के दौरान यह बात कही है. यूएन प्रमुख ने महिलाओं के दर्जे पर आयोग के 66वें सत्र के तहत आयोजित, Group of Friends on Gender Parity, नामक एक मित्र समूह को सम्बोधित किया, जोकि लैंगिक समता पर आधारित है. इस समूह में 148 सदस्य देश हैं. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में लैंगिक समता हासिल करने की दिशा में प्रगति हुई है. The @UN works every day to support the participation & leadership of women at every stage of building & maintaining peace. This is not only a matter of justice. Women’s equal leadership and participation are vital to create peaceful, resilient communities & societies. #CSW66 pic.twitter.com/FW3t2LmwHm — António Guterres (@antonioguterres) March 15, 2022 इस क्रम में, वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर महिलाओं की नियुक्ति हुई है और सचिवालय में अधिक संख्या में महिला पेशेवरों को अवसर मिला है. साथ ही मध्य-प्रबन्धन के स्तर पर भी काफ़ी हद तक प्रगति दर्ज की गई है और ये उपलब्धि हाल के वर्षों में वित्तीय संकट से जूझते हुए हुई है, जिसके कारण भर्ती पर रोक लगा दी गई थी. महासचिव ने बताया कि प्रगति की मौजूदा रफ़्तार के आधार पर, यूएन सचिवालय में वर्ष 2027 तक समता हासिल किये जाने की सम्भावना है, जोकि लैंगिक समानता रणनीति में स्थापित लक्ष्य से एक वर्ष पहले होगा. यूएन प्रमुख के अनुसार, यूएन के विभिन्न मुख्यालयों में भी प्रगति हुई है, मगर फ़ील्ड में लैंगिक समानता की दिशा में क़दम धीमे और विषमतापूर्ण हैं. शान्ति अभियानों में 32 प्रतिशत असैन्य कर्मी महिलाएँ हैं, जोकि 2017 की तुलना में अधिक है जब यह आँकड़ा 28 फ़ीसदी था. कुछ यूएन मिशन में, केवल एक चौथाई महिलाएँ ही अन्तरराष्ट्रीय स्टाफ़ का हिस्सा हैं. महासचिव ने कहा कि यह संगठन और शान्ति अभियानों के हित में है कि जिनके लिये वे सेवारत हैं, कि इन संख्याओं को बदला जाए. 'संस्थागत पूर्वाग्रह' महासचिव गुटेरेश ने कहा कि फ़ील्ड पदों पर अधिक संख्या में महिलाओं को आकर्षित करने के लिये, मज़बूती से प्रयासों को बढ़ाया जाना होगा. इसके लिये यह भी ज़रूरी है कि यूएन मिशनों में कामकाज की संस्कृति और रहन-सहन की परिस्थितियों को बेहतर बनाया जाए. “नीतियों और संस्थागत पूर्वाग्रहों की वो विरासत, जोकि महिलाओं की समान हिस्सेदारी में बाधा डालती है, उसे ठोस कार्रवाई, समर्पित संसाधनों और राजनैतिक इच्छाशक्ति के ज़रिये ही दूर किया जा सकता है.” यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने इस विषय में कुछ महत्वपूर्ण उपायों का ज़िक्र किया, जिसमें यूएन वीमैन का Field-specific Enabling Environment Guidelines दिशानिर्देश और लैंगिक फ़ोकल प्वाइंट हैं, जोकि उन्हें लागू करने में मदद करते हैं. उन्होंने बताया कि महिला नेताओं का प्रतिशत बढ़ाने के लिये विशेष पहल की गई है, विशेष प्रतिनिधियों के लिये एक वैश्विक पुकार लगाई गई है और 16 मिशन प्रमुखों व उप-प्रमुखों पदों पर महिलाओं की नियुक्त की गई है. महासचिव के अनुसार, इस वैश्विक पुकार के ज़रिये महिलाओं का नामांकन होगा और फ़ील्ड अभियानों के लिये लैंगिक नज़रिये से सन्तुलित सूची तैयार की जा सकेगी. निरन्तर प्रयासरत वर्ष 2006 में यूएन फ़ील्ड मिशन में महज़ एक महिला ही शीर्ष पद पर थीं, और उसके बाद से लैंगिक प्रगति दर्ज की गई है. पिछले वर्ष, इतिहास में पहली बार शान्ति अभियानों में लैंगिक समता हासिल करने में सफलता मिली. महासचिव का मानना है कि यूएन की 2018 में पेश लैंगिक समता रणनीति अब नतीजे दिखा रही है, और साथ ही अस्थाई विशेष उपायों में संशोधन किया गया है, जिसे भर्ती के निर्णयों में वरिष्ठ प्रबन्धकों को अब जवाबदेह बनाया जाता है. अगले 9 वर्षों में लगभग चार हज़ार अन्तरराष्ट्रीय कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, जिनके स्थान पर योग्य महिलाओं की शिनाख़्त व नियुक्ति किये जाने की तैयारी है. दोहरा लक्ष्य उन्होंने सचेत किया कि लैंगिक समता से न्यायोचित भौगोलिक प्रतिनिधित्व पर कोई असर नहीं होगा, जिन्हें उन्होंने एक दूसरे के पूरक उद्देश्य क़रार दिया है. © UNSPLASH/Linkedin Sales Solut दो महिलाएँ, आपस में चर्चा कर रही हैं. “हमारे विविध और जटिल मैण्डेट को लागू करने की हमारी क्षमता को काफ़ी हद तक मज़बूती मिलेगी, अगर हमारा कार्यबल, लैंगिक रूप से सन्तुलित और व्यापक भौगोलिक क्षेत्र से भर्ती किया हुआ हो.” उन्होंने सदस्य देशों से राष्ट्रीय स्तर पर महिला उम्मीदवारों को समर्थन देने का आहवान किया है और वर्दीधारी कर्मियों से लेकर यूएन तक, सभी पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाओं की पहचान करने का आग्रह किया है. “संयुक्त राष्ट्र में लैंगिक समता को हासिल करना एक सामूहिक प्रयास है.” पितृसत्ता का विरोध महासचिव ने आगाह किया कि कोविड-19 से विषमतापूर्ण पुनर्बहाली, जलवायु परिवर्तन और विश्व शान्ति की त्रासदीपूर्ण, ये कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं, जोकि गहराई से समाई पितृसत्ता का नतीजा हैं. उन्होंने ध्यान दिलाया कि पितृसत्ता को इतनी आसानी से नहीं हराया जा सकता, और यह जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों को पीछे धकेलती है, दुनिया के हर क्षेत्र में. यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि इस विरोध का विरोध किया जाना होगा, ताकि टिकाऊ, समान, समृद्ध व शान्तिपूर्ण दुनिया का निर्माण किया जा सके. उन्होंने अपनी साझा एजेण्डा रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें महिला अधिकारों के लिये पाँच रूपान्तरकारी क़दमों को रेखांकित किया गया है. इस क्रम में, लैंगिक नज़रिये से भेदभावपूर्ण क़ानूनों को वापिस लिया जाना होगा, निर्णय निर्धारण के हर स्तर पर लैंगिक समता को बढ़ावा देना होगा, महिलाओं के आर्थिक समावेशन को सुनिश्चित करना होगा, और राष्ट्रीय आपात कार्रवाई योजनाओं को लागू करना होगा, ताकि लिंग-आधारित हिंसा पर विराम लगाया जा सके. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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