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शान्ति व सुरक्षा के लिये जटिल चुनौतियाँ, एकजुट प्रयासों की दरकार

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैण्डी ने आगाह किया है कि हिंसक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी की वजह से, शरणार्थियों, विस्थापितों और उनके मेज़बानों के लिये विकराल चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं, जिनसे निपटने के लिये एकजुट प्रयासों की आवश्यकता होगी. यूएन एजेंसी प्रमुख ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि पीड़ितों की ज़िन्दगियों को बचाने के लिये इन संकटों का राजनैतिक समाधान ढूँढे जाने तक की प्रतीक्षा नहीं की जा सकती. मगर, हिंसक संघर्षों के समाधान के अभाव में लाखों-करोड़ों लोगों के अनिश्चितता और भय में घिरे रहने और विस्थापन की घटनाएं बढ़ने का भी जोखिम है. शरणार्थी एजेंसी प्रमुख ने बहुपक्षीय प्रणाली की अहमियत पर बल देते हुए कहा कि जलवायु आपात स्थिति को, सुरक्षा परिषद के एजेण्डा के केंद्र में रखे जाने की आवश्यकता है. उन्होंने अस्थिरता, असुरक्षा, अकाल और प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए ध्यान दिलाया कि विफलताओं के कारण मानव राहतकर्मियों को जटिल व अनिश्चित हालात में काम करना पड़ता है और सहायता ज़रूरतें भी बढ़ती हैं. I told the #SecurityCouncil today that saving people’s lives cannot wait for political solutions — but unless conflicts are solved (with more unity and more determination) millions of people will continue to be exposed to uncertainty and fear, and forced displacement will grow. pic.twitter.com/tdgS6p0xfZ — Filippo Grandi (@FilippoGrandi) December 7, 2021 शरणार्थी संगठन प्रमुख ने अफ़ग़ानिस्तान में तीन करोड़ 90 लाख लोगों की ओर ध्यान आकृष्ट किया, जिनमें से दो करोड़ 30 लाख लोगों को चरम भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है. हिंसक संघर्ष के कारण 35 लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें से सात लाख व्यक्ति इसी वर्ष विस्थापन का शिकार हुए हैं. उन्होंने सचेत किया कि शरणार्थी और मानवीय राहत प्रयासों का राजनीतिकरण, विफलता का एक ही रूप है, अक्सर पारस्परिक विरोधी राजनैतिक एजेण्डा में मानवीय राहत पहुँचाने की कोशिशें पिस जाती हैं. अफ़ग़ानिस्तान यूएन एजेंसी उच्चायुक्त ने बताया कि मौजूदा हालात के मद्देनज़र, अफ़ग़ानिस्तान में राहतकर्मी अपने अभियान का दायरा व स्तर बढ़ा रहे हैं और हर सप्ताह 60 हज़ार घरेलू विस्थापितों तक पहुँचा जा रहा है. मगर, यह ध्यान रखा जाना होगा कि मानवीय राहत सहायता, राज्यसत्ताओं की भूमिका को नहीं निभा सकती है, ना ही अर्थव्यवस्थाओं को बचा सकती है और ना ही राजनैतिक समाधानों की जगह ले सकती है. उन्होंने एक नाज़ुक सन्तुलन की आवश्यकता पर बल देते हुए चिन्ता जताई कि प्रगति की धीमी रफ़्तार से, देश छोड़कर जाने की कोशिश करने वाले अफ़ग़ान नागरिकों की संख्या बढ़ रही है. सर्दी के मौसम को ध्यान में रखते हुए, जल्द से जल्द ज़रूरतमन्द अफ़ग़ान नागरिकों की राहत ज़रूरतों को पूरा करना अनिवार्य बताया गया है. साथ ही पड़ोसी देशों, ईरान व पाकिस्तान, के लिये समर्थन बढ़ाना अहम होगा. सीरिया यूएन एजेंसी के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक़, हिंसक संघर्ष, संसाधनों के अभाव और लेबनान में ध्वस्त होती व्यवस्था की पृष्ठभूमि में सीरिया में मानवीय हालात बदतर हो रहे हैं. फ़िलिपो ग्रैण्डी ने अक्टूबर में अपनी सीरिया यात्रा का ज़िक्र करते हुए याद किया कि उन्होंने लोगों को रोटी और ईंधन के लिये क़तार में लगे हुए देखा, देश में सेवाओं और आजीविकाओं की क़िल्लत है, विशेष रूप से राजधानी दमिश्क के बाहर. राजनैतिक जटिलताओं के बीच, समाधान की तलाश में प्रगति धीमी रही है जिसके कारण लाखों लोगों को अनावश्यक रूप से कठिनाई भरे हालात में गुज़र-बसर करनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि अगर पुनर्निर्माण प्रक्रिया को एक राजनैतिक समझौते तक प्रतीक्षा करनी है, तो मानवीय राहत ज़रूरतों में बुनियादी आवश्यकताओं का भी ख़याल रखा जाना होगा. यूएन एजेंसी प्रमुख के अनुसार, सीरियाई नागरिकों की देश वापसी के लिये क़ानूनी व सुरक्षा सम्बन्धी अवरोधों को दूर किया जाना होगा, जिसके लिये सीरियाई सरकार और दानदाता देशों से सहयोग अहम है इथियोपिया फ़िलिपो ग्रैण्डी ने कहा कि शान्ति स्थापना में विफलता हाथ लगने से हिंसक संघर्षों व संकटों में मानवीय राहत आवश्यकताएं और अपेक्षाएं बढ़ती हैं, जबकि वास्तविक प्रयासों के लिये विकल्प कम हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि मौजूदा दौर में, इथियोपिया इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण है. यूएन शरणार्थी एजेंसी 13 महीनों से टीगरे, अफ़ार, अमहारा और अन्य संकटग्रस्त इलाक़ों में प्रभावित आबादी तक राहत पहुँचाने के लिये प्रयासरत है. इन इलाक़ों में समस्या का सैन्य समाधान ढूँढे जाने के प्रयासों से बदतर मानवीय परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गई हैं. विफल राजनैतिक मध्यस्थताओं के कारण दो करोड़ से अधिक लोग ज़रूरतमन्द हैं, और 40 लाख लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं. मानवीय राहतकर्मियों को लोगों तक राहत पहुँचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, और उन्हें पक्षपात के आरोपों का भी सामना करना पड़ता है. समाधानों के लिये एकजुटता बताया गया है कि जबरन विस्थापन की घटनाओं के लिये मुख्यत: हिंसक संघर्ष और संकट ज़िम्मेदार हैं. साथ ही, मानवीय राहत से जुड़े मुद्दों का राजनैतिक समाधान ढूँढा जाना जटिलताओं भरा है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि जवाबी कार्रवाई ख़र्चीली हो गई है, और अगले वर्ष, मानवीय राहत आवश्यकताओं के लिये 41 अरब डॉलर से अधिक रक़म की दरकार होगी. यूएन एजेंसी ने शरणार्थियों के मुद्दे पर ग्लोबल कॉम्पैक्ट, वैश्विक शरणार्थी फ़ोरम के दौरान लिये गए संकल्पों और नए साझीदारों के ज़रिये, समर्थन रास्तों को बढ़ाने का प्रयास किया है. फ़िलिपो ग्रैण्डी ने सुरक्षा परिषद को बताया कि उन्होंने दानदाताओं से लगलग 9 अरब डॉलर की धनराशि का योगदान दिये जाने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि समाधानों को ढूँढने में विफलता से मानव गतिशीलता पर नियंत्रण रख पाना मुश्किल हो जाता है, और यह एक ऐसी चुनौती है जिसे अनेक देशों में देखा जा सकता है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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