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कार्यस्थल पर सामूहिक समझौतों के ज़रिये, विषमता से लड़ाई में मिली मदद

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने कहा है कि तेज़ी से बदल रही कामकाजी दुनिया में, कोविड-19 के पश्चात वैश्विक पुनर्बहाली, विषमता से निपटने और वेतन को न्यायसंगत बनाये रखने के लिये, कामगारों और प्रबन्धन के बीच सम्वाद व सामूहिक समझौते बेहद अहम हैं. यूएन श्रम एजेंसी की 'Social Dialogue Report 2022' दर्शाती है कि कोविड-19 के सर्वाधिक फैलाव के दिनों में, सामूहिक मोलतोल व समझौतों से लोगों के रोज़गारों व आय की रक्षा करने में मदद मिली है. इससे नियोक्ताओं व कर्मचारियों के लिये नई चुनौतियों का सामना करना और बदलती परिस्थितियों में कारगर ढँग से कार्य जारी रख पाना सम्भव हुआ. यूएन एजेंसी की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 98 देशों में हर तीन में से एक कर्मचारी के लिये, कमाई, कामकाजी घण्टे और अन्य पेशेवर परिस्थितियों को सामूहिक समझौतों के बाद तैयार किया गया है. Collective agreements reduce wage inequality, whether in an enterprise or industry. The higher the coverage of employees by collective agreements, the lower the wage differences are. Check out the @ilo Social Dialogue report. ➡️ https://t.co/K73t6timgG pic.twitter.com/XHYyrMqgZS — International Labour Organization (@ilo) May 5, 2022 मगर, देशों के बीच काफ़ी हद तक भिन्नताएँ देखने को मिली हैं – उदाहरणस्वरूप, अनेक योरोपीय देशों और उरुग्वे में 75 फ़ीसदी कर्मचारी सामूहिक समझौतों का हिस्सा हैं, जबकि उन आधे से अधिक देशों में यह 25 फ़ीसदी से कम है, जहाँ इस सिलसिले में डेटा उपलब्ध है. सहायता उपाय यूएन एजेंसी के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान, सामूहिक मोलतोल से कर्मचारियों व उद्यमों के लिये सहनक्षता बढ़ी, व्यवासयिक निरन्तरता सुनिश्चित की गई और कमाई व रोज़गार की रक्षा हुई. इसके अलावा, इन समझौतों से लाखों-करोड़ों कर्मचारियों की कार्यस्थल पर सुरक्षा व स्वास्थ्य के सम्बन्ध में उपजी चिन्ताओं को दूर करना भी सम्भव हुआ. उन्हें बीमारी के दौरान सवेतन अवकाश और अन्य प्रकार के स्वास्थ्य देखभाल लाभ प्रदान किये गए. कामकाजी परिस्थितियों में लचीली व्यवस्था और अवकाश के प्रावधान पर बातचीत की गई ताकि, कर्मचारियों, विशेष रूप से महिलाओं के लिये, अपने कार्य और अन्य अतिरिक्त देखभाल ज़िम्मेदारियों को निभाने में मदद मिले. जैसेकि स्कूलों में तालाबन्दी से बच्चों की देखरेख या फिर किसी बीमार परिजन की देखभाल. “अस्थाई रूप से काम कर रहे कर्मचारियों के अनुबन्ध को बढ़ा दिया गया, या फिर उन्हें स्थाई में तब्दील कर दिया गया, ताकि वे अपनी कमाई जारी रख सकें.” वैश्विक महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में तालाबन्दियाँ लागू रही हैं और सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक कार्य करने की व्यवस्था पर दबाव बढ़ा है. विषमता से लड़ाई यूएन एजेंसी के महानिदेशक गायर राइडर ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि बढ़ती क़ीमतों के बीच कर्मचारी अपने सिर को पानी से ऊपर रखना चाहते हैं, और कार्यस्थल सुरक्षा भी सुनिश्चित करना चाहते हैं. "वे बीमारी के दौरान सवेतन अवकाश भी पाना चाहते हैं, जोकि पिछले दो वर्ष में महत्वपूर्ण साबित हुआ है." “नियोक्ताओं (employers) ने अपनी ओर से उन समझौतों का स्वागत किया है, जिनसे कुशल व अनुभवी कर्मचारियों को बनाए रखने में मदद मिली है, ताकि वे फिर से शुरुआत, उबर और उभर सकें.” उन्होंने कहा कि सामूहिक मोलतोल के दायरे में आने वाले कर्मचारियों का प्रतिशत जितना अधिक होगा, आय सम्बन्धी विषमता उतनी ही कम होगी. साथ ही, कार्यस्थल पर समानता व विविधता के उतना ही अधिक होने की सम्भावना है. नई वास्तविकताएँ यूएन एजेंसी के महानिदेशक के मुताबिक़, कामकाजी दुनिया में कोरोनावायरस के कारण दो वर्ष की उठापठक के बाद, महामारी के पश्चात सामूहिक समझौतों में अब बदलाव आया है. इस पृष्ठभूमि में, घर में रहकर काम करने और अन्य मिलीजुली (hybrid) काम करने के तौर-तरीक़ों में नई वास्तविकताएँ परिलक्षित हो रही हैं. उन्होंने कहा कि नए समझौतों में समान अवसर मुहैया कराये जाने, कार्यस्थल पर और दूर रहकर काम करने के तरीक़ों, कामकाजी समय में फेरबदल करने, और कामकाज के सिलसिले में सम्पर्क से दूर होने के अधिकार पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. साथ ही, डेटा निजता और साइबर सुरक्षा के विषय में कर्मचारियों और नियोक्ताओं की साझा चिन्ताओं के लिये भी प्रयास किये गए हैं. गाय राइडर ने और अधिक संख्या में देशों से कर्मचारी संघों और नियोक्ताओं के बीच सम्वाद को अपनाये जाने की अपील की है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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