civilization-will-prosper-through-exchanges
civilization-will-prosper-through-exchanges

आदान-प्रदान के जरिए सभ्यता और समृद्ध होगी

बीजिंग, 13 मई (आईएएनएस)। एशिया के विभिन्न देश एक-दूसरे से जुड़ते हैं। हमारी ऐतिहासिक स्थिति समान है और सपना भी एक जैसा है। विभिन्न सभ्यताएं, विभिन्न जाति और विभिन्न धर्म एक दूसरे से मिलते-जुलते हैं और इससे रंगारंग एशियाई सभ्यता गठित हुई। तीन साल पहले एशियाई सभ्यता संवाद सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भाषण देते हुए कहा कि उज्जवल एशियाई सभ्यता विश्व सभ्यता का एक शानदार हिस्सा है। एशियाई लोग शांति, स्थिरता, समृद्धि और खुले एशिया की अपेक्षा करते हैं। विश्व बहु-ध्रुवीकरण, आर्थिक वैश्वीकरण, सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक सूचनाकरण के विकास के चलते मानव समाज आशा से भरा है। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में अस्थिरता और अनिश्चितता बढ़ने से वैश्विक चुनौती गंभीर रही है। विभिन्न देशों को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना चाहिए। आर्थिक और वैज्ञानिक ताकत के अलावा, विभिन्न देशों के बीच संस्कृति और सभ्यता का आदान-प्रदान मजबूत करने से एशिया और मानव समुदाय के साझे भविष्य का निर्माण किया जाएगा। सभ्यता का अच्छे और बुरे के बीच फर्क नहीं होता। सभी सभ्यताएं समान होती हैं। समानता व सम्मान को कायम रखने और अभिमान व पूर्वाग्रह को छोड़ने पर ही सभ्यताओं में आवाजाही बढ़ाई जाएगी। चीन ने न सिर्फ विभिन्न सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान बढ़ाने का सुझाव पेश किया, बल्कि इसमें प्रयास भी किया। हाल के वर्षों में चीन ने विभिन्न देशों के साथ शिक्षा, संस्कृति, खेल और स्वास्थ्य आदि के क्षेत्रों में सहयोग के बहुत मंच स्थापित किए और सहयोग के व्यापक रास्ते खोले। कहा जा सकता है कि चीनी सभ्यता अन्य सभ्यताओं के साथ आदान-प्रदान से बढ़ती है। भविष्य में चीन अवश्य ही और खुले रवैये से अन्य देशों के साथ आवाजाही करेगा और दुनिया को ज्यादा योगदान देगा। (साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) --आईएएनएस एएनएम

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in