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चीनी राष्ट्रपति ने विदेशों में अध्ययन करने के बाद लौटे युवा विद्वानों को प्रोत्साहित किया

बीजिंग, 19 मई (आईएएनएस)। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 18 मई को नानचिंग विश्वविद्यालय में विदेशों में अध्ययन करने के बाद लौटे युवा विद्वानों को जवाबी पत्र भेजकर उन्हें प्रोत्साहित किया। अपने पत्र में शी चिनफिंग ने कहा कि उन्होंने विदेशों में पढ़ने के बाद स्वदेश वापस लौटकर पढ़ाई का कार्य किया और मातृभूमि और जनता की सेवा की, जिसमें प्रचुर उपलब्धियां हासिल हुई हैं। ये सब जानकर शी ने कहा कि वे बहुत सुखी रहे। नानचिंग विश्वविद्यालय की स्थापना की 120वीं वर्षगांठ के अवसर पर वे विश्वविद्यालय के व्यापक शिक्षकों और विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी और सद्भावना प्रकट की। शी चिनफिंग ने आशा जताई कि वे लोग श्रेष्ठ परम्परा का प्रसार कर प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में और अच्छी उपलब्धियां प्राप्त कर सकेंगे, सांस्कृतिक आत्म-विश्वास को प्रगाढ़ करने और चीनी कहानियों को अच्छी तरह सुनाने में एक उदाहरण स्थापित कर सकेंगे, समाजवादी आधुनिक देश और चीनी राष्ट्र के महान कायापलट के चीनी स्वप्न को साकार करने के निर्माण सक्रिय योगदान प्रदान कर सकेंगे। गौरतलब है कि नानचिंग विश्वविद्यालय की स्थापना 1902 में हुई थी, जिसका पुराना नाम सानच्यांग नॉर्मल स्कूल था। 1950 में इसका नाम बदलकर नानचिंग विश्वविद्यालय कर दिया। बीते 120 वर्षों में इस विश्वविद्यालय से ली सिक्वांग और शंग खाईचा जैसे बहुत ज्यादा श्रेष्ठ विद्वान निकले हैं। हाल में बीते एक दशक में विदेशों में अध्ययन पूरा करने के बाद नानचिंग विश्वविद्यालय में काम करने वाले 120 युवा विद्वानों ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को पत्र भेजकर रोजाना काम में अपने अनुभव बताये और देश को शक्तिशाली बनाने के लिए संघर्ष करने का संकल्प प्रकट किया। (साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) --आईएएनएस एएनएम

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